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इजरायली जनता नेतन्याहू से परेशान, इस्तीफे की मांग

इजरायली जनता नेतन्याहू से परेशान, इस्तीफे की मांग

लगातार एक साल से ज्यादा समय तक चल रही जंग और 45,000 से ज्यादा फिलिस्तीनियों की शहादत के बावजूद, 7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा बंधक बनाए गए इजरायली नागरिकों को छुड़ाने में असफल रहने के बाद, इजरायल की जनता प्रधानमंत्री नेतन्याहू से तंग आ चुकी है। उनके इस्तीफे और देश में तुरंत चुनाव कराने की मांग को लेकर शनिवार को पूरे देश में लोग सड़कों पर उतर आए। जनता ने आरोप लगाया कि नेतन्याहू सत्ता में बने रहने के लिए जंग को जारी रखना चाहते हैं और बंधकों की रिहाई के समझौते में बाधा डाल रहे हैं।

कहां-कहां हुए प्रदर्शन?

नेतन्याहू, जो इजरायल के इतिहास की सबसे कट्टर दक्षिणपंथी सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं, के खिलाफ शनिवार शाम को जिन शहरों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए उनमें राजधानी तेल अवीव के अलावा हाइफा, बेयर शेवा और पश्चिमी येरुशलम शामिल हैं। सबसे बड़ा प्रदर्शन तेल अवीव में रक्षा मंत्रालय के बाहर हुआ। प्रदर्शनकारियों ने बैनर और पोस्टर लेकर नेतन्याहू और उनकी सरकार की कड़ी निंदा की।

कपलान स्ट्रीट पर रक्षा मंत्रालय के पास प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए विपक्षी नेता और पूर्व प्रधानमंत्री याइर लैपिड ने जनता से अगली बार चुनाव में मौजूदा सरकार को उखाड़ फेंकने का आह्वान किया। उन्होंने यह संकल्प व्यक्त किया कि उनकी पार्टी नेतन्याहू से किसी भी तरह के समझौते नहीं करेगी और न ही पीछे हटेगी। लैपिड ने प्रधानमंत्री को उनकी उपनाम ‘बीबी’ से संबोधित करते हुए कहा, “हम जीतेंगे। बीबी मजबूत नहीं हो रहे हैं। जनता उनके साथ नहीं है। देश में चुनाव नहीं हो रहे हैं क्योंकि वे चुनाव से डरते हैं। उन्हें सच्चाई का पूरा एहसास है।”

समझौतों में रुकावट

तुर्की की समाचार एजेंसी ‘अनादोलु’ के अनुसार, तेल अवीव में प्रदर्शन से पहले एक इजरायली बंधक मटान जेंगाउकर ने नेतन्याहू पर आरोप लगाया कि वह बंधकों की रिहाई के लिए चल रही बातचीत में रुकावट डाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि नेतन्याहू अपने राजनीतिक हितों को प्राथमिकता देते हुए गाजा में जंग जारी रखे हुए हैं और युद्धविराम के साथ-साथ कैदियों के आदान-प्रदान के समझौते को नहीं होने दे रहे हैं।

एक बुजुर्ग महिला ने अपने बेटे समेत सभी बंधकों की रिहाई पर जोर देते हुए युद्धविराम की भी वकालत की। उन्होंने कहा, “युद्धविराम न तो कोई बाधा है और न ही कोई कीमत। सभी कैदियों को वापस लाने के लिए युद्ध को खत्म करना ही हमारा लक्ष्य होना चाहिए।”

यह बात ध्यान देने योग्य है कि एक साल से अधिक समय से जारी जंग, गाजा को मलबे में तब्दील कर देने और 45,000 से ज्यादा फिलिस्तीनियों को शहीद करने के बावजूद नेतन्याहू की सरकार हमास जैसे छोटे संगठन की कैद से अपने 101 बंधकों को रिहा नहीं करा पाई है। हमास ने यह साबित करने के लिए सबूत पेश किए हैं कि ये बंधक उनकी कैद में जिंदा हैं। कुछ बंधक गाजा पर खुद इजरायली हमलों के कारण मारे गए हैं।

युद्धविराम की कितनी उम्मीद, कितनी निराशा?

एक तरफ जहां अमेरिकी और अन्य सूत्रों का कहना है कि हमास और इजरायल युद्धविराम समझौते के करीब पहुंच चुके हैं, वहीं तुर्की की समाचार एजेंसी ‘अनादोलु’ की रिपोर्ट के अनुसार, इजरायली सरकार अभी भी इस समझौते से बहुत दूर है। इजरायली अधिकारियों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, तेल अवीव हमास को हराए बिना युद्ध को खत्म नहीं करना चाहता।

यह महत्वपूर्ण है कि गाजा को पूरी तरह से मलबे में तब्दील कर देने के बावजूद इजरायल हमास को हराने में असफल है। एक ओर जहां इजरायल में नेतन्याहू के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सब कुछ खो चुके गाजा के लोग हमास के खिलाफ कुछ भी कहते हुए सुनाई नहीं दे रहे हैं।

काहिरा में युद्धविराम से संबंधित चल रही बातचीत के बारे में इजरायल के एक अधिकारी ने कहा कि अभी कई मुद्दे ऐसे हैं जिन्हें हल किया जाना बाकी है। अधिकारी के अनुसार, “हमास को खत्म किए बिना नेतन्याहू का युद्ध रोकने का कोई इरादा नहीं है।”

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