ISCPress

इज़रायल की ग़ाज़ा के निवासियों के जबरन विस्थापन की नई साज़िश

इज़रायल की ग़ाज़ा के निवासियों के जबरन विस्थापन की नई साज़िश

इज़रायली रक्षामंत्री इस्राइल काट्ज ने सेना को ग़ाज़ा पट्टी के निवासियों के “स्वैच्छिक प्रवास” के लिए योजनाएँ तैयार करने का आदेश दिया है। यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब इज़रायल पहले ही ग़ाज़ा पर वर्षों से कड़ी नाकाबंदी और हमले कर रहा है, जिससे लाखों फ़िलिस्तीनियों को गंभीर मानवीय संकट का सामना करना पड़ रहा है।

इज़रायली मंत्री ने क्या कहा?
इज़रायली रक्षामंत्री काट्ज़ ने इस योजना की घोषणा करते हुए कहा कि, ग़ाज़ा के निवासियों को प्रवास करने की स्वतंत्रता दी जानी चाहिए, जैसा कि दुनिया के अन्य हिस्सों में होता है। उन्होंने इस योजना के तहत ग़ाज़ा से बाहर जाने के लिए ज़मीनी, समुद्री और हवाई मार्गों के प्रबंध की बात कही।

क्या यह ‘स्वैच्छिक प्रवास’ है या जबरन विस्थापन?
हालाँकि, विशेषज्ञों और फ़िलिस्तीनी संगठनों का मानना है कि यह वास्तव में फिलिस्तीनियों के जबरन विस्थापन (Ethnic Cleansing) की साज़िश है। इज़रायल कभी भी ग़ाज़ा पट्टी के निवासियों का हितैषी नहीं हो सकता, क्योंकि इज़रायल पहले ही ग़ाज़ा में तबाही मचाकर वहां रहने की परिस्थितियों को असहनीय बना चुका है। लगातार बमबारी, खाद्य आपूर्ति में कटौती, बिजली और पानी की कमी जैसी परिस्थितियाँ ग़ाज़ा के लोगों को मजबूरी में पलायन के लिए बाध्य कर रही हैं।

इज़रायली कट्टरपंथियों की प्रतिक्रिया
इज़राइली कट्टरपंथी नेता और पूर्व आंतरिक सुरक्षा मंत्री इतामार बेन-गवीर ने काट्ज़ के इस कदम का समर्थन करते हुए कहा:
“मैं इस्राइल काट्ज़ को सलाम करता हूँ, जिन्होंने सेना को ग़ाज़ा के निवासियों के स्वैच्छिक प्रवास की अनुमति देने का आदेश दिया है।” उन्होंने यह भी कहा कि काट्ज़ की योजना साबित करती है कि ग़ज़ा के पुनर्निर्माण की योजनाएँ केवल भ्रम हैं, असली समाधान ग़ाज़ा की वास्तविकता को पूरी तरह बदलना है।

अब प्रश्न यह है कि, अगर इज़रायल को ग़ाज़ा निवासियों की इतनी चिंता है तो उसने 47000 हज़ार लोगों को नरसंहार क्यों किया? उसने ग़ाज़ा में मासूम बच्चों और औरतों का क़त्ले आम क्यों किया? रफ़ाह क्रॉसिंग को बंद करके मानवीय सहायता और राहत सामग्री पर रोक क्यों नहीं लगाई? अस्पतालों में नवजात शिशुओं को मौत के घाट क्यों उतारा? स्कूलों और अस्पतालों पर बमबारी क्यों की ?

फ़िलिस्तीनी संगठनों और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने इस योजना की आलोचना की
फ़िलिस्तीनी नेताओं का कहना है कि यह इज़रायली सरकार की नस्लीय सफ़ाई (Ethnic Cleansing) की नीति का हिस्सा है। इज़रायल इस योजना के तहत फ़िलिस्तीनियों को धीरे-धीरे उनके ही देश से बेदखल करने की कोशिश कर रहा है ताकि वह ग़ा ज़ा पर अपना स्थायी नियंत्रण स्थापित कर सके। अगर यह योजना लागू हुई, तो यह 1948 के नक़बा (फ़िलिस्तीनियों के सामूहिक विस्थापन) की पुनरावृत्ति होगी।

अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की भूमिका
इस योजना की घोषणा ऐसे समय में हुई है जब पहले से ही ग़ाज़ा में इज़रायली बमबारी और नाकाबंदी को लेकर वैश्विक आक्रोश है। कई मानवाधिकार संगठनों ने इसे इज़रायल द्वारा युद्ध अपराध करार दिया है। अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) नेतन्याहू और उनके पूर्व रक्षामंत्री योआव गैलेंट को युद्ध अपराधी घोषित करते हुए गिरफ़्तारी वारंट भी जारी कर चुका है। हालाँकि, अमेरिका और यूरोपीय देशों की चुप्पी इस योजना को आगे बढ़ाने में इज़रायल की मदद कर सकती है।

इज़रायल की यह नई योजना एक मानवीय संकट को और बढ़ाने की कोशिश है। ग़ाज़ा के लाखों लोग पहले से ही विस्थापन, भुखमरी और बमबारी झेल रहे हैं, और अब उन्हें “स्वैच्छिक प्रवास” के नाम पर अपने ही घरों से निकालने की साजिश रची जा रही है। सवाल यह उठता है कि क्या यह प्रवास वास्तव में स्वैच्छिक होगा, या यह इज़रायली नीतियों द्वारा ग़ाज़ा के लोगों को जबरन पलायन के लिए मजबूर करने की एक चाल है?

Exit mobile version