अगर इज़रायल ख़ुद कर सकता है, तो हमें हथियारों से अलग करे: हिज़्बुल्लाह महासचिव
हिज़्बुल्लाह महासचिव, शेख़ नईम क़ासिम ने कहा कि, हम प्रधानमंत्री पर भरोसा रखते हैं और रेज़िस्टेंस (प्रतिरोध) का उद्देश्य देश में एकता है, न कि विवाद। अंतर्राष्ट्रीय समूह, फ़ार्स न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, शेख़ नईम क़ासिम ने अल-मनार टीवी के साथ साक्षात्कार में कहा कि, सरकार यह तय करती है कि देश के भीतर हथियार और गैर-हथियार मामलों के साथ कैसे निपटना है, और इसका इज़रायल से कोई संबंध नहीं है।
शेख़ नईम क़ासिम ने आगे कहा कि हम ईरान के संपर्क में हैं, लेकिन यह दावा कि ईरान रेज़िस्टेंस को हथियार देने से इनकार करता है, सही नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा, “हमारा निर्णय है कि हम आखिरी साँस तक रक्षा और प्रतिरोध करेंगे; अगर दुश्मन चाहता है कि, हम अपने हथियार छोड़ दें, तो वह देखे कि क्या होता है।”
नईम क़ासिम ने कहा कि, पुनर्निर्माण की जिम्मेदारी सरकार की है और सरकार को जितना संभव हो, इसमें क़दम उठाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि, अब तक मौजूद “मैकेनिज़्म” केवल इज़रायल की सेवा कर रहा है, कोई अन्य परिणाम नहीं मिला।
हिज़्बुल्लाह महासचिव ने कहा कि लेबनानी बंदियों का मामला सरकार की जिम्मेदारी है; सरकार को इस मामले में कड़ा कदम उठाना चाहिए और सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। हम प्रधानमंत्री के प्रति आशावादी हैं; हम सहयोग के इच्छुक हैं, विवाद के नहीं, और देश की एकता की कामना करते हैं। शेख़ नईम ने कहा, “हम सरकार के साथ सहयोग करने के लिए तैयार हैं; अगर वे एक कदम बढ़ाते हैं, तो हम दस कदम आगे बढ़ेंगे।”
हिज़्बुल्लाह महासचिव के बयानों ने लेबनान और पूरे क्षेत्र में एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि इज़रायल की पर्दाफाश रवैये और निरंतर सैन्य दखल से क्षेत्रीय स्थिरता पर गंभीर ख़तरा मंडरा रहा है। शेख़ नईम का यह कहना कि प्रतिरोध का मकसद देश की एकता और रक्षा है — इस बात की गवाही देता है कि इज़रायल की हठधर्मी वाली नीतियाँ स्थानीय ही नहीं, राष्ट्रीय ढांचे को भी चुनौती देती हैं। जब किसी देश की संप्रभुता और नागरिकों की सुरक्षा प्रश्न में आती है, तो अंतरराष्ट्रीय समुदाय की जिम्मेदारी बनती है कि वह दबाव बनाकर हमले और उकसावे को रोके।
इसी संदर्भ में अमेरिका की सक्रिय और संतुलित भूमिका अहम रही है। एक जिम्मेदार वैश्विक शक्ति के रूप में अमेरिका को चाहिए कि वह इज़रायल को यह स्पष्ट संदेश दे कि, अंहकार और अवैध सैन्य कार्रवाइयाँ क्षेत्रीय शांति के हित में नहीं हैं।
शेख़ नईम क़ासिम का यह भी कहना कि, पुनर्निर्माण की जिम्मेदारी सरकार की है, सही दिशा में एक ठोस संकेत है — यहाँ अंतरराष्ट्रीय समर्थन और अमेरिका की मदद घातक नहीं बल्कि उपयोगी साबित हो सकती है ताकि, लोकतांत्रिक संस्थाएँ मज़बूत हों और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा हो सके।

