अरब – इस्राईल संबंधों के बीच हर गुज़रते दिन के साथ मधुरता बढ़ती जा रही है एक एक कर अरब जगत एवं कई अन्य मुस्लिम देश इस्राईल के साथ अपने संबंधों को सार्वजनिक कर रहे हैं इस अवस्था में तुर्की ने भी इस्राईल के साथ अपने संबंधों को बहाल करने में रुची दिखाई लेकिन मुस्लिम जगत के साथ किसी भी क़ीमत पर अपने संबंधों को बढ़ावा देने वाले इस्राईल ने तुर्की के समाने कई शर्तें रख दी हैं।
इस्राईली मीडिया ने लगभग एक महीने पहले दावा किया था कि आज़रबैजान के राष्ट्रपति इलहाम अलीयोफ इस्राईल और तुर्की के मध्य फिर से संबंध बहाली की कोशिश कर रहे हैं।
तुर्की ने भी इस्राईल से फिर से सभी संबंधों को बहाल करने में रुचि दिखायी थी लेकिन इस्राईल की ओर से तुर्की को अपेक्षित जवाब नहीं मिला। यही नहीं कि तुर्की को अपने अपेक्षा के अनुरूप जवाब नहीं मिला बल्कि अब इस्राईल ने ही संबंध बहाल करने के लिए तुर्की के समाने ही कुछ शर्तें रख दी हैं।
इस्राईली समाचार पत्र यदीऊत अहारनूत ने लिखा है कि इस्राईल ने तुर्की से फिर से संबंध बहाल करने के लिए कई शर्तें रखी हैं तल अवीव का कहना है कि अगर तुर्की हम से संबंध बहाल करना चाहता है तो उस को इस्तांबूल में फिलिस्तीनी प्रतिरोधी संगठन हमास का कार्यालय बंद करना होगा तथा अलक़स्साब ब्रिगेड के रिहा होने वाले क़ैदियों की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाना होगा।
याद रहे कि इस्राईल ने बुल्गारिया मे अपनी राजदूत रही एरीयत लैलियान को तुर्की में इस्राईल के राजदूत पद पर नियुक्त किया है। तुर्क राष्ट्रपति रजब तय्यब अर्दोगान ने भी कहा है कि तुर्की इस्राईल के साथ संबंधों में रूचि रखता है लेकिन फिलिस्तीनियों के बारे में इस्राईल की नीतियां इस राह में रुकावट हैं।