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अमेरिका की मांग पर इज़रायल ने ग़ाज़ा से मलबा हटाने की जिम्मेदारी स्वीकार की

अमेरिका की मांग पर इज़रायल ने ग़ाज़ा से मलबा हटाने की जिम्मेदारी स्वीकार की

ग़ाज़ा में हाल की दो साल लंबी संघर्ष के दौरान इज़रायल ने व्यापक विनाश मचाया है, जिसने इस क्षेत्र के नागरिकों और उनके जीवन पर गंभीर प्रभाव डाला है। युद्ध ने ग़ाज़ा के अधिकांश शहरों और बस्तियों को लगभग पूरी तरह तबाह कर दिया, जिससे लाखों लोग अपने घरों से बेघर हो गए। इज़रायल की सैन्य कार्रवाइयों में भारी बमबारी और सर्जिकल स्ट्राइक शामिल रही हैं, जिनके कारण नागरिक सुविधाएं, अस्पताल, स्कूल और घर नष्ट हुए। ग़ाज़ा की आबादी पहले से ही सीमित संसाधनों और कठिन आर्थिक हालात में जी रही थी, और इस संघर्ष ने उनके जीवन को और भी अधिक मुश्किल बना दिया।

अत्याचारों के कारण ग़ाज़ा में बुनियादी ढांचे की स्थिति बहुत खराब हो गई है। कई क्षेत्रों में बिजली, पानी और स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह बंद हो गई हैं। इज़रायल द्वारा लगे कई घेराबंदी उपायों ने आवश्यक राहत और पुनर्निर्माण कार्यों को भी बाधित किया। इसके परिणामस्वरूप, नागरिकों को भोजन, दवा और अन्य मूलभूत आवश्यकताओं के लिए गंभीर संकट का सामना करना पड़ा। बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर वर्ग विशेष रूप से प्रभावित हुए हैं, जिनके पास सुरक्षित आवास और चिकित्सा सुविधा तक पहुंच नहीं रही।

हाल ही में अमेरिका ने इज़रायल से ग़ाज़ा से मलबा हटाने और पुनर्निर्माण कार्यों का जिम्मा लेने का अनुरोध किया। हालांकि अमेरिका खुद ग़ाज़ा नरसंहार में इज़रायल का बराबर का भागीदार रहा है। यह मांग इस तथ्य पर आधारित थी कि, ग़ाज़ा का अधिकांश क्षेत्र युद्ध के दौरान पूरी तरह तबाह हो गया है और वहां का मलबा हटाना पुनर्निर्माण की पहली और सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता है। इस अनुरोध पर इज़रायल ने सहमति जताई है और उसने ग़ाज़ा के दक्षिण में स्थित रफाह क्षेत्र से मलबा हटाने और भारी इंजीनियरिंग ऑपरेशन की पूरी जिम्मेदारी लेने का फैसला किया।

वहीं, संयुक्त राष्ट्र के विकास कार्यक्रम के अनुसार ग़ाज़ा में लगभग 4 करोड़ 80 लाख टन मलबा मौजूद है, जो न्यूयॉर्क की एम्पायर स्टेट बिल्डिंग जैसी लगभग 186 इमारतों के बराबर है। इज़रायल की कार्रवाइयों के कारण यह मलबा इतना भारी और व्यापक है कि इसे हटाने में कई साल लग सकते हैं और इसका खर्च एक अरब डॉलर से अधिक आ सकता है।

इस स्थिति ने स्पष्ट कर दिया है कि इज़रायल की सैन्य रणनीति और नियंत्रण उपायों ने ग़ाज़ा के नागरिकों को मानवाधिकारों से वंचित कर दिया और उनके जीवन को अस्थिर बना दिया। अमेरिकी और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की मांग है कि पहले मलबा हटाया जाए ताकि ग़ाज़ा के लोगों का जीवन सामान्य हो सके और वहां का पुनर्निर्माण शुरू किया जा सके। यह कदम युद्ध के विनाशकारी प्रभावों को कम करने और ग़ाज़ा के लोगों के जीवन को सुधारने की दिशा में पहला महत्वपूर्ण प्रयास है।

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