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ईरान द्वारा इज़रायल के ‘आयरन डोम’ का भौकाल ख़त्म

ईरान द्वारा इज़रायल के ‘आयरन डोम’ का भौकाल ख़त्म

तेहरान और तेल अवीव के बीच बढ़ते तनाव के बीच एक बेहद चौंकाने वाला घटनाक्रम सामने आया है, जिसने इज़रायल के हाई-टेक डिफेंस सिस्टम ‘आयरन डोम’ की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। ईरान की मिसाइल और ड्रोन हमलों ने जिस तरह से इज़रायली एयर डिफेंस को चकमा दिया और कई अहम ठिकानों को निशाना बनाया, उससे स्पष्ट हो गया है कि आयरन डोम का ‘अजेय किला’ अब उतना मजबूत नहीं रहा जितना प्रचारित किया जाता रहा है।

इज़रायल का आयरन डोम कई सालों से सिर्फ एक रक्षा प्रणाली नहीं, बल्कि अरब दुनिया को डराने का एक प्रतीक बन चुका था। अमेरिका द्वारा वित्त पोषित यह प्रणाली एक मिसाइल-रोधी कवच के रूप में प्रस्तुत की जाती रही, जिसे न तो हमले से रोका जा सकता है और न ही छल से। इसे ‘90% सफलता’ का दावा करते हुए प्रचारित किया गया, लेकिन कभी किसी स्वतंत्र निगरानी एजेंसी ने इस दावे की पुष्टि नहीं की।

ईरानी मीडिया पर हमला और ईरान का पलटवार
ईरान वर्षों से इज़रायली हमलों और साइबर ऑपरेशनों का शिकार रहा है। उसके वैज्ञानिकों की हत्या, उसकी न्यूक्लियर सुविधाओं पर हमले, और उसकी सीमाओं पर अमेरिकी और इज़रायली निगरानी। पर ईरान ने कभी अधीरता नहीं दिखाई। इस बार भी, जब तेहरान स्थित मीडिया मुख्यालय पर इज़रायल ने मिसाइल हमला किया, और निर्दोष पत्रकार शहीद हुए, तो ईरान ने जवाब देने से पहले ‘रणनीति’ तैयार की। एक समन्वित, बहुस्तरीय हमला जिसमें मिसाइल, ड्रोन, साइबर और मनोवैज्ञानिक हथियार शामिल थे। ईरानी रक्षा प्रणाली ने दिखा दिया कि जब जवाब समय पर और सोच-समझकर दिया जाए, तो तकनीक की सबसे बड़ी दीवारें भी ढहाई जा सकती हैं।

कैसे हुआ आयरन डोम का ‘विनाश’
वर्तमान हमले में ईरान ने ऐसी मिसाइलें और ड्रोन भेजे जिनकी उड़ान ऊंचाई, स्पीड और दिशा बार-बार बदली जाती रही, जिससे आयरन डोम का रडार भ्रमित हो गया। कुछ रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया कि ईरान ने पहले साइबर हमला कर के आयरन डोम की डेटा लिंक को बाधित किया। इसके परिणामस्वरूप, आयरन डोम कई मिसाइलें इंटरसेप्ट नहीं कर सका। कुछ मिसाइलों को ‘गलत लक्ष्य’ समझा गया और खुद इज़रायली क्षेत्र पर हमला हो गया।

पिछले कुछ दिनों में जारी वीडियोज और रिपोर्ट्स से पता चला है कि ईरानी मिसाइलें और ड्रोन आयरन डोम के रडार से बचते हुए सीधे इज़रायल के संवेदनशील क्षेत्रों तक पहुंचने में सफल रही हैं। कुछ रिपोर्ट्स में तो यह भी दावा किया जा रहा है कि ईरान ने साइबर हथियारों का इस्तेमाल करके आयरन डोम की प्रणाली को बाधित किया, जिससे वह अपने ही क्षेत्रों में फायर कर बैठा, यानी डिफेंस सिस्टम ने खुद पर ही ‘सेल्फ गोल’ कर दिया। यह तकनीकी विफलता नहीं — एक साइबर मास्टरस्ट्रोक था।

इस घटना ने सिर्फ सैन्य दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि रणनीतिक और मनोवैज्ञानिक स्तर पर भी इज़रायल को झटका दिया है। जो सिस्टम दशकों से अरब जगत में एक डर का प्रतीक माना जाता था, वो अब असहाय नजर आया। ईरान ने यह कर दिखाया कि तकनीक की ताकत तब तक ही है जब तक उसका प्रतिरोध न हो। और इस बार प्रतिरोध बेहद संगठित, रणनीतिक और आक्रामक था। सैन्य विश्लेषकों का मानना है कि यह केवल तकनीकी विफलता नहीं बल्कि एक मनोवैज्ञानिक विजय भी है। आयरन डोम की असफलता ने इज़रायली नागरिकों में डर और असुरक्षा की भावना को गहरा किया है। वहीँ ईरानी मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इस हमले को ‘मास्टर स्ट्रोक’ बताया जा रहा है।

