ईरान-इज़रायल सीज़फायर: ईरानी सेना के समर्थन में तेहरान में जनसैलाब
आज मंगलवार की शाम, तेहरान की बड़ी संख्या में जनता ने इंक़लाब चौक पर एकत्र होकर इज़रायली अपराधों और देश की सरज़मीं पर उसके हमलों के खिलाफ़ सशस्त्र बलों के प्रयासों की सराहना की और इस शासन की ओर से संभावित किसी भी क़दम के प्रति सजगता बनाए रखने की अपील की।
इस जनसभा में विभिन्न तबकों से आए पुरुषों, महिलाओं और बच्चों ने हिस्सा लिया। उन्होंने ईरान का झंडा, सर्वोच्च नेता और हालिया शहीदों की तस्वीरें, और ऐसे नारे लिखे पोस्टर अपने हाथों में उठाए हुए थे जिन पर लिखा था: “हम अंत तक डटे रहेंगे”, “अमेरिका इज़रायल के तमाम अपराधों में साझेदार है”, “थोपे गए शांति समझौते को ना, स्थायी शांति को हाँ”, और “लब्बैक या ख़ामेनेई”।
लोगों ने ज़ोरदार नारे लगाए: “ना समझौता, ना समर्पण, अमेरिका से संघर्ष”, “अमेरिका मुर्दाबाद”, और “इज़रायल, बच्चों का हत्यारा – मुर्दाबाद”, और सशस्त्र बलों के साथ अपने समर्थन और सर्वोच्च नेता के पीछे राष्ट्रीय एकता की घोषणा की। सभा के दौरान मौजूद जनता ने ईरानी इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC), ईरानी सेना, बसीज बलों और पुलिस बल का भी नारों के ज़रिए आभार व्यक्त किया। प्रसिद्ध शायर अमीर अब्बासी ने रज़मिया तरानों और रेज़ोल्यूशनरी कविताओं के साथ कार्यक्रम को और जोशीला बना दिया।
“यह जीत ईरानी राष्ट्र का गर्व है: पज़ेश्कियान
सैन्य संघर्ष के रुकने और युद्ध-विराम की घोषणा पर राष्ट्रपति मसऊद पज़ेश्कियान ने अपने संदेश में विभिन्न वर्गों के लोगों के आभार प्रकट किया और कहा: “हमें इस समय पैदा हुई एकता और सामूहिक शक्ति को संरक्षित रखना होगा, क्योंकि यही देश की सबसे बड़ी पूंजी है। आज से ही हम एकजुट होकर एक बेहतर कल और शक्तिशाली ईरान के निर्माण के लिए प्रयास करें।”
राष्ट्रपति का पूर्ण संदेश इस प्रकार है:
बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम
क्रांतिकारी आंदोलन के संस्थापक इमाम ख़ुमैनी और ईरान के तमाम शहीदों की पवित्र आत्मा को सलाम, और रहबर-ए-मुअज़्ज़म आयतुल्लाह ख़ामेनेई के लिए सेहत और दीर्घायु की कामना।
प्रिय देशवासियों, बहादुर और साहसी ईरानी जनता!
आज आप सबकी बहादुरी और अडिग संघर्ष के बाद 12 दिनों के थोपे गए युद्ध का अंत और युद्धविराम की घोषणा हुई है। यह युद्ध इज़रायली शासन की आक्रामकता और उकसावे का नतीजा था। लेकिन पूरी दुनिया ने देखा कि कैसे ईरान की महान जनता ने अपनी ताक़त, एकता और सरकार का साथ देकर दुश्मन को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।
यह हमला ऐसे समय में शुरू किया गया जब इस्लामी गणराज्य ईरान वैश्विक मंच पर संवाद और गलतफ़हमियों को दूर करने के प्रयास कर रहा था, जबकि दूसरी तरफ दुश्मन की बयानबाज़ी बिखरी हुई और विरोधाभासी थी। इतिहास कभी नहीं भूलेगा कि किस तरह बातचीत के दौरान ही हमारे विरोधियों ने वादाख़िलाफ़ी की और ईरान पर हमला किया।

