इज़रायल को लेबनान से वापसी में देरी नहीं करनी चाहिए: जोज़फ़ औन
लेबनान के राष्ट्रपति जोज़फ़ औन ने सोमवार को मिस्र के विदेश मंत्री बदर अब्दुलआती से मुलाकात की, जिसमें उन्होंने उन लेबनानी कैदियों की रिहाई की मांग की, जिन्हें इज़रायली शासन द्वारा 2006 के युद्ध और अन्य सैन्य अभियानों के दौरान बंदी बनाया गया था।
औन ने इस मुलाकात के दौरान दक्षिणी लेबनान से इज़रायल की वापसी को एक आवश्यक मुद्दा बताया और कहा कि लेबनान 18 फरवरी तक इज़रायली सेना की पूरी तरह से वापसी पर अडिग है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की देरी या बहानेबाज़ी को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
मिस्र का संदेश और राष्ट्रपति औन को आधिकारिक निमंत्रण
बैठक के दौरान, मिस्र के विदेश मंत्री बदर अब्दुलआती ने बताया कि वे राष्ट्रपति अब्दुल फत्ताह अल-सीसी का एक लिखित संदेश लेकर आए हैं, जिसे उन्होंने राष्ट्रपति जोज़फ़ औन को सौंपा।
इस संदेश में मिस्र के राष्ट्रपति ने लेबनानी समकक्ष को औपचारिक रूप से काहिरा की यात्रा के लिए आमंत्रित किया और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग को और मजबूत करने की इच्छा जताई।
मिस्र का दक्षिण लेबनान पर रुख
मुलाकात के दौरान, मिस्र के विदेश मंत्री अब्दुलआती ने यह भी दोहराया कि काहिरा दक्षिणी लेबनान के नागरिकों की सुरक्षित वापसी और वहां से इज़रायली सेनाओं की पूर्ण वापसी को अनिवार्य मानता है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर मिस्र ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने अपनी स्पष्ट राय रखी है।
उन्होंने आगे कहा, “हम अपने अमेरिकी, फ्रांसीसी और इज़रायली भागीदारों के साथ अपने संपर्क जारी रखेंगे, ताकि दक्षिणी लेबनान में युद्ध-विराम समझौते के पूर्ण कार्यान्वयन पर जोर दिया जा सके।”
दक्षिणी लेबनान से इज़रायली वापसी पर बढ़ता दबाव
गौरतलब है कि लेबनान 2000 में इज़रायली सेनाओं की वापसी के बाद से ही दक्षिणी इलाकों पर अपनी संप्रभुता बनाए रखने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, 2023 के ग़ाज़ा युद्ध और हिज़्बुल्लाह के साथ बढ़ते तनाव के चलते इज़रायल ने सीमा पर अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा दी थी।
अब, जब संघर्ष-विराम समझौते की बात हो रही है, तो लेबनान यह सुनिश्चित करना चाहता है कि इज़रायल अपनी सेना पूरी तरह से पीछे हटाए और किसी भी प्रकार के अतिक्रमण या विलंब की स्थिति न बने।
लेबनान का मानना है कि इज़रायल की सैन्य उपस्थिति वहां के स्थानीय नागरिकों की सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा बनी हुई है। इस संदर्भ में, मिस्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय शक्तियां इस मुद्दे को सुलझाने के लिए कूटनीतिक प्रयास कर रही हैं।