ईरान ने इज़रायल और अमेरिका को संघर्ष का ‘प्रेरक’ घोषित करने की मांग की
ईरान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से मांग की है कि वह इज़रायल और अमेरिका को 13 जून से शुरू हुए हमलों के लिए ज़िम्मेदार माने। अर्ध-सरकारी तसनीम न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराक़ची ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस को लिखे पत्र में अमेरिका और इज़रायल को इस 12 दिनी संघर्ष का “प्रेरक” बताया है।
उन्होंने पत्र में लिखा, “हम सुरक्षा परिषद से गंभीरतापूर्वक आग्रह करते हैं कि वह इज़रायल और अमेरिका को ईरान के विरुद्ध आक्रामकता की शुरुआत करने वाला पक्ष माने और उसकी ज़िम्मेदारी, मुआवज़े और क्षतिपूर्ति सहित, तय करे।”
अब्बास अराक़ची ने आगे लिखा कि सुरक्षा परिषद को इन आक्रमणों के लिए दोषियों को जवाबदेह ठहराना चाहिए और इस प्रकार के जघन्य अपराधों की पुनरावृत्ति रोकनी चाहिए, ताकि अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बनाए रखा जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि जो राजनीतिक और सैन्य नेता इन हमलों के आदेश देते हैं, उन्हें भी अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत व्यक्तिगत रूप से अपराधी माना जाना चाहिए।
वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान से बातचीत की तमाम अटकलों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि उनकी सरकार न तो तेहरान से बातचीत कर रही है और न ही किसी तरह की सहायता की पेशकश कर रही है। सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में ट्रंप ने कहा, “मैं ईरान से कोई बातचीत नहीं कर रहा हूं। हम उन्हें कुछ भी ऑफर नहीं कर रहे हैं।”
ट्रंप की यह टिप्पणी तब आई जब कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि अमेरिकी प्रशासन ने गुप्त रूप से ईरान को 30 अरब डॉलर की राशि तक की पहुंच देने की संभावना जताई थी, ताकि उसके सिविल न्यूक्लियर प्रोग्राम को समर्थन मिल सके। हालांकि यह बात ट्रंप के सार्वजनिक बयानों से मेल नहीं खाती।
शुक्रवार को ट्रंप ने इन रिपोर्ट्स को “फेक न्यूज़” बताते हुए खारिज कर दिया। फॉक्स न्यूज़ को दिए इंटरव्यू में उन्होंने यह भी दावा किया कि अमेरिका ने ईरान की परमाणु क्षमताओं को “पूरी तरह तबाह” कर दिया है। उन्होंने कहा, “हम (ईरान में) गए और उनकी न्यूक्लियर कैपेसिटी को खत्म कर दिया।”

