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मुझे गर्व है कि, मैंने फ़िलिस्तीनी क़ैदियों को खाने से महरूम किया: इज़रायली मंत्री

मुझे गर्व है कि, मैंने फ़िलिस्तीनी क़ैदियों को खाने से महरूम किया: इज़रायली मंत्री

इज़रायली जेलों में फ़िलिस्तीनी क़ैदियों के खिलाफ व्यापक अत्याचारों के लिए बदनाम इज़रायल के आंतरिक सुरक्षा मंत्री इतमार बेन गवीर ने एक बार फिर विवादास्पद बयान दिया है। उन्होंने उच्चतम न्यायालय में एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि उन्हें इस बात पर “गर्व” है कि उन्होंने क़ैदियों को भोजन से वंचित किया।

फार्स न्यूज़ एजेंसी की अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के अनुसार, बेन गवीर ने अदालत में कहा:
मुझे गर्व है, बहुत गर्व है कि मैंने जेलों की नीति बदली। पहले ये लोग दुबले होकर जेल आते थे और मोटे होकर बाहर निकलते थे। क़ैदियों को सब कुछ मिल रहा था। मुझे गर्व है कि मैंने ये सब बदल दिया। उन्होंने उम्मीद जताई कि सुप्रीम कोर्ट उनके फैसले में बाधा नहीं बनेगा और कहा कि यह बदलाव ‘निवारक प्रभाव’ पैदा करेगा जिससे अपराधी दोबारा जेल नहीं जाना चाहेंगे।

बेन गवीर ने आगे कहा:
मैं आज यहां इसलिए हूं ताकि यह सुनिश्चित कर सकूं कि सुप्रीम कोर्ट इस सही नीति को बदलने की हिम्मत न करे। हमने न्यूनतम से भी न्यूनतम सुविधाएं देने की नीति बनाई है। यह एक प्रभावशाली और निवारक नीति है और इसे जारी रहना चाहिए।”

इसस पहले, फ़िलिस्तीनी आंदोलन ने बेन गवीर के उस बयान की कड़ी निंदा की थी, जिसमें उन्होंने फ़िलिस्तीनी क़ैदियों को गोली मारकर मार डालने की वकालत की थी। आंदोलन ने एक बयान में कहा कि यह बयान एक अपराधी और खून के प्यासे ज़ेहन की पहचान है।

बेन गवीर की नीतियां
क़ैदियों को पानी, खाना और दवाइयों से वंचित करना।
उन पर अत्याचार करना, बर्बर यातनाएं देना।
अवैध बस्तियों के लोगों को हथियार देना और फ़िलिस्तीनियों की हत्या के लिए भड़काना। यह सब उन सभी लोगों के लिए शर्म की बात है जो इस ज़ालिम शासन से रिश्ते सामान्य कर रहे हैं या इसके अपराधों पर चुप हैं।

इस बीच एक इब्रानी अखबार की जांच से खुलासा हुआ है कि इज़रायली जेलों में हर चौथा फ़िलिस्तीनी क़ैदी ‘स्कैबीज़’ (खुजली की गंभीर बीमारी) से पीड़ित है। इज़रायली जेल प्रशासन ने भी यह स्वीकार किया है कि हाल के महीनों में क़ैदियों में स्कैबीज़ का संक्रमण फैला है। अधिकारियों की लापरवाही और भीड़भाड़ की स्थिति के चलते कई मानवाधिकार संगठनों ने इज़रायल को चेतावनी दी है और जेलों में स्वास्थ्य सुविधाओं की दुर्दशा पर सवाल उठाए हैं।

रिपोर्ट के अनुसार,
क़ैदियों को उचित इलाज नहीं मिल रहा है।
बीमार क़ैदियों की वकीलों से मुलाकात रद्द कर दी गई है।
अदालत में पेश होने की तारीखें टाल दी गई हैं, जबकि ऐसा करने का कोई चिकित्सीय औचित्य नहीं है।

हाल ही में रिहा हुए एक फ़िलिस्तीनी क़ैदी ने हारेट्ज़ अख़बार को बताया:
जब हमने इलाज की मांग की, तो उन्होंने जवाब दिया: तुम आतंकवादी हो और तुम्हें मर जाना चाहिए। 7 अक्टूबर 2023 को ग़ाज़ा पर एक इज़रायल के हमले की शुरुआत के बाद से कई मानवाधिकार संस्थाओं ने विशेष रूप से दक्षिणी फ़िलिस्तीन की बदनाम ‘सदी तिमान’ जेल में बिगड़ती हालात पर चेतावनी दी है।

वर्तमान में इज़रायली जेलों में 23,000 फ़िलिस्तीनी क़ैदी बंद हैं, जो कि निर्धारित क्षमता से 60% अधिक है। इन हालातों में इज़रायली शासन की जेल नीतियां न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों का उल्लंघन हैं, बल्कि यह उस ज़ुल्म की मिसाल भी हैं जो इस शासन ने दशकों से फ़िलिस्तीनी क़ौम पर थोप रखा है।

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