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ग़ाज़ा में युद्ध-विराम समझौते के पालन की उम्मीद करता हूँ: पोप फ्रांसिस

ग़ाज़ा में युद्ध-विराम समझौते के पालन की उम्मीद करता हूँ: पोप फ्रांसिस

क़तर और इज़रायल द्वारा ग़ाज़ा में युद्ध-विराम की घोषणा के बाद, कैथोलिक ईसाइयों के आध्यात्मिक नेता पोप फ्रांसिस ने इस महत्वपूर्ण समझौते का स्वागत किया और सभी पक्षों से इसका पालन करने की अपील की। उन्होंने बंधकों की रिहाई और ग़ाज़ा के पीड़ित फ़िलिस्तीनी नागरिकों के लिए तत्काल मानवीय सहायता प्रदान करने की आवश्यकता पर बल दिया।

क़तर इस शांति वार्ता में एक प्रमुख मध्यस्थ की भूमिका में रहा है। हालांकि यह युद्ध-विराम लगभग तीन घंटे की देरी से लागू हुआ, इसके बावजूद ग़ाज़ा में राहत की भावना देखी गई। हज़ारों फ़िलिस्तीनी सड़कों पर उतर आए और इस अवसर को जश्न के रूप में मनाया।

दो-राज्य समाधान के रास्ते पर चलने की उम्मीद: पोप फ्रांसिस
पोप फ्रांसिस ने ग़ाज़ा युद्ध-विराम की दिशा में किए गए प्रयासों के लिए सभी पक्षों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह समय है कि इज़रायली और फ़िलिस्तीनी अपने संघर्ष को समाप्त करने और शांति बहाल करने के लिए ठोस कदम उठाएं। उन्होंने कहा, “इज़रायल और फ़िलिस्तीन दोनों को आशा के स्पष्ट संकेतों की ज़रूरत है। मुझे उम्मीद है कि दोनों पक्ष अंतरराष्ट्रीय समुदाय की मदद से दो-राज्य समाधान के उचित रास्ते पर चल सकेंगे।”

हालांकि, इस समाधान के प्रति इज़रायल के प्रधानमंत्री की नकारात्मक प्रतिक्रिया पहले से ही स्पष्ट है, क्योंकि उन्होंने बार-बार इस प्रस्ताव को खारिज किया है। इस युद्ध-विराम समझौते के तहत, शुरुआती 42 दिनों में 33 इज़रायली बंधकों को सैकड़ों फ़िलिस्तीनी कैदियों के बदले रिहा किया जाएगा। यह समझौता महीनों की बातचीत के बाद अमेरिका, क़तर और मिस्र की मध्यस्थता से संभव हो सका है।

मानवीय सहायता को ग़ाज़ा तक, तुरंत पहुंचाना ज़रूरी
पोप फ्रांसिस ने यह भी कहा कि इस युद्ध-विराम को एक स्थायी समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि मानवीय सहायता को ग़ाज़ा तक तुरंत पहुंचाना ज़रूरी है ताकि वहां के लोग राहत महसूस कर सकें।

यह युद्ध-विराम न केवल ग़ज़ा और इज़रायल के बीच जारी संघर्ष को रोकने का अवसर है, बल्कि यह एक स्थायी शांति समाधान की दिशा में भी अहम भूमिका निभा सकता है। हालांकि, इस राह में राजनीतिक मतभेद और अविश्वास बड़ी चुनौतियां हैं, लेकिन इस समझौते ने उम्मीद की एक नई किरण पैदा की है।

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