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इस्राईल चुनाव, लिकुड सबसे बड़ा दल लेकिन नेतन्याहू बहुमत से दूर

दो साल से भी कम समय और देश में चौथे संसदीय चुनाव , यह कहानी है इस्राईल की जहाँ लंबे समय से सत्ता पर क़ाबिज़ नेतन्याहू एक बार फिर सत्ता में वापसी के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
नेतन्याहू ने दो साल से भी कम समय में हुए चौथे चुनाव में जीत का दावा किया है, लेकिन वह एक बार फिर पूर्ण बहुमत से दूर रह नज़र आ रहे हैं। सबसे लम्बे समय तक देश के प्रधानमंत्री रहे नेतन्याहू ने उम्मीद जताई थी कि मंगलवार को हुए चुनाव में वह दक्षिणपंथी गठबंधन को अपने साथ आने के लिए मना लेंगे।

इस्राईल के तीन अग्रणी ब्रॉडकास्टरों के एक्ज़िट पोल के अनुमान के मुताबिक, 120-सदस्यीय संसद ‘द नेसेट’ में सबसे ज़्यादा सीटों पर नेतन्याहू के दक्षिणपंथी लिकुड को ही जीत मिलने की संभावना जताई जा रही थी। इस सर्वे में लिकुड के धार्मिक सहयोगियों को जोड़ कर नेतन्याहू-समर्थक कैम्प को कुल 50 से अधिक सीटें दी गयी थी। लेकिन दक्षिणपंथी गठबंधन की जीत का दारोमदार उनके पूर्व सहयोगी नफ्ताली बेनेट से होने वाले समझौते पर है, जिन्होंने प्रधानमंत्री के विरोधियों में शामिल होने की संभावना से इंकार नहीं किया है।
इस्राईल चुनाव के आरंभिक नतीजों में लिकुड पार्टी के नेतृत्व वाले दक्षिणपंथी धड़े और उनके सहयोगी दलों को 120 में 53 सीटें मिली हैं। जबकि बिखरे हुए विपक्षी दलों को 59 सीटें मिली हैं।

 

 

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