ग़ाज़ा में शरणार्थी कैंपों पर इज़रायली बमबारी, 20 फिलिस्तीनी शहीद
ग़ाज़ा पट्टी: ग़ाज़ा में इज़रायली हमलों का सिलसिला लगातार जारी है, जिसके कारण फिलिस्तीनी जनता को लगातार भारी जान-माल का नुकसान उठाना पड़ रहा है। ताज़ा घटना में इज़रायली सेना ने ग़ाज़ा के दो प्रमुख शरणार्थी कैंपों पर भीषण हवाई बमबारी की, जिसके कारण 20 निर्दोष फिलिस्तीनी नागरिकों की जान चली गई, जिनमें महिलाएं और मासूम बच्चे भी शामिल हैं। इस हमले में दर्जनों अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गए, जिनमें से 5 की हालत चिंताजनक बनी हुई है।
रिपोर्टों के अनुसार, इज़रायली सेना ने नुसरत कैंप के अलावा जैतून और शेख़ रिजवान इलाकों में स्थित शरणार्थी शिविरों को निशाना बनाया, जहां बड़ी संख्या में विस्थापित फिलिस्तीनी परिवारों ने शरण ली थी। इज़रायली सेना के अनुसार, ये हमले उनकी सुरक्षा के लिए जरूरी थे, जबकि दूसरी ओर फिलिस्तीनी अधिकारियों का कहना है कि ये हमले आम नागरिकों को निशाना बनाने के इरादे से किए गए हैं, जिनका मकसद फिलिस्तीनी जनता पर दबाव बनाना और उन्हें आतंकित करना है।
यह ताज़ा हमला तब हुआ है, जब इज़रायली सेना ने कुछ दिन पहले ही एक बयान में स्वीकार किया था कि पिछले साल नवंबर में उनके ही एक हवाई हमले में 3 इज़रायली बंधकों की मौत हो गई थी। इस बयान ने इज़रायली हमलों की विश्वसनीयता और नागरिक हताहतों के मामले पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, इज़रायली बमबारी के कारण ग़ाज़ा में अब तक 41,000 से अधिक फिलिस्तीनी शहीद हो चुके हैं, जिनमें बड़ी संख्या में बच्चे और महिलाएं शामिल हैं। इसके अलावा, घायलों की संख्या 95,000 से अधिक हो गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी 649 पृष्ठों की एक विस्तृत सूची में 34,344 शहीदों के नाम शामिल हैं, जिसमें लड़ाकों और आम नागरिकों के बीच कोई स्पष्ट विभाजन नहीं किया गया है।
इस सूची के अनुसार, 18 साल से कम उम्र के लगभग 11,355 बच्चे और किशोर शहीद हुए हैं, जबकि इस संघर्ष में 100 और 101 साल की उम्र के दो बुज़ुर्ग भी शामिल हैं।
ग़ाज़ा में बिगड़ती स्थिति और बढ़ते नागरिक हताहतों के बावजूद अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया अपेक्षाकृत धीमी रही है, जिससे फिलिस्तीनी जनता में गहरा असंतोष और निराशा व्याप्त है। इज़रायल और हमास के बीच लंबे समय से चल रहे इस संघर्ष में अब तक हजारों निर्दोष नागरिकों की जानें जा चुकी हैं, और यह स्पष्ट नहीं है कि इस हिंसा का कोई ठोस अंत कब और कैसे होगा।
इंटरनेशनल मानवाधिकार संगठनों ने इन ताज़ा हमलों की कड़ी निंदा की है और इस क्षेत्र में तुरंत शांति स्थापना के लिए गंभीर कदम उठाने की मांग की है। फिलिस्तीनी जनता के लिए बुनियादी सुविधाएं जैसे स्वास्थ्य सेवाएं, पानी और बिजली की कमी लगातार एक बड़ी चुनौती बनी हुई है, और यह संघर्ष उनके जीवन को और अधिक कठिन बना रहा है।