इज़रायल: युद्ध कैबिनेट भंग, चुनाव की मांग, जनता सड़कों पर उतरी
यरुशलम: अपना शासन बचाने के लिए पिछले 8 महीनों से गाजा पर लगातार बमबारी करने वाले इज़रायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। ग़ाज़ा युद्ध के लिए बनाई गई 6 सदस्यीय युद्ध कैबिनेट से एक के बाद एक 2 सदस्यों के इस्तीफे के बाद नेतन्याहू को जहां इस कैबिनेट को भंग करना पड़ा, वहीं उन्हें जनता के भारी विरोध और नाराजगी का सामना भी करना पड़ रहा है। युद्ध कैबिनेट के भंग किए जाने के बाद दसियों हजार इज़रायली नागरिकों ने तेल अवीव में नेतन्याहू के इस्तीफे और देश में नए चुनाव की मांग करते हुए जोरदार प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारी बंधकों की तत्काल रिहाई की भी मांग कर रहे थे। वे प्रधानमंत्री के निवास तक पहुंच गए जिन्हें रोकने के लिए नेतन्याहू सरकार को बल प्रयोग करना पड़ा। इस दौरान कई प्रदर्शनकारी घायल हुए और कम से कम 8 को गिरफ्तार किया गया। सरकार भले ही बलपूर्वक प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश कर रही है, लेकिन आने वाले दिनों में विरोध प्रदर्शन और तेज होने की संभावना है। प्रदर्शनकारी ग़ाज़ा में युद्ध-विराम और बंधकों की तत्काल रिहाई की मांग भी कर रहे थे।
युद्ध कैबिनेट मतभेद के कारण भंग
ग़ाज़ा में युद्ध को लंबा खींचते जाने और कोई सफलता हासिल न होने की वजह से युद्ध कैबिनेट में मतभेद बढ़ने लगे थे। इस कारण से बेनी गैंट्ज़ सहित युद्ध कैबिनेट के 2 सदस्यों ने एक हफ्ते के भीतर इस्तीफा दे दिया। बेनी गैंट्ज़ ने पहले ही धमकी दी थी कि वे 8 जून के बाद युद्ध कैबिनेट का हिस्सा नहीं रहेंगे। तब से नेतन्याहू की सरकार युद्ध और राजनीतिक, दोनों दृष्टियों से मुश्किलों में घिर गई है। नेतन्याहू का अपने रक्षामंत्री योआव गैलेंट के साथ भी मतभेद बढ़ गया है और प्रधानमंत्री कार्यालय ने रक्षामंत्री को बेशर्म और मूर्ख जैसे उपाधियों से नवाजा है।
दूसरी ओर, नेतन्याहू के अतिवादी सहयोगियों ने सरकार का हिस्सा रहते हुए भी सरकार को खराब करने और आखिरकार छोड़ देने की धमकियां दी हैं। इस संदर्भ में नेतन्याहू को सोमवार को अपनी युद्ध कैबिनेट को ही भंग करने की घोषणा करनी पड़ी है। हमास ने इसे अपनी सफलता बताया है। उसके सदस्य इज़्ज़त अल-रिशक ने कहा कि अल-क़स्साम ब्रिगेड के नेतृत्व में प्रतिरोध ने ज़ायोनी युद्ध परिषद को खत्म कर दिया जो 8 महीने पहले प्रतिरोध को समाप्त करने के लिए बनाई गई थी।
यरुशलम में जनता का भारी विरोध
सोमवार की रात दसियों हजार इज़रायली नागरिक सड़कों पर उतर आए। उन्होंने देश में तुरंत चुनाव की मांग करते हुए नेतन्याहू से इस्तीफा देने की मांग की। प्रदर्शनकारी सुरक्षा के बंदोबस्त के बावजूद इज़रायली संसद ‘कनेस्सेट’ तक पहुंच गए, जिन्हें रोकने के लिए सुरक्षा बलों को बल प्रयोग करना पड़ा। इस दौरान 8 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया और कई घायल हो गए। प्रदर्शनकारियों में वे लोग भी शामिल थे जिनके परिवारजनों को 7 अक्टूबर को हमास ने बंधक बना लिया था। इजरायली हमलों में 37,000 से अधिक फिलिस्तीनियों की मौत के बावजूद इजरायली बल बंधकों को रिहा कराने में असफल हैं, जिससे बंधकों के परिवारों में भारी गुस्सा है और नेतन्याहू सरकार से उनका भरोसा उठने लगा है। उक्त लोग मांग कर रहे हैं कि इज़रायल ग़ाज़ा में युद्ध-विराम कर बंधकों की रिहाई करवाए।
फिलिस्तीन में 37,000 से अधिक शहीद
इस बीच इज़रायली सेना की ओर से ग़ाज़ा के मध्य में स्थित नुसरत शरणार्थी शिविर पर रात भर हवाई बमबारी में 25 लोग शहीद हो गए। इसके साथ ही फिलिस्तीन में इज़रायली हमलों में शहीद होने वालों की संख्या मंगलवार को 37,000 से अधिक हो गई। सोमवार और मंगलवार की मध्यरात्रि में इज़रायली सेना ने नुसरत और बुरेज शरणार्थी शिविरों, ग़ाज़ा शहर, देइर अल-बलह और राफा पर हमले किए। इन हमलों में 25 से अधिक लोग मारे गए और दर्जनों घायल हुए। इस बीच ग़ाज़ा में इज़रायल की बमबारी और मौतों के बीच ईद-अल-अज़हा धार्मिक उत्साह के साथ मनाई गई।
इज़रायल को खुली छूट देने वाले बाइडेन ने ईद-अल-अज़हा पर ग़ाज़ा की हालत पर दुखी
ग़ाज़ा पर हमलों के दौरान इज़रायल को खुली छूट देने और हर तरह से इज़रायल की मदद करने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति ने विश्व के मुसलमानों को ईद-अल-अज़हा की बधाई देते हुए ग़ाज़ा की स्थिति पर दुख व्यक्त किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने विश्व इस्लाम को ईद की बधाई देते हुए कहा कि मेरी और पत्नी जिल बाइडेन की ओर से अमेरिका और दुनिया भर में रहने वाले मुसलमानों को ईद-अल-अज़हा की बधाई।
उन्होंने आगे कहा कि ग़ाज़ा में हजारों फिलिस्तीनियों ने अपने परिवारों और घरों को नष्ट होते देखा है, इन लोगों का दर्द बहुत बड़ा है। युद्ध के समाप्ति, मानवीय आधार पर राहत प्रदान करने और भविष्य के दो-राज्य समाधान के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। गौरतलब है कि इज़रायली हमलों की वजह से लाखों फिलिस्तीनी बेघर और हजारों शहीद हो चुके हैं।