यूरोप के 3 देशों से ईरानी राजदूतों को तेहरान बुलाया गया
विदेश नीति से जुड़ी रिपोर्टों के अनुसार, जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन द्वारा स्नैप-बैक मैकेनिज्म का गैर-जिम्मेदाराना इस्तेमाल करने के बाद, ईरान ने इन तीनों देशों में तैनात अपने राजदूतों को मशविरा (सलाह-मशवरे) के लिए तेहरान बुला लिया है। तीनों यूरोपीय देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पहले से ख़त्म किए गए प्रस्तावों को फिर से लागू करने के लिए परमाणु समझौते के विवाद समाधान तंत्र का सहारा लिया। इसी क़दम के जवाब में यह राजनयिक फैसला लिया गया।
यह ध्यान देने योग्य है कि 6 सितंबर को इन तीनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र को एक पत्र भेजकर स्नैप-बैक प्रक्रिया को सक्रिय किया था। तय समयसीमा (30 दिन) पूरी होने के बाद, रविवार की सुबह छह रद्द किए गए प्रस्ताव फिर से लागू माने जाएंगे। बीती रात रूस और चीन का प्रस्ताव, जिसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2231 को 6 महीने के लिए बढ़ाने की बात थी, वोटिंग में पास नहीं हो सका।
1 अक्टूबर (मंगलवार) को न्यूयॉर्क में ईरान के उपविदेश मंत्री अब्बास अराक़ची की, तीनों यूरोपीय देशों के विदेश मंत्रियों और यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रमुख काया कालास की मौजूदगी में एक बैठक भी हुई। आयरलैंड के विदेश मंत्रालय के मुताबिक, इस बैठक में यूरोप के क़दम को ग़लत और गैरकानूनी बताया गया तथा आगे की कूटनीति जारी रखने के लिए कुछ सुझाव रखे गए। सभी पक्षों के बीच बातचीत जारी रखने पर सहमति बनी।
ईरान के विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में कहा:
जैसे सैन्य हमले अपने घोषित लक्ष्यों को हासिल करने में नाकाम रहे, वैसे ही स्नैप-बैक भी नाकाम होगा। एकमात्र रास्ता बातचीत है और ईरान कभी भी धमकी या दबाव के आगे झुककर जवाब नहीं देगा।” उन्होंने यह भी कहा कि तीनों यूरोपीय देशों ने अपने परमाणु समझौते और प्रस्ताव 2231 के तहत किए वादों को तोड़ा है। इस तरह उन्होंने “गंभीर उल्लंघन” का दावा करने का हक़ खो दिया है। उनका स्नैप-बैक का सहारा लेना दरअसल इस प्रक्रिया का खुला दुरुपयोग है।

