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नेतन्याहू पर युद्ध-विराम के लिए इज़रायली जनता का दबाव, हज़ारों लोग सड़कों पर उतरें 

नेतन्याहू पर युद्ध-विराम के लिए इज़रायली जनता का दबाव, हज़ारों लोग सड़कों पर उतरें 
इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को ग़ाज़ा में युद्ध-विराम और क़ैदियों की रिहाई के लिए जनता के जबरदस्त दबाव का सामना करना पड़ रहा है। सेना की ओर से ग़ाज़ा शहर पर क़ब्ज़े की तैयारियों से पहले हज़ारों प्रदर्शनकारी शनिवार की रात तेल अवीव और अन्य शहरों की सड़कों पर उतरे और सरकार से मांग की कि हमास के साथ समझौता किया जाए।
कई महीनों की अप्रत्यक्ष बातचीत के बावजूद इज़रायल और हमास के बीच युद्ध-विराम पर कोई नतीजा नहीं निकला। इज़रायली मीडिया के अनुसार नेतन्याहू की सरकार में शामिल अतिदक्षिणपंथी मंत्री किसी भी समझौते के सख़्त विरोधी हैं। वित्तमंत्री बेज़ालेल स्मोट्रिच ने क़ैदियों के परिवारों से कहा कि, अगर नेतन्याहू युद्ध-विराम पर राज़ी हुए तो वे सरकार छोड़ देंगे।
इज़रायली विपक्षी नेता और पूर्व रक्षामंत्री बेनी गैंट्ज़ ने शनिवार को प्रस्ताव दिया कि “फ़िदा अल-ओसरा” नाम से छह महीने के लिए एक राष्ट्रीय सरकार बनाई जाए ताकि समझौता संभव हो सके। उन्होंने कहा कि अगर नेतन्याहू इसके लिए तैयार नहीं हुए तो यह साफ़ हो जाएगा कि हर संभव कोशिश कर ली गई है।
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक़, नेतन्याहू के लिए यह प्रस्ताव स्वीकार करना मुश्किल है क्योंकि उनका राजनीतिक अस्तित्व दक्षिणपंथी सहयोगियों पर टिका है। गैंट्ज़ के अनुसार इस अंतरिम सरकार का पहला लक्ष्य ग़ाज़ा में मौजूद सभी 50 क़ैदियों की रिहाई होना चाहिए, जिनमें से 20 के ज़िंदा होने की संभावना है। इसके बाद अगले साल चुनाव कराए जाएं।
क़ैदियों के परिजनों ने भी सरकार से तुरंत समझौते की मांग की है। एनाफ़ ज़ांगा-ओकर, जिनका बेटा मातान हमास के 7 अक्तूबर 2023 के हमले में पकड़ा गया था, तेल अवीव में सेना मुख्यालय के सामने प्रदर्शन करते हुए बोलीं: “हमारे बेटे 687 दिनों से ग़ाज़ा में नर्क जैसी हालत में क़ैद हैं।” उन्होंने कहा कि नेतन्याहू आज ही उस समझौते पर दस्तख़त कर सकते हैं जिसके तहत 10 ज़िंदा क़ैदियों और 18 लाशों की वापसी संभव है। वह बाक़ी क़ैदियों की रिहाई के लिए भी तुरंत बातचीत शुरू कर सकते हैं और इस युद्ध को ख़त्म कर सकते हैं।
हमास ने पिछले हफ़्ते घोषणा की थी कि उसने मध्यस्थों को युद्ध-विराम के एक नए प्रस्ताव पर “सकारात्मक जवाब” दे दिया है। बताया जाता है कि यह प्रस्ताव अमेरिकी दूत स्टीव व्हाइटकोफ़ की पुरानी पेशकश का संशोधित रूप है। इसमें 60 दिन का युद्धविराम और 10 इज़रायली क़ैदियों के बदले फ़िलिस्तीनी क़ैदियों की रिहाई शामिल है।
दूसरी ओर, बेंजामिन नेतन्याहू ने गुरुवार को ऐलान किया कि सेना ग़ाज़ा शहर पर क़ब्ज़े की योजना को मंज़ूरी दे चुकी है। यह शहर, जो युद्ध से बुरी तरह तबाह है और अब भी लगभग 10 लाख लोगों का घर है, को हमास को पूरी तरह ख़त्म करने के लक्ष्य से निशाना बनाया जाएगा।
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