युद्ध-विराम प्रस्ताव पर इज़रायल की हमास को धमकी
इज़रायल ने फिलिस्तीनी प्रतिरोध संगठन हमास को चेतावनी दी है कि, वह ग़ाज़ा में बंधकों की रिहाई के लिए प्रस्तुत किए गए युद्ध-विराम प्रस्ताव को स्वीकार करे, अन्यथा उसे पूरी तरह मिटा दिया जाएगा।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इज़रायली रक्षा मंत्री ने कहा है कि हमास को अमेरिकी दूत स्टीव विटकॉफ़ द्वारा पेश किए गए युद्ध-विराम योजना को स्वीकार करना होगा, वरना उसका अंजाम विनाश ही होगा। उन्होंने कहा कि अब हमास को तय करना है, या तो अमेरिकी प्रस्ताव मानकर बंधकों की रिहाई करे, या खुद को तबाही के लिए तैयार रखे। यह बयान उस समय आया है जब इज़रायल ने अमेरिकी प्रस्ताव को स्वीकार कर उस पर हस्ताक्षर कर दिए हैं, जबकि हमास ने अब तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है।
इज़रायली सरकारी टीवी के अनुसार, प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि उनकी सरकार ग़ाज़ा में युद्ध-विराम और बंधकों की रिहाई के लिए अमेरिकी प्रस्ताव को स्वीकार करती है। उन्होंने यह भी धमकी दी कि यदि हमास ने प्रस्ताव को ठुकराया, तो उसे ‘नक्शे से मिटा दिया जाएगा’।
हमास की प्रतिक्रिया
हमास के एक वरिष्ठ नेता ने ब्रिटिश मीडिया से बात करते हुए कहा कि अमेरिकी युद्ध-विराम प्रस्ताव में हमारी कोई प्रमुख मांग पूरी नहीं की गई है, इसलिए हम इसे ठुकराने पर विचार कर रहे हैं। उनका कहना था कि यह प्रस्ताव न केवल युद्ध को समाप्त नहीं करता, बल्कि अस्थायी युद्ध-विराम के दौरान भी क़ब्ज़े और मानवीय संकट को जारी रखने की अनुमति देता है। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव पर हमास की आधिकारिक प्रतिक्रिया आने वाले दिनों में दी जाएगी।
फिलिस्तीनी संगठनों से विचार-विमर्श
हमास का कहना है कि वह इस प्रस्ताव पर फिलिस्तीनी संगठनों और बलों से विचार-विमर्श कर रहा है ताकि यह तय किया जा सके कि प्रस्ताव फिलिस्तीनी हितों के अनुकूल है या नहीं।
प्रस्ताव में क्या है?
अरबी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, प्रस्ताव में 60 दिन के युद्ध-विराम के बदले 10 इज़रायली बंधकों की रिहाई शामिल है। यह दो चरणों में होगा। पहले दिन 5 बंधक रिहा होंगे और शेष 60वें दिन। इसके अलावा, दो चरणों में फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई भी प्रस्ताव में है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ग़ाज़ा से इज़रायली सेना की वापसी और युद्ध-विराम की गारंटी देंगे। पहले दिन से ही बिना शर्त मानवीय सहायता की आपूर्ति भी प्रस्ताव का हिस्सा है।
हालांकि, ध्यान देने योग्य है कि 18 मार्च को इज़रायल ने युद्ध-विराम की शर्तों का उल्लंघन करते हुए फिर से ग़ाज़ा पर बमबारी शुरू कर दी थी, जो अब तक जारी है। संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि ग़ाज़ा की पूरी आबादी भुखमरी के कगार पर है।

