Site icon ISCPress

इज़रायल ग़ाज़ा में युद्ध-विराम की शर्तों से सहमत है: ट्रंप

इज़रायल ग़ाज़ा में युद्ध-विराम की शर्तों से सहमत है: ट्रंप
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस बयान ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर बहस छेड़ दी है कि क्या वाकई इज़रायल ग़ाज़ा में युद्ध-विराम चाहता है या यह महज़ एक कूटनीतिक दिखावा है। ट्रंप ने बुधवार तड़के दावा किया कि इज़रायल 60 दिन के संघर्ष-विराम की शर्तों से सहमत हो गया है और उनके प्रतिनिधियों ने इस मुद्दे पर इज़रायली अधिकारियों के साथ लंबी और रचनात्मक बातचीत की है।
हालांकि ट्रंप इस युद्ध-विराम को “शांति की दिशा में एक कदम” बताते हैं, लेकिन ज़मीनी हालात कुछ और ही कहानी बयान करते हैं। पिछले कुछ हफ़्तों से इज़रायल की ओर से ग़ाज़ा पर लगातार बमबारी, घरों की तबाही, और अस्पतालों तथा शरणार्थी शिविरों को निशाना बनाए जाने की घटनाएं सामने आती रही हैं। यह वही इज़रायल है जो अब युद्ध-विराम की सहमति जताने का दावा कर रहा है, जबकि बच्चों के शव मलबों से निकाले जा रहे हैं और हजारों परिवार बेघर हो चुके हैं।
ट्रंप ने अपने बयान में यह भी कहा कि अगर हमास इस समझौते को नहीं मानेगा तो हालात और बिगड़ेंगे। लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या वाकई इस संघर्ष की आग को सिर्फ हमास ने भड़काया, या फिर दशकों से जारी नाकाबंदी, ज़मीनों पर कब्ज़ा और फौजी अत्याचारों ने इस संघर्ष को जन्म दिया है?
उन्होंने क़तर और मिस्र के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि दोनों देश शांति स्थापना के लिए अंतिम प्रस्ताव पेश करेंगे। लेकिन जब तक इज़रायल की ओर से हर संघर्ष-विराम को बमबारी और छापेमारी से तोड़ा जाता रहेगा, तब तक कोई भी शांति प्रस्ताव ग़ाज़ा के निवासियों के लिए सिर्फ एक छलावा साबित होगा। इस कथित युद्ध-विराम की घोषणा के बावजूद ग़ाज़ा में हर रात गोलियों की गूंज और विस्फोटों की चीखें यह बता रही हैं कि शांति अब भी बहुत दूर है।
Exit mobile version