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इज़रायली हमले ने ईरानी जनता की एकता को और मज़बूत कर दिया

इज़रायली हमले ने ईरानी जनता की एकता को और मज़बूत कर दिया

 

ब्रिटिश पत्रिका फाइनेंशियल टाइम्स ने एक रिपोर्ट में लिखा:

“इज़रायल का ईरान पर हमला न केवल सरकार को कमज़ोर करने में असफल रहा, बल्कि अप्रत्याशित रूप से ईरानी राष्ट्रवाद को जगाने और जनता की एकता को मज़बूत करने का कारण बन गया। यह हमला इज़रायल की अपेक्षाओं के विपरीत परिणाम लेकर आया।”

ख़बर ऑनलाइन के अनुसार, ज़ायोनी शासन ने 13 जून को यह दावा करते हुए कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम एक ख़तरा है, इस्लामी गणराज्य पर हमले शुरू किए, जिससे तेहरान और तेल-अवीव के बीच 12 दिन तक टकराव जारी रहा। ईसना के अनुसार, पश्चिमी और इज़रायली मीडिया की भी यह स्वीकारोक्ति है कि, ईरानी जनता की व्यापक उपस्थिति ने ज़ायोनी योजना को पूरी तरह विफल कर दिया।

इसी संदर्भ में फाइनेंशियल टाइम्स ने लिखा:

“ईरानी फिल्म अभिनेता और पुरस्कार विजेता रज़ा कियानीयान, जो लंबे समय से सरकार के आलोचक माने जाते हैं, इज़रायली हमले शुरू होते ही सरकार के समर्थन में खड़े हो गए। यह उस राष्ट्रवादी जोश का हिस्सा है, जिसने युद्ध शुरू होने के बाद पूरे 9 करोड़ की आबादी वाले देश को अपनी लपेट में ले लिया है। कियानीयान ने इंस्टाग्राम पर लिखा: ‘ईरान था, है और रहेगा।’”

ब्रिटिश पत्रिका ने ईरान में ‘जागे हुए राष्ट्रवाद’ का हवाला देते हुए लिखा:
“इस नव जागृत एकता की भावना ने, एक ऐसे देश में जो पहले विभाजित माना जा रहा था, देश-विदेश के विश्लेषकों और राजनेताओं को चौंका दिया है। जब इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान की जनता से सरकार के ख़िलाफ़ विद्रोह की अपील की, तो इससे जनता में राष्ट्रवादी भावनाएं और ज़्यादा प्रबल हो गईं और ईरानियों ने आंतरिक असंतोष से ऊपर उठकर राष्ट्रीय एकता को तरजीह दी।”
74 वर्षीय कियानीयान ने फाइनेंशियल टाइम्स से कहा:

“कोई भी इंसान जो ईरान से बाहर बैठा है, हमें यह नहीं बता सकता कि हमें अपनी सरकार के ख़िलाफ़ उठना चाहिए या नहीं। यह मेरा देश है। मुझे तय करना है कि क्या करना है। मैं किसी के कहने का इंतज़ार नहीं करता।”

पत्रिका आगे लिखती है:

“ऐसे हालात में, तेहरान में लगे बैनर राष्ट्रवाद को बढ़ावा दे रहे थे और ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह सैयद अली ख़ामेनई ने गुरुवार को देश की ‘असाधारण एकता’ की सराहना की। उन्होंने एक वीडियो संदेश में कहा: ‘90 मिलियन की आबादी वाला देश एकजुट खड़ा हुआ, एक ही आवाज़ में प्रतिरोध किया, और कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहा, बिना आपसी मतभेदों को सामने लाए। संकट की घड़ी में, एक ही आवाज़ पूरे देश से गूंजी।’ उनका स्पष्ट उद्देश्य इस राष्ट्रीय एकता को बनाए रखना था।”

रिपोर्ट के अंत में पत्रिका लिखती है:
“ऐसा प्रतीत होता है कि यह युद्ध ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम, इज़रायल के समर्थकों पर कार्रवाई और यहां तक कि परमाणु बम हासिल करने की इच्छा—जिसे इस्लामी गणराज्य आधिकारिक तौर पर नकारता है—के लिए घरेलू समर्थन को और बढ़ा रहा है।”
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