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ग़ाज़ा में 6 हफ्तों में भुखमरी के शिकार 800 लोगों की, इज़रायली फौज ने हत्या की: संयुक्त राष्ट्र

ग़ाज़ा में 6 हफ्तों में भुखमरी के शिकार 800 लोगों की, इज़रायली फौज ने हत्या की: संयुक्त राष्ट्र

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय ने शुक्रवार को जारी किए गए आंकड़ों के हवाले से बताया कि पिछले 6 हफ्तों के दौरान इज़रायली सेना ने ग़ाज़ा में उन सहायता केंद्रों पर हमले किए जहाँ भुखमरी से जूझ रहे लगभग 800 लोग जमा होते थे। ये लोग खाने-पीने की चीज़ों की तलाश में अमेरिका समर्थित “ग़ज़ा ह्यूमेनिटेरियन फाउंडेशन” (GHF) के केंद्रों पर पहुंचते थे।

ग़ौरतलब है कि इज़रायल ने ग़ाज़ा में संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी UNRWA पर पाबंदी लगा दी है, जो युद्धग्रस्त लोगों में अंतरराष्ट्रीय सहायता बाँट रही थी। अब उसकी जगह GHF के ज़रिए राहत सामग्री बाँटी जा रही है, जिसकी कमान इज़रायल के हाथ में है और अमेरिका इसका पूरी तरह समर्थन कर रहा है।संयुक्त राष्ट्र ने इस व्यवस्था को “स्वाभाविक रूप से असुरक्षित” और मानवतावादी निष्पक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन बताया है।

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) की प्रवक्ता रोवेना शमदासानी ने जिनेवा में बताया: “7 जुलाई तक हमने 798 मौतें दर्ज की हैं, जिनमें से 615 GHF केंद्रों के पास और 183 संभवतः राहत काफ़िलों के रास्ते में हुई हैं।” GHF ने मई के अंत से ग़ाज़ा में खाद्य पैकेट बाँटने की शुरुआत की थी।

ग़ाज़ा अब बच्चों और भूखों की क़ब्रगाह बन चुका है

इसी बीच UNRWA के प्रमुख फिलिप लाज़ारिनी ने ग़ाज़ा की स्थिति को “फ़िलिस्तीनी जनता के क़त्लेआम की सबसे क्रूर और धूर्त योजना” करार दिया। उन्होंने शुक्रवार को 9 बच्चों की शहादत का ज़िक्र करते हुए कहा, “ये बच्चे राहत सामग्री के लिए लाइन में खड़े थे जब उन्हें गोली मारी गई।” उन्होंने X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा: “ग़ाज़ा अब बच्चों और भूखों की क़ब्रगाह बन चुका है।”

माम मानवाधिकार सिद्धांत ग़ाज़ा की मिट्टी में दफ़न हो रहे हैं

उन्होंने कहा: “इन लोगों के पास कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा — या तो भूख से मरें या सहायता केंद्रों पर गोली का शिकार बनें।” फिलिप ने विश्व समुदाय को झकझोरते हुए कहा कि उनके तमाम मानवाधिकार सिद्धांत ग़ाज़ा की मिट्टी में दफ़न हो रहे हैं।

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