ग़ाज़ा के चर्च पर इज़रायली सेना का हमला, इटली ने तोड़ी चुप्पी
ग़ाज़ा पट्टी में इज़रायली बमबारी का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। अबकी बार निशाना बना है ग़ाज़ा का एकमात्र कैथोलिक गिरजाघर – Holy Family Church, जिसे दशकों से वहां के ईसाई अल्पसंख्यकों की आस्था का केंद्र माना जाता रहा है।इटली की समाचार एजेंसी द्वारा ग़ाज़ा में इकलौते कैथोलिक गिरजाघर पर इज़रायली हमले और उसमें हुई मौतों की खबर के बाद, इटली की प्रधानमंत्री ने आधिकारिक बयान जारी किया है।
फार्स न्यूज़ एजेंसी की अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के अनुसार:
इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने गुरुवार को पुष्टि की कि इज़रायल द्वारा ग़ाज़ा में किए गए हमलों ने उस क्षेत्र के एकमात्र कैथोलिक गिरजाघर को निशाना बनाया है।इतालवी समाचार एजेंसी ANSA ने गुरुवार को बताया कि इज़रायली सेना के आज के हमले में ग़ाज़ा के कैथोलिक गिरजाघर पर बमबारी की गई, जिसमें दो लोग मारे गए।
हालांकि इटली और अन्य पश्चिमी देश शुरू से ही ग़ाज़ा में जारी जनसंहार को “इज़रायल की आत्मरक्षा का अधिकार” बताकर समर्थन करते आए हैं, लेकिन आज प्रधानमंत्री मेलोनी ने एक बयान में नागरिकों पर हमलों को “अस्वीकार्य” बताया और इसकी निंदा की। ताज़ा रिपोर्टों के मुताबिक, ग़ाज़ा में इज़रायली हमलों में अब तक कम से कम 58,000 लोग, जिनमें 20,000 बच्चे भी शामिल हैं, शहीद हो चुके हैं और लगभग 1,40,000 फिलिस्तीनी घायल हुए हैं।
इज़रायल की कट्टर समर्थक मानी जाने वाली इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने इस बार खुद को अलग स्थिति में पाया। वेटिकन सिटी की मेज़बानी करने वाले देश की नेता होने के नाते, उन्हें ग़ाज़ा में कैथोलिक गिरजाघर पर हमले के जवाब में प्रतिक्रिया देनी पड़ी।
मेलोनी ने कहा:
ग़ाज़ा के पवित्र परिवार चर्च पर हुआ हमला अस्वीकार्य है। नागरिकों और धार्मिक स्थलों को निशाना बनाना अंतरराष्ट्रीय कानूनों का घोर उल्लंघन है और इसकी हम कड़ी निंदा करते हैं।”
यह वही इटली है जिसने अब तक ग़ाज़ा पर इज़रायली हमलों को “आत्मरक्षा” बताकर समर्थन दिया था। लेकिन जब हमला ईसाई धर्मस्थलों और नागरिकों पर हुआ, तब जाकर नैतिक जिम्मेदारी निभाई गई। यही दोहरा मापदंड कई देशों में गुस्से का कारण बनता है, जब हजारों मुसलमानों की मौत पर चुप्पी रहती है, लेकिन चर्च पर हमला होते ही “मानवाधिकार” जाग उठते हैं।

