भोजन का इंतज़ार कर रहे फ़िलिस्तीनियों पर इज़रायल की अंधाधुंध फायरिंग, 132 शहीद
ग़ाज़ा के चिकित्सकीय स्रोतों ने रविवार को इज़रायली हमले में 132 फ़िलिस्तीनियों की शहादत की पुष्टि की है। इन शहीदों में 100 से अधिक लोग ऐसे थे जो मानवीय सहायता के इंतज़ार में खड़े थे, जिन पर क़ब्ज़ाधारी सेना ने गोलियों की बौछार कर दी। यह दर्दनाक हादसा उत्तरी ग़ाज़ा के अल-सुदानिया क्षेत्र में हुआ, जिसे अब “मौत का जाल” कहा जा रहा है। इस क्षेत्र में मदद पहुंचाने वाले केंद्रों को बार-बार जानबूझकर निशाना बनाया गया है।
यह जनसंहार उस सिलसिलेवार नीति का हिस्सा है जिसमें इज़रायली सेना ने राहत स्थलों को सामूहिक नरसंहार स्थलों में तब्दील कर दिया है, जबकि अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ मदद पहुंचाने के लिए बाकायदा समन्वय मौजूद था।
ग़ाज़ा स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 27 मई 2025 से अब तक इज़रायली सेना की में 995 फ़िलिस्तीनी नागरिक मदद केंद्रों के आसपास शहीद हो चुके हैं और 6,000 से अधिक घायल हैं, जबकि 45 लोग अब भी लापता हैं। इज़रायली बर्बरता की वजह से 7 अक्टूबर 2023 से अब तक ग़ाज़ा में कुल शहीदों की संख्या 58,895 हो चुकी है और घायलों की संख्या 1,40,980 तक पहुंच चुकी है। इनमें से कई लाशें अब भी मलबे के नीचे या सड़कों पर पड़ी हैं, जहां तक राहत टीमें भारी बमबारी के कारण नहीं पहुंच पा रही हैं।
इज़रायली सेना अब ग़ाज़ा में उन स्थानों को नया निशाना बना रही है जहाँ भारी संख्या में लोग अनाज और राहत सामग्री के लिए इकट्ठा होते हैं। इन मानवीय सहायता केंद्रों को जानबूझकर निशाना बनाना एक योजनाबद्ध रणनीति है, जिसका मकसद फ़िलिस्तीनी जनता को सामूहिक भुखमरी और अपमान की स्थिति में ले जाना है। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने इस रणनीति को “सामूहिक सज़ा” और “मानव गरिमा को कुचलने वाली नीति” बताया है। इज़रायल और अमेरिका के सहयोग से स्थापित इन राहत केंद्रों पर हमलों के चलते अब तक 995 आम नागरिक शहीद और 6,011 घायल हो चुके हैं — और ये सभी लोग आम नागरिक थे।

