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इज़रायली सैनिकों ने जेल में फिलिस्तीनी कैदियों को प्रताड़ित किया

इज़रायली सैनिकों ने जेल में फिलिस्तीनी कैदियों को प्रताड़ित किया

इज़रायल की हिरासत से रिहा किए गए फिलिस्तीनियों ने बताया है कि “इज़रायली सेना ने हिंसक तरीके से उन पर हमला किया था क्योंकि उन्होंने ‘तोराह’ की आयतें पढ़ने से इनकार कर दिया था।” जमाल अल-तवील ने शनिवार को बताया कि “अपनी रिहाई से पहले उन्होंने तोराह की आयतें पढ़ने से इनकार कर दिया था, जिनमें फिलिस्तीनियों के लिए खतरे का जिक्र था, तो हिंसक तरीके से उन पर हमला किया गया था।

हमास के प्रमुख नेता को इज़रायल ने रामल्लाह से तब हिरासत में लिया था जब उनकी उम्र 16 साल थी। उन्होंने इजरायली हिरासत में 18 साल बिताए। 1992 में उन्हें सीरिया के गांव मर्ज अल-ज़हूर से निर्वासित कर दिया गया था और उन्होंने 2021 में अपनी बेटी पत्रकार बशीरा की रिहाई की मांग के लिए भूख हड़ताल का नेतृत्व किया था।

वीडियो में, पश्चिमी तट के एक अस्पताल में इलाज के दौरान, 61 वर्षीय अल-तवील ने बताया कि “हिरासत के दौरान इज़रायली सैनिकों ने मांग की थी कि मैं तोराह की आयतें पढ़ूं जिनमें लिखा हुआ था कि ‘मैं अपने दुश्मनों को छेड़ता हूं और उन्हें पकड़ता हूं और तब तक चुप नहीं बैठता जब तक उन्हें खत्म नहीं कर देता।’

जब अल-तवील ने यह पढ़ने से इनकार किया तो इज़रायली सैनिकों ने उन्हें हिंसक तरीके से पीटा जिसकी वजह से उनकी हालत इतनी खराब हो गई कि वह इंटरनेशनल रेड क्रॉस की बस में चढ़ने के लिए खड़े भी नहीं हो पा रहे थे।” यह देखकर रेड क्रिसेंट की टीम ने अल-तवील को अल-शिफा अस्पताल में स्थानांतरित करने के लिए एम्बुलेंस में बैठाया।

इज़रायली जेल की जिंदगी जहन्नुम जैसी 

मोहम्मद द्वीकत, जिन्हें इज़रायली जेल से रिहा किया गया है, ने कहा कि “इज़रायली सेना का फिलिस्तीनी कैदियों से जबरदस्ती तोराह की आयतें पढ़वाना उन्हें डराने के बराबर है।” उन्होंने तुर्की की समाचार एजेंसी अनादोलु को बताया कि “भगवान का शुक्र है कि उन्होंने हमारी मौत से पहले हमें एक नई जिंदगी दी। हम अब तक मौत की गोद में थे और आज हमारा नया जन्म हुआ है। शुक्र है कि उन्होंने हमें ग़ाज़ा वापस दे दिया।” उन्हें 18 साल कैद की सजा सुनाई गई थी और उन्होंने इज़रायली जेल में 16 साल बिताए हैं।

उन्होंने इज़रायली जेल में फिलिस्तीनियों के साथ होने वाले अत्याचारों के बारे में बताते हुए कहा कि “7 अक्टूबर 2023 के बाद से इज़रायली जेलों की स्थिति फिलिस्तीनियों के लिए जहन्नुम जैसी हो गई है। किसी ने जेल की जिंदगी के बारे में जैसा सोचा होगा, हमने वहां वही सब कुछ झेला, मुश्किल जिंदगी, अपमान, खाने और दवाइयों की कमी, सब कुछ खराब था।”

उन्होंने आगे कहा कि “आखिरी दिनों में हमारे लिए हालात और भी मुश्किल थे। हम पर दबाव डाला जाता था और हमें अपमानित किया जाता था। कब्जे वाली सेना ने डरा-धमका कर और हमें अपमानित करके हमें तोराह की आयतें, जैसे ‘हम तुम्हें माफ नहीं करेंगे। हम तुम्हारे साथ हैं और हम हमेशा तुम पर नजर रखेंगे।’ पढ़ने के लिए मजबूर किया।”

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