ग़ाज़ा में इज़रायल की बर्बरता, “कमाल अदवान” अस्पताल के निदेशक गिरफ्तार
ग़ाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार रात एक गंभीर घोषणा की, जिसमें बताया गया कि इजरायली सेना ने ग़ाज़ा पट्टी के उत्तरी क्षेत्र में स्थित “कमाल अदवान” अस्पताल पर हमला किया और अस्पताल के निदेशक डॉ. हुसाम अबू सफिया को गिरफ्तार कर लिया। इस हमले में अस्पताल के कई चिकित्सा कर्मियों को भी हिरासत में लिया गया और उन्हें पूछताछ के लिए अज्ञात स्थान पर ले जाया गया।
अस्पताल छोड़ने की धमकियां और हुसाम अबू सफिया का संघर्ष
डॉ. हुसाम अबू सफिया को इजरायली सेना द्वारा कई बार धमकी दी गई थी कि वह “कमाल अदवान” अस्पताल को खाली कर दें। इजरायली अधिकारियों ने उन्हें लगातार निशाने पर रखा और उनके 12 वर्षीय बेटे को भी शहीद कर दिया। इसके बावजूद, उन्होंने अपने कुछ समर्पित डॉक्टरों के साथ मिलकर अस्पताल को चालू रखा, ताकि ग़ाज़ा के नागरिकों को चिकित्सा सहायता मिलती रहे।
डॉ. अबू सफिया ने इजरायली सेना की धमकियों और प्रताड़नाओं के बावजूद, युद्धग्रस्त क्षेत्र में चिकित्सा सेवाएं जारी रखने का साहस दिखाया। यह अस्पताल उन गिने-चुने चिकित्सा केंद्रों में से एक था, जो लगातार बमबारी और हिंसा के बीच ग़ाज़ा के नागरिकों के लिए राहत प्रदान कर रहा था।
अस्पताल पर हमला और आगजनी
शुक्रवार दोपहर, इजरायली सेना ने “कमाल अदवान” अस्पताल के पास स्थित इमारतों पर भारी बमबारी की। इस हमले में अस्पताल को भी गंभीर नुकसान हुआ। इसके बाद, सैनिकों ने अस्पताल में आग लगा दी, जिससे वहां रखे चिकित्सा उपकरण और दवाइयां जलकर खाक हो गईं। यह घटना न केवल इजरायली सेना की बर्बरता को दर्शाती है, बल्कि इसे अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन भी माना जा रहा है।
डॉ. हुसाम अबू सफिया का बयान
डॉ. अबू सफिया, जो ग़ाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय के निदेशक भी हैं, ने “अल-जज़ीरा” चैनल को एक साक्षात्कार में बताया था कि, इजरायली सेना ने अचानक अस्पताल पर धावा बोला। उन्होंने कहा, “हम दिन-रात घायल और बीमार लोगों का इलाज कर रहे थे। अचानक, इजरायली सैनिकों ने अस्पताल के अंदर प्रवेश किया, कर्मियों को गिरफ्तार किया और भारी तबाही मचाई।”
चिकित्सा सेवाओं पर हमला: मानवता पर हमला
डॉ. अबू सफिया की गिरफ्तारी और अस्पताल पर हमला एक ऐसे समय में हुआ है, जब ग़ाज़ा पट्टी पहले ही चिकित्सा सुविधाओं की भारी कमी का सामना कर रही है। अस्पतालों पर हमले और चिकित्सकों की गिरफ्तारी ने संकट को और गंभीर बना दिया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तत्काल हस्तक्षेप की अपील की है। मंत्रालय ने कहा है कि इजरायली सेना द्वारा किए जा रहे इन हमलों से ग़ाज़ा के नागरिकों की जान बचाने का काम और मुश्किल हो गया है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चुप्पी आश्चर्यजनक
इस घटना ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों और संयुक्त राष्ट्र की निष्क्रियता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ग़ाज़ा में चिकित्सा सेवाओं पर इस तरह के हमलों को युद्ध अपराध की श्रेणी में रखा जाना चाहिए, लेकिन इजरायली कार्रवाई पर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
ग़ाज़ा के “कमाल अदवान” अस्पताल और डॉ. हुसाम अबू सफिया पर इजरायली सेना का यह हमला न केवल एक चिकित्सा केंद्र को निशाना बनाना है, बल्कि यह मानवता पर हमला है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस तरह के अमानवीय कृत्यों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। ग़ाज़ा के नागरिकों और चिकित्सा कर्मियों के लिए यह संघर्ष जारी है।