इज़रायली सैनिकों में अब युद्ध लड़ने की कोई इच्छा नहीं: पूर्व जनरल

इज़रायली सैनिकों में अब युद्ध लड़ने की कोई इच्छा नहीं: पूर्व जनरल

इज़रायल के सेवानिवृत्त जनरल इसहाक ब्रिक ने हाल ही में एक गंभीर बयान दिया है, जिसमें उन्होंने इज़रायली सैनिकों के बीच बढ़ती थकान और संघर्ष के प्रति घटती इच्छाशक्ति पर चिंता व्यक्त की। उनके अनुसार, इज़रायल के सैनिक अब युद्ध करने के लिए उत्साहित नहीं हैं और यह स्थिति एक गंभीर समस्या बन गई है।

ब्रिक ने यह भी बताया कि सैनिकों ने अपने नेतृत्व—विशेष रूप से प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, राजनीतिक नेतृत्व और सेना प्रमुख हर्जी हलेवी—पर अपना विश्वास खो दिया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान नेतृत्व में सैनिकों के लिए कोई प्रेरणा नहीं बची है, और यह स्थिति भविष्य में इज़रायल की सुरक्षा और सैन्य तत्परता के लिए खतरनाक हो सकती है।

नेतन्याहू और हर्जी हलेवी को अब इस्तीफा दे देना चाहिए
इसहाक ब्रिक ने नेतन्याहू और हर्जी हलेवी की आलोचना करते हुए कहा कि वे एक स्पष्ट और मजबूत रणनीति के बिना युद्ध की अगुआई कर रहे हैं। उनके अनुसार, नेतन्याहू और हलेवी दोनों ने युद्ध के लिए जो दृष्टिकोण अपनाया है, वह न तो दीर्घकालिक है और न ही कोई ठोस रणनीति दिखाता है। ब्रिक ने सीधे तौर पर कहा कि इन दोनों नेताओं को अब इस्तीफा दे देना चाहिए, क्योंकि उनका नेतृत्व इज़रायल की सुरक्षा के लिए खतरे का कारण बन सकता है।

उन्होंने यह भी कहा कि सेना प्रमुख हर्जी हलेवी अपनी स्थिति बनाए रखने के लिए अपने फैसलों में लचीला रवैया अपनाते हैं और अपने उच्च अधिकारियों को संतुष्ट रखने की कोशिश करते हैं। इस प्रकार, वे अपनी जिम्मेदारी से बचने और केवल अपने पद को बनाए रखने के लिए गलत निर्णय ले रहे हैं, जो सैन्य कार्यवाही के लिए हानिकारक हो सकता है।

ब्रिक ने यह आरोप भी लगाया कि प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इज़रायली सैनिकों और जनता के हितों के बजाय अपनी व्यक्तिगत और राजनीतिक हितों को अधिक प्राथमिकता दी है। उन्होंने कहा कि नेतन्याहू के नेतृत्व में, इज़रायल ने कभी भी अपने नागरिकों और सैनिकों के लिए सही कदम नहीं उठाए।

ब्रिक ने इस उदाहरण के तौर पर यह बताया कि नेतन्याहू ने दो बार इज़रायली बंदियों को छोड़ने का निर्णय लिया। पहली बार जब उन्होंने उन्हें अपहरण करने की अनुमति दी, और दूसरी बार जब उन्होंने एक गलत निर्णय लेते हुए उन्हें रिहा नहीं किया। ब्रिक का कहना है कि नेतन्याहू का यह कदम राजनीतिक स्वार्थ से प्रेरित था, क्योंकि वह अपनी सरकार और पद को बनाए रखने के लिए किसी भी प्रकार का समझौता करने को तैयार थे।

ब्रिक का यह बयान इज़रायल की राजनीति और सेना के भीतर असंतोष की एक और निशानी के रूप में देखा जा रहा है। यह बयान न केवल सैनिकों की मानसिक स्थिति को लेकर चिंता को बढ़ाता है, बल्कि यह इज़रायल के सुरक्षा रणनीति में भी सवाल उठाता है। ब्रिक का यह तर्क है कि अगर इज़रायल को एक प्रभावी और स्थिर नेतृत्व चाहिए, तो उसे अपनी सेना और नेतृत्व में बदलाव लाने की जरूरत है।

popular post

बिहार चुनाव नतीजों के रुझानों ‌में एनडीए को बहुमत, महागठबंधन पीछे 

बिहार चुनाव नतीजों के रुझानों ‌में एनडीए को बहुमत, महागठबंधन पीछे  बिहार चुनाव के शुरुआती

संयुक्त अरब अमीरात ने इस्राईली नागरिकों को वीज़ा देना किया शुरू

कुछ दिनों पहले इस्राईल के साथ अपने संबंधों को सार्वजनिक कर कई समझौते पर हस्ताक्षर

4 दिसंबर भारतीय नौसेना दिवस

4 दिसंबर भारतीय नौसेना दिवस हर देश किसी न किसी तारीख़ को नौसेना दिवस मनाया

कल से शुरू होगी टी-20 सीरीज, जानिए कितने बजे खेला जाएगा मैच

भारतीय टीम फ़िलहाल अपने ऑस्टेलिया के दौरे पर है जहाँ पर अब तक एकदिवसीय सीरीज़

कुछ हफ़्तों में मेड इन इंडिया कोरोना वैक्सीन आने की उम्मीद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

कोरोना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सुबह एक सर्वदलीय बैठक की. पीएम मोदी ने

महाराष्ट्र में बीजेपी को विधान परिषद चुनाव में लगा तगड़ा झटका, सिर्फ एक सीट पर मिल सकी जीत

महाराष्ट्र में बीजेपी को विधान परिषद चुनाव में तगड़ा झटका लगा है. विधान परिषद की

5वें दौर की बैठक: किसानों का दो टूक जवाब हम सरकार से चर्चा नहीं, बल्कि ठोस जवाब चाहते हैं वो भी लिखित में,

कृषि कानूनों को लेकर पिछले 9 दिनों से धरने पर बैठे किसानों के साथ केंद्र

रूस की नसीहत, वेस्ट बैंक में एकपक्षीय कार्रवाई से बचे इस्राईल

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोफ़ ने मेडिटरेनीयन डायलॉग्स बैठक को संबोधित करते हुए कहा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *