इज़रायल, ईरान के परमाणु कार्यक्रम को नष्ट नहीं कर सकता: द गार्डियन
ब्रिटिश अख़बार द गार्डियन ने ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु वार्ता में इज़रायल की अड़चनों पर चर्चा करते हुए लिखा है कि इज़रायल भले ही ईरान की कुछ परमाणु सुविधाओं को नुकसान पहुँचा सके, लेकिन वह ईरान के पूरे परमाणु कार्यक्रम को रोकने में सक्षम नहीं है।
गार्डियन के विश्लेषण के अनुसार, “इज़रायल ने ट्रंप सरकार की वार्ताओं को विफल किया। यह विश्लेषण हाल ही में इज़रायल द्वारा ईरान पर किए गए हमलों की पृष्ठभूमि में आया है। रिपोर्ट के मुताबिक, जब वाशिंगटन और तेहरान के बीच बातचीत और कूटनीति का सिलसिला चल रहा था, तब इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने जानबूझकर इस प्रक्रिया में बाधा डाली और अमेरिका को भी युद्ध की ओर धकेलने की कोशिश की।
अख़बार ने इज़रायल के उस दावे को भी ग़लत ठहराया है जिसमें कहा गया था कि ईरान बहुत जल्द परमाणु बम बना सकता है। अगर यह सच होता, तो अमेरिका खुद ईरान पर हमला कर देता।
गार्डियन ने लिखा है कि जिस दिन इज़रायल ने ईरान की ज़मीन पर हमला किया, उससे पहले तेहरान और वाशिंगटन के बीच पांच दौर की बातचीत हो चुकी थी और छठे दौर की तारीख भी तय थी। कई विश्लेषकों का मानना है कि इन वार्ताओं को विफल करने के लिए ही नेतन्याहू ने ईरान पर हमला किया।
ईरान अपने परमाणु उद्योग को दोबारा खड़ा कर सकता है
गार्डियन ने यह भी लिखा है कि इज़रायल अगर नतंज़ में यूरेनियम संवर्धन संयंत्र को नष्ट भी कर दे, तो ईरान इन्हें फिर से बना सकता है। यहां तक कि ईरानी परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या भी देश के परमाणु कार्यक्रम को नहीं रोक सकती, क्योंकि यह ज्ञान धीरे-धीरे फिर से अर्जित किया जा सकता है।
अमेरिका को हो सकता था वार्ता से फायदा
गार्डियन के अनुसार, अगर वाशिंगटन और तेहरान में समझौता होता, तो इससे वैश्विक ऊर्जा बाज़ारों को स्थिरता मिलती और अमेरिका अपने सैनिकों की संख्या पश्चिम एशिया में कम कर सकता था। ओबामा के कार्यकाल से ही अमेरिका इस क्षेत्र से सैन्य वापसी चाहता रहा है, लेकिन, इन सभी संभावित फायदों के बावजूद, इज़रायल ने इन वार्ताओं को पटरी से उतार कर युद्ध की दिशा में मोड़ दिया।

