अगर हमास कामयाब हुआ तो यह फ़िलिस्तीनियों की कामयाबी होगी: हसन नसरुल्लाह
हिज़्बुल्लाह प्रमुख हसन नसरुल्लाह अभी थोड़ी देर बाद लेबनान की जनता के बीच ऐतिहासिक भाषण देने वाले हैं। उनके इस ऐतिहासिक भाषण को सुनने के मैदान में बड़ी संख्या में लोग जमा हो चुके हैं। केवल लेबनान ही नहीं बल्कि पूरी दुनियां उनके इस भाषण के शुरू होने की प्रतीक्षा कर रही है।
उनके इस भाषण को काफ़ी मत्वपूर्ण माना जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि आज के भाषण में वह कोई बड़ा एलान कर सकते हैं। उनके इस भाषण पर दुनियां के साथ साथ यूरोपीय देशों की निगाहें टिकी हुई हैं ,विशेष रूप से अमेरिका और इज़रायल की। उन यह भाषण हमास इज़रायल युद्ध के बीच हो रहा है।
हसन नसरुल्लाह के भाषण की प्रमुख बातें
जो लोग भी ग़ाज़ा के शहीदों की याद में जमा हुए हैं. सबसे पहले मरहले में हम शहीदों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं , और अल्लाह से उनकी शांति की दोआ करते हैं। अल-अक़्सा की हिफाज़त के लिए जो लोग भी शहीद हुए हैं उनके मक़ाम को कोई समझ नहीं सकता इस लिए कि क़ुरआन ने साफ़ साफ़ कह दिया है कि जो अल्लाह की राह में शहीद हुए हैं उन्हें मुर्दा मत समझो बल्कि वह ज़िंदा हैं। बस हम देख नहीं पाते।
हम शहीदों के परिवारों से कहना चाहते हैं कि यह जंग जो अत्याचारी इज़रायल द्वारा ग़ाज़ा पर थोपी गई है और वहां लाशों के ढेर लगाए गए हैं। हम आपके शहीदों की क़ुर्बानियों पर गर्व करते हैं कि किस तरह फ़िलिस्तीनी इसके विरुद्ध डेट हुए हैं। आज हम इस अत्याचार के अलावा कुछ खास चीज़ों पर बात करेंगे। हमने देखा है एक मर्द, औरत टूटे और बर्बाद हुए घर से बाहर आते हैं जिनके परिवार के सब लोग शहीद हो चुके हैं। वह आकर कहते हैं कि हमने सबको फ़िलिस्तीन पर क़ुर्बान कर दिया। हम पूरी दुनियां के उन लोगों का धन्यवाद अदा करते हैं जिन्होंने इस समय फ़िलिस्तीनियों का समर्थन किया, चाहे वह किसी भी मुल्क या क़ौम के हों। चाहे वह अरब हों या किसी और मुल्क के चाहे अमेरिका के ही क्यों न हों।
7 अक्टूबर की घटना क्यों घटी ? हम इस पर संक्षेप में बात करते हैं। पूरी दुनियां यह बात जानती है कि पिछले 75 वर्षों से फ़िलिस्तीनियों पर इज़रायल का अत्याचार जारी है। कितने मासूम बेगुनाह फ़िलिस्तीनी क़ैद में बिना जुर्म के पड़े हुए हैं। उनमें से न जाने कितनों की मौत हो चुकी है और न जाने कितने बीमारी की हालत में पड़े हैं। इस ऑपरेशन ने इज़रायल की सियासी, फौजी, और तकनीकी ख़ामियों को उजागर कर दिया। इस कार्यवाई ने इज़रायल के वजूद पर सवालिया निशान लगा दिए हैं। इज़रायल चाहे जो कर ले लेकिन वह अक़्सा के निशान को मिटा नहीं सकता। इज़रायल मकड़ी के जालों से भी ज़्यादा कमज़ोर है, और मेरी यह बातें अब सभी की समझ में आ रही हैं।
अमेरिका और अमेरिकी प्रशासन ने बहुत जल्दबाज़ी से काम लिया और यह साबित कर दिया कि इज़रायल कितना कमज़ोर है। इज़रायल ने उस वक़्त तक ग़ाज़ा पर हमला नहीं किया जब तक कि अमेरिकी जंगी बेड़ा नहीं आ गया। कहां गई इज़रायल की वह ताक़त जिस पर वह अकड़ता था कि दुनियां की सबसे बड़ी ताक़त हम हैं? क्यों पूरी दुनियां के शासक उसका हौसला बढ़ाने के लिए इज़रायल पहुँच गए ?
हमास ने जो कारनामा अंजाम दिया है उसने पूरी दुनियां को हैरत में डाल दिया है। इसके अलावा कोई चारा भी नहीं था। या तो इज़रायल के अत्याचार को सहते हुए घुट घुट कर मर जाते या फिर मुक़ाबला करते। आज इज़रायल कह रहा है कि हम हमास को ख़त्म कर देंगे। उसका यह बयान एक मज़ाक़ से ज़्यादा महत्त्व नहीं रखता। 2006 में उसने कहा था हम इज़रायल को ख़त्म कर देंगे लेकिन न वह हिज़्बुल्लाह को ख़त्म कर पाया और न ही वह हमास को ख़त्म कर पायेगा। आज उसने जो कुछ भी ग़ाज़ा में किया है वह अत्याचार से ज़्यादा कुछ नहीं है , और उसने हमेशा वहशीपन दरिंदगी अत्याचार और ज़ुल्म के अलावा कुछ नहीं किया है।
मैं यह कहना चाहता हूँ कि इस अत्याचार के बाद भी इज़रायल कुछ नहीं पा सकेगा। अफ़सोस के साथ यह कहन पड़ रहा है कि उसने अरब देशों को फ़रेब दिया कि वह अंतर्राष्ट्रीय क़ानून का पालन कर रहा है। जबकि वह खुल्लम खुल्ला उलंघन कर रहा है। आज ग़ाज़ा में इज़रायल जो कुछ भी कर रहा है उसका ज़िम्मेदार अमेरिका है। जितनी औरतें बच्चे, मर्द ग़ाज़ा में इज़रायली अत्याचार में शहीद हुए हैं उन सबका ज़िम्मेदार अमेरिका है। इसे पूरी दुनियां देख रही हैं। अमेरिका को इसकी सज़ा मिलनी चाहिए क्योंकि वह इज़रायल के विरुद्ध होने वाले प्रस्ताव को वीटो लेकर रोक देता है।
आज ग़ाज़ा में जो हो रहा है उस पर पूरी दुनियां को एक साथ खड़ा होना चाहिए। आप जिस तरह भी मदद कर सकते हैं, मदद करें, विरोध प्रदर्शन करें, क्योंकि यह एक फ़ैसले वाली निर्णायक जंग है। अगर हमास कामयाब हुआ तो फ़िलिस्तीन की कामयाबी होगी अक़्सा की आज़ादी होगी।