इज़रायली सेना का ग़ाज़ा में कैफ़े पर हमला, फ़िलिस्तीनी महिला आर्टिस्ट शहीद
इज़रायली सेना ने ग़ाज़ा के एक कैफ़े पर मिसाइल हमला कर मशहूर फ़िलिस्तीनी महिला कलाकार फ्रांस अल-सालमी और फ़ोटो जर्नलिस्ट इस्माइल अबू हातिब समेत 33 निर्दोष फ़िलिस्तीनियों को शहीद कर दिया। विदेशी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, इज़रायल ने 50 हवाई हमले किए और जबरन निकासी के आदेशों के बाद पूर्वी ग़ाज़ा को बेरहमी से निशाना बनाना शुरू कर दिया है।
इज़रायली सैनिकों की क्रूरता यहीं नहीं रुकी — सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों और वीडियो में देखा गया कि कुछ सैनिक शहीद फ़िलिस्तीनी महिला के कपड़े पहनकर हँसी उड़ाते नज़र आए, और ग़ाज़ा के मासूम बच्चों की टूटी हुई साइकिलों पर बैठकर फ़ोटो खिंचवा रहे थे। यह हरकत न केवल मानवीय संवेदनाओं का अपमान है बल्कि युद्ध के नैतिक नियमों की सीधी अवहेलना है।
नासिर अस्पताल के अनुसार, ग़ाज़ा में बच्चों में गर्दन तोड़ बुखार के 35 केस सामने आ चुके हैं, जबकि खान यूनुस में 4 और फ़िलिस्तीनी नागरिक इज़रायली बमबारी में शहीद हो गए। पिछले ही दिन ग़ाज़ा में राहत के इंतज़ार में बैठे बच्चों और नागरिकों पर किए गए हमलों में 72 लोग मारे गए थे।
इज़रायली अत्याचारों के खिलाफ नीदरलैंड्स के अलमेरे शहर में लोगों ने हज़ारों बच्चों के जूते सड़क पर रखकर एक अनोखा विरोध दर्ज किया। ऐसा ही एक प्रदर्शन पहले रॉटरडैम में हुआ था जिसमें 8000 बच्चों के जूते रखकर वैश्विक चुप्पी पर सवाल खड़े किए गए थे।
संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनिसेफ़ की रिपोर्ट बताती है कि अक्टूबर 2023 से अब तक ग़ाज़ा में 50,000 से ज़्यादा बच्चे शहीद या घायल हो चुके हैं। इज़रायली सैनिकों की यह बर्बरता पूरी दुनिया के लिए एक शर्मनाक चेतावनी है कि, क्या मानवता अब भी ज़िंदा है? या फिर पूरी तरह ख़त्म हो चुकी है।

