अगर नेतन्याहू ब्रिटेन आएं , तो उनकी गिरफ़्तारी के लिए अदालत जाएंगे: ब्रिटिश विदेश मंत्री
ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी ने हाल ही में एक बयान में कहा कि अगर इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ब्रिटेन में प्रवेश करते हैं, तो वह उन्हें गिरफ्तार करने का आदेश प्राप्त करने के लिए ब्रिटेन की अदालत से संपर्क करेंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह इस मामले में व्यक्तिगत रूप से कोई निर्णय नहीं ले सकते और इसे कोर्ट के पास ही ले जाएंगे। लैमी का कहना था कि उन्हें इस मामले में अदालत का मार्गदर्शन लेना होगा और वे इस मामले को अदालत में उठाएंगे ताकि ब्रिटेन के कानूनों के तहत सही फैसला लिया जा सके।
ब्रिटेन का यह रुख़ फ्रांस से पूरी तरह अलग है, जो इस समय यूरोप के उन देशों में शामिल है, जिन्होंने नेतन्याहू के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) द्वारा जारी गिरफ्तारी आदेश को नकारा है। हाल ही में फ्रांस ने यह स्पष्ट किया था कि वह नेतन्याहू को गिरफ्तार नहीं करेगा और यह भी बताया कि वह कूटनीतिक इम्यूनिटी (diplomatic immunity) के तहत उन्हें सुरक्षा प्रदान करेगा, यानी नेतन्याहू को उनकी कूटनीतिक स्थिति के कारण गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।
अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) ने पिछले सप्ताह नेतन्याहू और इज़रायल के रक्षामंत्री योआव गेलांट के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। यह आदेश इज़रायल द्वारा ग़ाज़ा पट्टी में सैन्य कार्रवाई के दौरान कथित युद्ध अपराधों के आरोपों पर आधारित था। ICC का दावा है कि इन आरोपों की जांच के बाद वारंट जारी किया गया है, और यह वॉर क्राइम्स के तहत हो सकता है। ICC के इस फैसले से यूरोप के कई देशों में मतभेद पैदा हो गए हैं, क्योंकि कुछ देशों ने इसे मान्यता दी है, जबकि अन्य देशों ने इसे नकारा।
ब्रिटेन भी ICC का सदस्य है और इस कारण से उसने कानून के तहत कार्य करने का संकल्प लिया है। हालांकि, लैमी ने कहा कि ब्रिटेन अपने कूटनीतिक दायित्वों के तहत नेतन्याहू को कूटनीतिक इम्यूनिटी प्रदान कर सकता है, जिसके तहत उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। ब्रिटेन के विदेश मंत्री ने कहा कि अगर नेतन्याहू ब्रिटेन आते हैं, तो वह कोर्ट से अनुमति प्राप्त करेंगे, लेकिन इस मामले में अदालत का निर्णय ही अंतिम होगा।
लैमी ने यह भी कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से कोई निर्णय नहीं ले सकते, यह पूरी प्रक्रिया अदालतों के माध्यम से ही होगी। उनका यह बयान ब्रिटेन के “रोम स्टेट्यूट” के तहत न्यायिक दायित्वों का हिस्सा है, जिसके अंतर्गत ब्रिटेन ने यह समझौता किया था कि वह ICC के आदेशों का पालन करेगा, लेकिन कूटनीतिक व्यक्तियों के लिए एक सुरक्षा तंत्र (Immunity) भी है।