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इज़रायल की दोहरी नीति: ग़ाज़ा पर फिर हमला और घेराबंदी की धमकी

इज़रायल की दोहरी नीति: ग़ाज़ा पर फिर हमला और घेराबंदी की धमकी

कुछ विश्वसनीय सूत्रों ने खुलासा किया है कि अगर प्रतिरोधी संगठन हमास युद्ध-विराम समझौते को स्वीकार नहीं करता, तो इज़रायल के पास दो विकल्प हैं: या तो ग़ाज़ा शहर और अन्य आबादी वाले क्षेत्रों की पूरी घेराबंदी कर दी जाए या फिर सीधे हमला कर दिया जाए। सूत्रों के अनुसार, कई इज़रायली मंत्री इन प्रस्तावों का समर्थन कर रहे हैं। यह स्थिति उन बातचीतों के रुक जाने के बाद बनी है, जो युद्ध-विराम और कैदी विनिमय के लिए चल रही थीं, हालांकि मध्यस्थों की कोशिशें अब भी जारी हैं।

यह सब इज़रायली सरकार के अंदर ग़ाज़ा को लेकर भविष्य की रणनीति पर चल रहे आपसी मतभेद का हिस्सा है। बीते गुरुवार को एक वरिष्ठ इज़रायली अधिकारी ने कहा था कि इज़रायल और अमेरिका अब हमास की प्रतिक्रिया के बाद, ग़ाज़ा के लिए एक नया समझौता मसौदा तैयार कर रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि ये दोनों देश एक साथ मानवीय सहायता बढ़ाने और सैन्य कार्रवाइयों को जारी रखने की योजना पर काम कर रहे हैं।

इज़रायली सेना के प्रमुख एयाल जमीर ने शुक्रवार को कहा कि आने वाले कुछ दिनों में यह स्पष्ट हो जाएगा कि कोई समझौता संभव है या नहीं। अगर नहीं हुआ तो युद्ध पूरी ताक़त के साथ जारी रहेगा। ग़ाज़ा दौरे के दौरान उन्होंने यह भी कहा कि यह देखना होगा कि बंधकों की रिहाई के लिए कोई आंशिक समझौता बनता है या नहीं।

वर्तमान वार्ता का नया दौर 6 जुलाई को अमेरिका, मिस्र और क़तर की मध्यस्थता में शुरू हुआ था, ताकि 7 अक्टूबर 2023 से जारी युद्ध को रोका जा सके। लेकिन पिछले हफ्ते ये बातचीत बिना किसी ठोस नतीजे के समाप्त हो गईं। इज़रायल ग़ाज़ा से पूरी तरह वापसी को स्वीकार करने को तैयार नहीं है, जबकि हमास इस पर अड़ा हुआ है।

इसी तरह, इज़रायल यह चाहता है कि, राहत सामग्री का वितरण ‘ग़ाज़ा ह्यूमैनिटेरियन फ़ाउंडेशन’ के ज़रिए जारी रहे, जबकि हमास की मांग है कि इस प्रक्रिया की निगरानी संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों के हवाले की जाए, क्योंकि ग़ाज़ा के कई इलाकों में गंभीर भुखमरी और अकाल जैसी स्थिति है।

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