ईरान हमारा मुख्य टारगेट नहीं है: नेतन्याहू
इक़्तिसाद न्यूज़ के अनुसार, इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और उनके रक्षामंत्री इस्राईल काट्ज़ ने एक संयुक्त बयान जारी कर ग़ाज़ा में हाल ही में खाद्य सहायता के इंतज़ार में खड़े लोगों पर किए गए इज़रायली हमलों का बचाव करने की कोशिश की है। वे इसे सुरक्षा रणनीति कहकर पेश कर रहे हैं, जबकि पूरी दुनिया इसे एक स्पष्ट जनसंहार मान रही है।
नेतन्याहू ने एक ओर दावा किया कि ईरान, इज़रायल का “मुख्य टारगेट” नहीं है, तो दूसरी ओर उसी बयान में स्वीकार किया कि ईरान पर हमला ग़ाज़ा में इज़रायल की असफल होती रणनीति को सहारा देने के लिए किया गया। यह खुलासा इस बात की प्रमाणित करता है कि, ईरान को केवल इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि वह ग़ाज़ा के मज़लूमों, फ़िलस्तीनी प्रतिरोध आंदोलनों और क्षेत्रीय इंसाफ़ की आवाज़ बना हुआ है।
इससे पहले नेतन्याहू ने दावा किया था कि ईरान पर यह हमला उसे परमाणु हथियार प्राप्त करने से रोकने के लिए किया गया था। इस संयुक्त बयान में यह भी कहा गया कि ईरान को “एक दर्दनाक चोट” दी गई है और यह मुमकिन है कि इस पर हमला ग़ाज़ा में इज़रायल के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेगा।
अल-मसीरा टीवी चैनल की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह स्वीकारोक्ति इस बात की पुष्टि करती है कि ईरान पर हमला वास्तव में फ़िलस्तीनी प्रतिरोध सेनानियों के मुख्य समर्थक को निशाना बनाने की इज़रायली कोशिश का हिस्सा है।
नेतन्याहू और उनके रक्षामंत्री ने ग़ाज़ा में जनसंहार और भूखे नागरिकों के क़त्लेआम को यह कहकर जायज़ ठहराने की कोशिश की कि, “इज़रायली सेना एक ऐसे दुश्मन से लड़ रही है जो नागरिकों को मानव ढाल की तरह इस्तेमाल करता है, लेकिन दुनिया भर में इन दावों का मज़ाक उड़ाया जा रहा है।
असल में, नेतन्याहू की सरकार न केवल एक सैन्य विफलता से जूझ रही है, बल्कि नैतिक और राजनीतिक स्तर पर भी पूरी तरह से नंगी हो चुकी है। ईरान की रणनीतिक मजबूती और प्रतिरोध के प्रति उसकी प्रतिबद्धता इस्राईल की ज़ुल्मी नीतियों को बेनकाब कर रही है – और यही नेतन्याहू की सबसे बड़ी परेशानी है।

