इज़रायल की सैन्य ताक़त का गुब्बारा फूट चुका है: पूर्व ब्रिटिश राजदूत
सीरिया में इंग्लैंड के पूर्व राजदूत पीटर फोर्ड ने ईरान और इज़रायल के बीच युद्ध-विरामको ईरान की सैन्य ताक़त के सामने तेल-अवीव की हार का संकेत बताया। उन्होंने कहा कि “नेतन्याहू अब एक मरे हुए शख्स जैसा है, जिससे इज़रायल के निवासी जल्द ही हिसाब चुकता करेंगे।” उनके अनुसार यह युद्ध-विराम, दरअसल ईरान की सैन्य शक्ति के सामने इज़रायल की पराजय और उसकी सैन्य प्रतिष्ठा के बिखरने का संकेत है।
फोर्ड का मानना है कि जिस तरह ईरान ने सटीक, योजनाबद्ध और प्रत्यक्ष मिसाइल हमले किए और इज़रायल के भीतर तक घुसकर सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया, उसने इज़रायल की “अजेय होने की सैन्य छवि” को भारी नुक़सान पहुँचाया है। उनके अनुसार, अब यह साफ़ हो चुका है कि इज़रायल की कथित मिसाइल डिफेंस प्रणाली और उसकी खुफ़िया क्षमता दोनों ही सीमित हैं, और ईरान जैसी ताक़तवर क्षेत्रीय शक्ति के सामने वो बेबस साबित हुआ।
उन्होंने सीधे तौर पर इज़रायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू को निशाने पर लेते हुए कहा कि, नेतन्याहू अब एक “राजनीतिक लाश” की तरह हैं, जिनसे इज़रायली जनता जल्द ही हिसाब चुकता करेगी। यह बयान ऐसे समय में आया है जब खुद इज़रायल के भीतर भी नेतन्याहू की नीतियों को लेकर भारी असंतोष है, चाहे वो ग़ज़ा युद्ध हो, या अंदरूनी राजनीतिक अस्थिरता।
पूर्व राजदूत के मुताबिक, ईरान ने जिस तरह अमेरिकी अड्डे ‘अल-उदीद’ से लेकर इज़रायल के विभिन्न हिस्सों तक जवाबी कार्रवाई की, उससे साफ़ हो गया है कि, अब पश्चिम एशिया में शक्ति संतुलन बदल रहा है। उनका यह भी कहना है कि अगर ज़मीनी स्थिति को देखा जाए, तो यह युद्ध-विराम एक रणनीतिक पराजय है, जिसे नेतन्याहू जीत के रूप में दिखाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हक़ीक़त इसके बिल्कुल उलट है।
पीटर फोर्ड के यह बयान अब अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी चर्चा का विषय बन गए हैं, और यह सवाल एक बार फिर उठ रहा है कि क्या इज़रायल अब अपने सैन्य प्रभुत्व और क्षेत्रीय रणनीति को फिर से परिभाषित करेगा, या उसे एक नए यथार्थ को स्वीकार करना पड़ेगा।

