अमेरिका में यहूदियों का इज़रायली दूतावास के बाहर प्रदर्शन
पिछले कुछ महीनों से इज़रायल में हरेदी समुदाय (ऑर्थोडॉक्स यहूदी) के लोग अनिवार्य सैन्य सेवा के खिलाफ सड़कों पर उतर रहे हैं। अब यही विरोध अमेरिका में भी देखने को मिला है। न्यूयॉर्क में हजारों ऑर्थोडॉक्स यहूदियों ने इज़रायल के कॉन्सुलेट के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और वहां के सैन्य भर्ती कानूनों में बदलाव की मांग की। यह प्रदर्शन फ़िलिस्तीन के क़ब्ज़े वाले इलाकों में जारी हरेदी यहूदियों के विरोध का ही सिलसिला है।
इन यहूदियों का कहना है कि, फौज में जाना उनके धार्मिक विश्वासों और जीवनशैली के खिलाफ है। इज़रायल बनने के बाद 1948 से ही एक कानून के तहत जो लोग तोराह (धार्मिक ग्रंथ) की पढ़ाई करते हैं, उन्हें फौज से छूट दी गई थी। लेकिन ग़ाज़ा युद्ध में बड़ी संख्या में सैनिकों की मौत और कमी के कारण अब इज़रायली सेना नए सैनिकों की भर्ती पर ज़ोर दे रही है।
अमेरिकी पत्रिका न्यूयॉर्क पोस्ट के मुताबिक, न्यूयॉर्क में हुए इस विरोध ने यह दिखा दिया कि इज़रायल और न्यूयॉर्क के धार्मिक यहूदी समुदाय के बीच रिश्ते कितने जटिल हैं। न्यूयॉर्क के दो बड़े और प्रभावशाली “सातमार समुदाय” के रब्बियों ने अपने अनुयायियों से इस प्रदर्शन में शामिल होने की अपील की थी। अमेरिका और कनाडा के केंद्रीय यहूदी रब्बी सम्मेलन ने भी इस प्रदर्शन के आयोजन में सहयोग दिया।
यह प्रदर्शन उस फैसले के बाद हुआ जिसमें इज़रायल की सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था कि वह ऑर्थोडॉक्स यहूदी पुरुषों को भी फौज में भर्ती करे। रब्बी मोशे इंडिग, जो सातमार समुदाय के नेताओं में से एक हैं, ने कहा कि आयोजकों को उम्मीद नहीं थी कि न्यूयॉर्क में इतनी बड़ी भीड़ इकट्ठा होगी।
यह विरोध ऐसे समय में हुआ है जब 13 नवंबर को न्यूयॉर्क में मेयर चुनाव होने वाले हैं, जिसमें मुस्लिम उम्मीदवार ज़ोहरान ममदानी इस वक़्त सबसे आगे चल रहे हैं।
न्यूयॉर्क को दुनिया में यहूदियों का “दूसरा सबसे बड़ा घर” माना जाता है। रब्बी इंडिग ने न्यूयॉर्क प्रशासन और अमेरिकी सरकार का शुक्रिया अदा करते हुए कहा — “हम उनके आभारी हैं कि उन्होंने हमें आज़ादी से जीने और अपने बच्चों को तोराह की शिक्षा देने का अधिकार दिया।”

