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ग़ाज़ा में इज़रायली-अमेरिकी होलोकॉस्ट

ग़ाज़ा में इज़रायली-अमेरिकी होलोकॉस्ट

ग़ाज़ा पट्टी में इज़रायली बमबारी के बीच हालात बदतर होते जा रहे हैं। हाल ही में ग़ाज़ा के दिर अल-बलाह क्षेत्र में स्थित शहीद अल-अक्सा अस्पताल पर इज़रायली सेना द्वारा किए गए हमलों ने फिलिस्तीनियों की पीड़ा को और भी बढ़ा दिया है। इस हमले में कई निर्दोष नागरिकों, जिनमें बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग शामिल थे, की शहादत हुई और दर्जनों लोग गंभीर रूप से घायल हुए। यह घटना इज़रायली आक्रमण की क्रूरता और फिलिस्तीनी नागरिकों पर हो रहे अत्याचारों को उजागर करती है।

इज़्ज़त अल-रिशक का बयान
हमास नेता इज़्ज़त अल-रिशक ने इस हमले को एक “नया होलोकॉस्ट” करार दिया, जो नाजी शैली में इज़रायली सेना द्वारा अमेरिकी हथियारों के सहयोग से अंजाम दिया गया। अल-रिशक ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निष्क्रियता और असहायता के चलते इस तरह के हमलों को अंजाम दिया जा रहा है, जहां बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को शरणार्थी कैंपों और आश्रयों में जलाकर मार डाला जा रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यह एक ऐसा अपराध नहीं है जो अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस जनसंहार को रोकने के लिए जागरूक करेगा, जो एक साल से अधिक समय से चल रहा है?

जनसंहार और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की असफलता
अल-रिशक ने आगे कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस स्थिति में कोई ठोस कदम नहीं उठाएगा और इज़रायली शासन अपने अपराधों के लिए सज़ा से बचता रहेगा। फिर भी, उन्होंने जोर देकर कहा कि हमास अपने लोगों के लिए आवाज़ उठाना बंद नहीं करेगा। उन्होंने फिलिस्तीनी जनता से अपील की कि वे अपने भाइयों के खिलाफ हो रही इस हिंसा को सामान्य न मानें और इसे सहन करने की आदत न डालें। “अब समय है कि आप जो भी कर सकते हैं करें। दुश्मन को यह महसूस नहीं होना चाहिए कि ग़ज़ा के लोग अकेले हैं।

अस्पताल और स्कूल पर हमला
ग़ाज़ा पट्टी अब कोई कोई सुरक्षित स्थान नहीं है। इज़रायली सेना द्वारा शहीद अल-अक्सा अस्पताल और उससे पहले अल-मुफ्ती स्कूल पर किए गए हमले यह साबित करते हैं कि ग़ाज़ा में अब कोई सुरक्षित स्थान नहीं बचा है। ग़ाज़ा के सिविल डिफेंस मंत्रालय ने पुष्टि की कि यह हमले न केवल फिलिस्तीनी जनता को आतंकित करने के उद्देश्य से किए जा रहे हैं, बल्कि इज़रायल की आक्रामकता का स्पष्ट संकेत भी हैं।

इससे पहले भी इज़रायली सेना द्वारा शरणार्थी कैंपों पर किए गए हमलों में कई नागरिकों की जान जा चुकी है। हाल ही में एक स्कूल पर गोलाबारी के कारण कम से कम 20 लोग शहीद हो गए थे, जिनमें कई महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। यह हमले यह साबित करते हैं कि इज़रायली सेना फिलिस्तीनियों के खिलाफ निरंतर युद्ध और दमनकारी कार्रवाई कर रही है, जिससे फिलिस्तीनी जनता के पास सुरक्षित शरण की कोई जगह नहीं बची है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं और मौन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई देशों और संगठनों ने इस हमले की निंदा की है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। कई मानवाधिकार संगठनों ने इसे युद्ध अपराध करार दिया है और इसे रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की मांग की है, लेकिन इज़रायल पर कोई दबाव डालने में असमर्थ दिख रहे हैं। इज़रायल को अमेरिकी समर्थन और हथियारों की आपूर्ति के कारण यह आक्रमण और भी बढ़ते जा रहे हैं।

ग़ाज़ा में इस प्रकार के हमले न केवल फिलिस्तीनियों के लिए जीवन और मौत का सवाल हैं, बल्कि यह वैश्विक राजनीति और मानवाधिकारों के मुद्दे को भी गंभीर रूप से चुनौती देते हैं। जब तक अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस जनसंहार को रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाएगा, तब तक फिलिस्तीनी जनता को इस प्रकार की बर्बरता का सामना करना पड़ता रहेगा।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए IscPress उत्तरदायी नहीं है।

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