यह घटना उस वक्त और भी अहम हो जाती है जब यह देखा जाए कि इज़रायल लगातार क्षेत्रीय प्रभुत्व कायम रखने के लिए अपने सैन्य सिस्टम को अजेय बताता आया है। लेकिन ईरान ने यह सिद्ध कर दिया कि रणनीति, धैर्य और साहस से किसी भी टेक्नोलॉजी को पराजित किया जा सकता है। अब यह देखना शेष है कि इज़रायल अपने इस झटके से कैसे उबरता है, और क्या वह अपने डिफेंस सिस्टम में सुधार लाकर फिर से भरोसा कायम कर पाएगा या नहीं। लेकिन फिलहाल इतना तय है कि आयरन डोम अब ‘भौकाल’ नहीं रहा,और ईरान ने इसे दुनिया के सामने बेनक़ाब कर दिया है।

ईरान ने इज़रायल की युद्ध नीति को भलीभांति समझा। उसके हर कदम का अध्ययन किया, उसकी साइबर सुरक्षा को परखा, और सबसे महत्वपूर्ण – उसने एकतरफा हमला नहीं किया, बल्कि समन्वित हमलों की योजना बनाई। मिसाइल, ड्रोन, सैटेलाइट ब्लाइंड स्पॉट, और साइबर टूल्स का संयोजन कर के ईरान ने वह कर दिखाया जो अब तक केवल थ्योरी में माना जाता था।

आयरन डोम की हार — मनोवैज्ञानिक जंग का अंत
रिपोर्ट्स और वीडियोज़ बताते हैं कि किस तरह ईरानी मिसाइलें तेल अवीव और हाइफ़ा जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में निशाना बनीं। इस पूरे घटनाक्रम का सबसे अहम पहलू यह है कि इज़रायली नागरिकों में भरोसे का क्षरण हुआ है। जो सिस्टम उन्हें सुरक्षा का आभास देता था, वह अब डर का कारण बन गया है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरों और वीडियोज में इज़रायली नागरिक बंकरों में सहमे हुए देखे गए। वही ईरानी जनता में एक अलग ही मनोदशा देखने को मिली, गर्व, आत्मविश्वास और वैश्विक पटल पर सम्मान की भावना। ईरानी मीडिया ने इस घटना को ‘तकनीक के आतंक पर रणनीति की विजय’ बताया। युवाओं में सेना के प्रति उत्साह बढ़ा, और प्रतिरोधी मोर्चों को नैतिक बल प्राप्त हुआ।

यूरोपीय मीडिया ने आयरन डोम की असफलता को दबाने की कोशिश की
इस हमले के बाद अमेरिकी और यूरोपीय मीडिया ने विषय को दबाने की कोशिश की। CNN और BBC जैसे चैनल्स ने आयरन डोम की असफलता को मामूली घटना बताने की कोशिश की। लेकिन रूसी, चीनी, और कई स्वतंत्र पत्रकारों ने इसे ईरानी ताकत की अभूतपूर्व प्रस्तुति माना। लेबनान, यमन, इराक, सीरिया, और फिलिस्तीन जैसे क्षेत्रों में ईरान समर्थक गुटों ने खुलकर ईरान के साहस की सराहना की। यह केवल एक मिसाइल की बात नहीं थी, यह उस वैचारिक युद्ध का हिस्सा था जिसमें पश्चिम टेक्नोलॉजी और पूंजी के दम पर हावी होने की कोशिश करता है, और पूर्व उसे रणनीति और हौसले से चुनौती देता है।

ईरान की इस सफलता से अब एक नया भू-राजनीतिक अध्याय शुरू हो चुका है। इज़रायल का वो ‘भौकाल’ जो अमेरिका और नाटो के बल पर बना था, अब खंडित हो चुका है। और यह एक बड़ी शुरुआत है। ईरान ने यह सिद्ध किया है कि वह केवल एक रक्षात्मक देश नहीं है, बल्कि जरूरत पड़ने पर वह आक्रामक, सक्रिय और अत्याधुनिक सोच वाला प्रतिरोधी भी है। उसकी मिसाइल नीति, साइबर नीति और क्षेत्रीय गठबंधन अब केवल ‘सुरक्षा नीति’ नहीं बल्कि ‘रणनीतिक विजन’ बन चुके हैं।

कौन हारा, कौन जीता?
इस पूरे घटनाक्रम से कई सवाल उठते हैं:

1- क्या इज़रायल अब भी खुद को ‘डिफेंस लीडर’ कह सकता है?

2- क्या अमेरिका अब भी उसी तकनीक को दुनिया के बाकी देशों को बेचने की हिम्मत करेगा?

3- क्या अब अरब जगत में वह मनोवैज्ञानिक डर कायम रह पाएगा जिसे आयरन डोम के नाम पर दशकों से फैलाया गया?

उत्तर स्पष्ट है: अब नहीं।

इस लेख का मकसद किसी युद्ध को बढ़ावा देना नहीं है, बल्कि यह दिखाना है कि जब एक देश को बार-बार उकसाया जाए, अपमानित किया जाए, और उस पर तकनीकी दबदबे के बल पर रोब जमाया जाए, तो वह देश अपने आत्मसम्मान के लिए, अपने अस्तित्व के लिए, और न्याय के लिए खड़ा हो सकता है। ईरान ने वही किया। अंततः, यह केवल मिसाइलों की बात नहीं थी, यह सत्य और सत्ता के बीच संघर्ष था। और इस बार, सत्य ने दस्तक नहीं दी, उसने दरवाज़ा तोड़ दिया।

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