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इज़रायली सैनिकों ने ‘हनज़ला’ जहाज़ पर हमला किया

इज़रायली सैनिकों ने ‘हनज़ला’ जहाज़ पर हमला किया

इज़रायली सैनिकों ने ‘हनज़ला’ नामक जहाज़ पर चढ़ाई कर एक बार फिर ग़ाज़ा की नाकाबंदी तोड़ने के लिए आए अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को वहां पहुंचने से रोक दिया।रविवार तड़के इज़रायली सेना ने उस जहाज़ पर धावा बोल दिया जो ग़ाज़ा पट्टी की 17 साल पुरानी घेराबंदी तोड़ने के उद्देश्य से रवाना हुआ था। इस जहाज़ का नाम हनज़ला था और इसे इज़रायली सेना ने ज़ब्त कर लिया है तथा उसका नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है।

यह जहाज़ 21 अंतरराष्ट्रीय कार्यकर्ताओं को लेकर जा रहा था, जिनमें विभिन्न देशों के सांसद, कलाकार और पत्रकार शामिल थे। यह अभियान “फ्रीडम फ़्लोटिला अलायंस” नामक वैश्विक मुहिम का हिस्सा था जिसका उद्देश्य ग़ाज़ा की नाकाबंदी समाप्त करना है। इस जहाज़ की यात्रा को यूट्यूब पर लाइव दिखाया जा रहा था और उसकी पल-पल की राडार तस्वीरें भी साझा की जा रही थीं।

इज़रायली सूत्रों के मुताबिक, इस देश की नौसेना की विशेष यूनिट “कमांडो 13” ने तेज़-रफ़्तार नौकाओं के ज़रिए जहाज़ पर हमला किया, उसके डेक पर चढ़े और सबसे पहले निगरानी कैमरों को निष्क्रिय किया। इसके बाद घोषणा की गई कि, जहाज़ को अशदोद बंदरगाह ले जाया जाएगा और सभी सवार लोगों को हिरासत में लेकर फ़िलिस्तीन के क़ब्ज़े वाले क्षेत्र से निष्कासित कर दिया जाएगा।

इससे पहले, “ग़ाज़ा की नाकाबंदी तोड़ने के लिए अंतरराष्ट्रीय समिति” ने चेतावनी दी थी कि अगर जहाज़ को रोका गया या ज़ब्त किया गया, तो उस पर सवार सभी लोग अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर देंगे। इस समिति ने यह भी बताया था कि इज़रायली ड्रोन लगातार जहाज़ के ऊपर उड़ान भर रहे थे और कुछ विदेशी सरकारों के माध्यम से इज़रायल ने इस जहाज़ को ज़ब्त करने की धमकी पहले ही पहुंचा दी थी।

इस अभियान के संचालन दल की सदस्य “हुवैदा आराफ़” ने अल-जज़ीरा से बातचीत में कहा कि, इज़रायल की धमकियाँ वास्तविक हैं और उसका मक़सद है कि कोई भी सहायता या व्यावहारिक कोशिश ग़ाज़ा की नाकाबंदी को चुनौती देने में सफल न हो।

इज़रायली शासन पहले ही साफ कर चुका था कि वह हनज़ला को ग़ाज़ा नहीं पहुंचने देगा और ज़रूरत पड़ी तो बल प्रयोग भी करेगा — जैसा कि उसने 2010 में “मावी मरमरह” नामक जहाज़ पर किया था, जिसमें 10 तुर्की नागरिक मारे गए थे और अन्य कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया था। हनज़ला जहाज़, “फ़्रीडम फ़्लोटिला” अभियान का 37वां जहाज़ है, जो 2007 से अब तक ग़ाज़ा की नाकाबंदी तोड़ने के लिए भेजा जा चुका है।

इसी तरह 19 जून को मेडलिन नामक एक स्वीडिश जहाज़, जो मानवीय सहायता लेकर ग़ाज़ा जा रहा था, को भी इज़रायली नौसेना ने अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में रोक लिया था। उस जहाज़ में कई यूरोपीय देशों के कार्यकर्ता सवार थे, जिनमें स्वीडन की किशोर पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा गुटबर्ग भी शामिल थीं। उस जहाज़ को भी अशदोद बंदरगाह ले जाया गया और सभी कार्यकर्ताओं को देश से निकाल दिया गया, बावजूद इसके कि मानवाधिकार संस्थाओं ने पहले ही चेतावनी दी थी।

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