मानव तस्करी दुनिया भर के लिए गंभीर समस्या, यूएई आसान ठिकाना

मानव तस्करी दुनिया भर के लिए गंभीर समस्या यूएई आसान ठिकाना दुनिया भर में मानव तस्करी एक बड़ी समस्या का रूप ले चुकी है संयुक्त राष्ट्र

मानव तस्करी को रोकने एवं पीड़ित लोगों के अधिकारों को सहेजने और उनके संरक्षण को लेकर निरंतर प्रयास कर रहा है इसी क्रम में 30 जुलाई 2000 3 में 30 जुलाई को संयुक्त राष्ट्र संघ में विश्व मानव तस्करी विरोधी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। मानव तस्करी गंभीर अपराध है जिसमें लोगों को खरीदा और बेचा जाता है ताकि उनका शोषण किया जा सके यह मानवता के खिलाफ एक गंभीर अपराध है जो समानता अस्थिरता और संघर्ष के कारण फल फूल रहा है।

किसी भी इंसान की आशाओं और इच्छाओं का लाभ उठाते हुए मानव तस्कर कमजोर हैं हम अति उत्साही लोगों की घात में रहते हैं और मौका मिलते ही लोगों के मूलभूत अधिकारों को भी कुछ डालते हैं शरणार्थी बच्चे एवं युवा आसानी से इनके प्रभाव में आ जाते हैं। वहीँ यौन शोषण के लिए एवं जबरन वेश्यावृति तथा यौन दासता के लिए महिलाएं और लड़कियां इनका सबसे पसंदीदा शिकार होती हैं। महिलाएं एवं लड़कियों को शिकार बनाकर उन्हें बार-बार बेचा जाता है या जबरन शादियां कराई जाती हैं।

मानव तस्करी के कई रूप सामने आए हैं जिनमें सबसे भयावह शक्ल मानव अंगों का व्यापार भी है। मानव तस्करी की तरफ अधिकांश देशों की सरकार की और से पर्याप्त ध्यान भी नहीं दिया जाता जिस कारण तस्करों को सजा का कोई अधिक डर नहीं होता। मानव तस्करी को लेकर विश्व समुदाय को अपना रवैया बदलने की आवश्यकता है।

मानव तस्करी पर पहली बार अपनी तरह की अनोखी रिपोर्ट प्रकाशित हुई है इसमें दुनिया भर के 155 देशों के आंकड़े दर्ज किए गए हैं। मानव तस्करी में सबसे अधिक यौन शोषण के मामले शामिल हैं। इसका सबसे अधिक निशाना महिलाएं और लड़कियां बनती हैं।
हैरानी की बात तो यह है कि 30 फीसद देशों में जहां तस्करों के जेंडर के बारे में आंकड़े दिए गए हैं वहां महिला तस्करों की संख्या सबसे अधिक है। अधिकांश मामलों में महिलाएं ही महिलाओं एवं लड़कियों की तस्करी करती हैं और उन्हें इस जहन्नम में धकेलती हैं।

दूसरे स्थान पर बाल श्रम है। बाल श्रम के लिए भी दुनिया भर में मानव तस्करी की जाती है। बाल श्रम के लिए 18 फीसद मानव तस्करी के मामले सामने आए हैं। दुनिया भर में होने वाली मानव तस्करी में 20 फीसद बच्चे तस्करों का निशाना बनते हैं। पश्चिमी अफ्रीका के कुछ हिस्सों में तस्करी का निशाना 100% बच्चे ही बनते हैं।

एक आम धारणा यह है कि तस्करी का शिकार बनने वाले लोगों को एक देश से दूसरे देश भेज दिया जाता है जम के शोषण का शिकार लोगों के अधिकतर मामले पीड़ितों के घर के आस-पास ही हैं। मानव तस्करी पर प्रकाशित की गई ग्लोबल रिपोर्ट का माने तो मानव तस्करी के सबसे अधिक मामले अंतर्देशीय या घरेलू स्तर पर ही होते हैं।

दुनिया भर में यौन अपराध एवं श्रम के लिए की जाने वाली है मानव तस्करी में लगभग 85 मिलियन से अधिक लोग पीड़ित हैं। 2019 में मानव तस्करी पर जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार 60 फीसद मामलों में पीड़ितों को उन्हीं की देश की सीमाओं के अंदर तस्करी का शिकार होना पड़ा।

यूरोप के मध्य एवं पश्चिमी क्षेत्र समेत मध्य पूर्व तथा कुछ पूर्वी एशियाई देशों को छोड़कर दुनिया भर में अधिकतर तस्करी के मामले घरेलू स्तर पर ही हुए हैं। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन का मानना है कि देश की सीमाओं से बाहर तस्करी किए जाने की संभावना यौन उत्पीड़न के लिए ही होती है। जबकि बाल श्रम के लिए होने वाले मानव तस्करी के अधिकतर मामले देश के अंदर ही पाए जाते हैं।

मानव तस्करी के मामले में सबसे अधिक असुरक्षित महिलाएं एवं लड़कियां हैं। 90% लड़कियां एवं महिलाओं को यौन शोषण के लिए ही शिकार बनाया जाता है। वहीं बात दक्षिण एशिया की करें तो यहां 85 फीसद मानव तस्करी बाल श्रम के लिए की जाती है। भारत में तस्करी के सबसे अधिक मामले पश्चिम बंगाल झारखंड असम और छत्तीसगढ़ में सामने आए हैं।

मानव तस्करी के मुख्य कारणों में गरीबी और अशिक्षा, सामाजिक असमानता, क्षेत्रीय लैंगिक असंतुलन, बंधुआ मजदूरी, देह व्यापार अच्छे जीवन का लालच, महानगरों में घरेलू कामों के लिए लड़कियों की तस्करी एवं चाइल्ड पॉर्नोग्राफी के लिए बच्चों की तस्करी मुख्य है।

मानव तस्करी के मामले में भारत की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। मानव तस्करी सभ्य समाज एवं मानवता के दामन पर बेहद बदनुमा धब्बा है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने ट्रेफिकिग प्रसंस रिपोर्ट में भारत को पिछले साल की ही तरह टियर 2 श्रेणी में रखा है। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत सरकार ने मानव तस्करी को मिटाने के लिए प्रयास तो किए लेकिन इसे रोकने के लिए न्यूनतम मानक हासिल नहीं किए जा सके।

मानव तस्करी के लिए भारत आज भी एक ठिकाना के रूप में पहचाना जाता है। झारखंड एवं छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में हथियार और आईडी संभालने के लिए 12 वर्ष तक की उम्र के बच्चों को माओवादी समूहों ने भर्ती किया जबकि माओवादी शिविरों में मौजूद महिलाओं एवं लड़कियों को यौन हिंसा का भी सामना करना पड़ता है।

वहीं जम्मू कश्मीर को लेकर भी कहा जा रहा है कि यहां भी सशस्त्र समूहों ने 14 वर्ष तक के बच्चों को अपने दलों में शामिल किया है। मानव तस्करी के मामले को रोना का अधिक बड़े हैं बीएसएफ ने इन घटनाओं को रोकने के लिए अलर्ट भी जारी किया था। दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में नौकरी का लालच दिलाने के नाम पर गरीब और जरूरतमंद लोगों को सीमा पार ले जाया गया है। वहीं कोलकाता, गुवाहाटी समेत पूर्वोत्तर भारत के अन्य शहरों से भी तस्करों ने लोगों को सीमा पार कराई है।

बिहार और बाढ़ पीड़ित क्षेत्रों में भी मानव तस्कर लगातार सक्रिय हैं राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की माने तो कोरोना का हाल में महिला और बाल विकास मंत्रालय को 27 लाख शिकायतें फोन के माध्यम से प्राप्त हुई थी जिनमें 1,900000 मामलों में कार्यवाही करते हुए इन शिकायतों में इस कार्रवाई में 32700 मानव तस्करी के मामले थे। बाकी मामलों में बाल विवाह शोषण यौन शोषण जबरन भीख मंगवाना है वह साइबर अपराध से जुड़े केस थे।

भारत में पिछले एक दशक में हुई मानव तस्करी के बारे में रिपोर्ट देते हुए राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो एनसीआरबी ने कहा था कि मानव तस्करी के 76 सीट थी मामले लड़कियों एवं महिलाओं से संबंधित थे कम समय में भारी मुनाफा कमाने के लालच में समाज में मानव तस्करी फल-फूल रही है।

दुनिया भर में हथियार एवं ड्रग तस्करी के बाद सबसे बड़ा तीसरा संगठित अपराध मानव तस्करी को माना जाता है। भारत को ऐसे अपराधों का ठिकाना कहा जाता है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार किसी भी व्यक्ति को बल प्रयोग करते हुए या दोष पूर्ण तरीके से भर्ती करना ,उसे डरा कर रखना या परिवहन अथवा शरण में रखने की गतिविधि भी तस्करी कहलाती है।

जबरन विवाह, घरेलू नौकर से लेकर बंधुआ मजदूरी और मानव अंगों के व्यापार के लिए दुनिया भर में महिलाओं बच्चों एवं पुरुषों को खरीदा और बेचा जाता है। दुनिया भर के आंकड़ों पर ध्यान दें तो मालूम होगा कि जिस्मफरोशी के लिए 80 फीसद मानव तस्करी होती है जबकि बाकी 20 फीसद बंधुआ मजदूरी या अन्य कामों के लिए की जाती है।

एनसीआरबी के अनुसार भारत में तस्करी के मामलों में मानव तस्करी दूसरा सबसे बड़ा अपराध है और पिछले एक दशक में इस अपराध में भारी बढ़ोतरी हुई है। सरकारी आंकड़ों की मानें तो देश भर में हर 8 मिनट में एक बच्चा लापता हो जाता है।

देश के हर राज्य में मानव तस्करों का जाल फैला हुआ है। छत्तीसगढ़ पश्चिमी बंगाल महाराष्ट्र आंध्र प्रदेश कर्नाटक और तमिलनाडु को मानव तस्करी का गढ़ माना जाता है। मानव तस्करी के मामले जो अधिकारी रिकॉर्ड में दर्ज होते हैं 70 इन्ही राज्यों से आते हैं। यहां लड़कियों को रेड लाइट एरिया के लिए भी तस्करी का निशाना बनाया जाता है।

2018 में मानव तस्करी के कुल 2278 मामले थे जबकि 2019 में 2260 मामले दर्ज किए गए इस अवधि में 6616 लोग तस्करी का शिकार हुए जिनमें 2914 बच्चे और 3702 युवा थे 6571 लोगों को तस्करों के चंगुल से छुड़ाया गया और 512 8 लोगों को गिरफ्तार किया गया।

मानव तस्करी के खिलाफ भारत सरकार ने प्रभावी कदम उठाते हुए मानव तस्करों पर नकेल कसने और पीड़ितों के पुनर्वास जैसे महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं इस सिलसिले में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने निवारण देखभाल और पुनर्वास विधेयक का मसौदा भी सार्वजनिक किया था जो विधेयक तस्करी विधेयक 2018 में संशोधन की एक लंबी प्रक्रिया के बाद पास किया गया है।

इस विधेयक के अनुसार मानव तस्करी के अपराध में संलिप्त व्यक्ति को कम से कम सात साल जेल की सजा होगी और इससे 10 साल तक बढ़ाया जा सकता है वही 10 लाख रुपए के जुर्माने का भी प्रावधान है।

मानव तस्करी को रोकने एवं इसका मुकाबला करने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर काम करेगी।
वहीं झारखंड के मुख्यमंत्री ने भी सभी जिलों के उपायुक्त को मानव तस्करों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं ।

मानव तस्कर उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों से महिलाओं को नौकरी एवं बेहतर सैलरी का झांसा देकर ओमान सऊदी अरब कुवैत समेत अन्य खाड़ी देशों में भेज दे रहे हैं।

खाड़ी के अरब देश तस्करी का शिकार हुए लोगों के लिए सबसे आसान ठिकाना है। हाल ही में सऊदी अरब से लेकर संयुक्त अरब अमीरात तक मानव तस्करी का शिकार होकर पहुंचे लोगों से जुड़े कई मामले सामने आए हैं जहां उन्हें अपने मालिकों की ओर से यौन शोषण का सामना करना पड़ा है।

हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात में नेपाली महिलाओं के साथ हुए दुर्व्यवहार एवं उनके यौन शोषण की खबरें मीडिया की सुर्खियां बनती रही हैं। हाल ही में माइग्रेंट राइट आर्गेनाईजेशन इंटरनेशनल ने एक रिपोर्ट प्रकाशित करते हुए संयुक्त अरब अमीरात में नेपाली श्रमिकों की दुर्दशा पर एक लेख प्रकाशित किया था जिसने दुनिया भर को झकझोर कर रख दिया था।

इस रिपोर्ट में मानव तस्करी में संयुक्त अरब अमीरात के किरदार से पर्दा उठाया गया था। खाड़ी सहयोग परिषद के सदस्य देशों में काम करने वाला यह संगठन श्रमिकों के अधिकारों के लिए काम करता है।

इस रिपोर्ट के अनुसार संयुक्त अरब अमीरात में मौजूद नेपाली श्रमिकों को दुर्व्यवहार एवं महिलाओं को यौन शोषण का शिकार होना पड़ता है। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि 28 वर्षीय कृषा नेपाल की नागरिक हैं जो घरेलू नौकरानी के रूप में दुबई में काम करती थी। उन्हे लगातार अपने मालिक की ओर से यौन शोषण का शिकार होना पड़ा। उन्होनें बार बार भागने की कोशिश की लेकिन नाकाम रहने पर दो बार आत्महत्या का प्रयास भी किया ।

अमीरात लीक्स के अनुसार उन्होंने बार-बार घर से भागने का प्रयास किया लेकिन हर बार असफल रही और अंत में अपने मालिक की हवस का शिकार बन गई कि शायद वह उसे भागने में मदद कर सके। लगातार 2 साल तक यौन शोषण एवं मानसिक रूप से पीड़ित रहने के बाद कृषा 2021 में अपने देश पलटने में कामयाब रही और तस्करी विरोधी विभाग में शिकायत दर्ज कराई।

कृषा ने कहा कि मेरे एम्पलाई उसके रिश्तेदारों और मालिक के बेटे ने मेरे साथ अनेकों बार बलात्कार किया। उन्होंने नेपाल में मुझसे कहा था कि उन्हें दुबई में उसे एक घरेलू नौकरानी के रूप में काम करना होगा लेकिन संयुक्त अरब अमीरात पहुंची तो मेरे साथ घिनौने अपराध किए गए।

कृषा की तरह नेपाल की अन्य महिलाओं को भी लुभावने वादे देकर संयुक्त अरब अमीरात लाया जाता है और यहां उन्हें यौन दासी के अलावा कोई काम नहीं दिया जाता है। माइग्रेंट राइट्स ऑर्गेनाइजेशन के दस्तावेज के अनुसार संयुक्त अरब अमीरात में घरेलू नौकरानी या अन्य कामों का लालच देकर लाई जाने वाली नेपाली महिलाओं को सिर्फ और सिर्फ यौन शोषण के लिए ही लाया जाता है उन्हें कोई काम नहीं दिया जाता।

पूर्वी नेपाल की प्रमिला भी ऐसी ही एक महिला हैं। 38 वर्षीय प्रमिला भी संयुक्त अरब अमीरात में यौन शोषण का शिकार बनती रह। उन्हें पहले एक ऑफिस में काम करने का लालच दिया गया और फिर बाद में शादी का लालच देकर यौन शोषण होता रहा।

प्रमिला के अनुसार शादी का लालच देकर काठमांडू में ही लगातार तीन दिन तक उनके साथ बलात्कार किया जाता रहा। संयुक्त अरब अमीरात पहुंचते ही मकान मालिक ने पहले दिन से ही उनका यौन शोषण करना शुरू कर दिया। 3 महीने लगातार पीड़ित होने के बाद वह भागने में सफल रही और अभी काठमांडू में एक संस्था में रह रही है और मानव तस्करी का शिकार होने वाले लोगों की मदद कर रही है।

Gayyur Alam

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