तेहरान में शहीद कमांडरों के अंतिम संस्कार में उमड़ा जनसैलाब, राष्ट्रपति पेज़िशकियान भी हुए शामिल
तेहरान के वरिष्ठ रिवोल्यूशनरी गार्ड कमांडर ने बताया कि आज शनिवार को देश के विभिन्न तबकों से ताल्लुक रखने वाले शहीदों का जनाज़ा निकाला जाएगा, जिनमें महिलाएं, बच्चे, वैज्ञानिक, सैन्य कमांडर और आम नागरिक शामिल हैं। इस बड़े कार्यक्रम के लिए सैन्य, सुरक्षा, चिकित्सा और सेवा एजेंसियों ने तमाम ज़रूरी तैयारियाँ कर ली हैं। जनाज़े के बाद, शहीदों को तेहरान के, बैत-ए ज़हरा कब्रिस्तान और अन्य शहरों में दफ़नाया जाएगा।
ईरना के अनुसार, राष्ट्रपति मसऊद पेज़िशकियान भी इस ऐतिहासिक जनाज़े में मौजूद रहे और उन्होंने शहीद कमांडरों, वैज्ञानिकों और आम नागरिकों को श्रद्धांजलि दी, जो इज़रायली आतंकी हमले में शहीद हुए थे।
आज सुबह, मोहर्रम की दूसरी तारीख को, तेहरान की सड़कों पर हज़ारों लोग ‘लब्बैक या हुसैन’ के लाल झंडे और ‘अमेरिका-इज़रायल मुर्दाबाद’ जैसे नारों के साथ सड़कों पर उतरे। इस जनसैलाब ने राष्ट्रीय गौरव के इन 60 शहीदों को विदाई दी। महिलाओं और बच्चों के पवित्र शव भी इस जनाज़े में शामिल थे, जो पूरी दुनिया को यह संदेश दे रहे थे कि ज़ायोनी शासन सिर्फ जंग के मैदान में नहीं, बल्कि इंसानियत के मैदान में भी बुरी तरह हार चुका है।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक़, जिन शहीदों को दफ़न किया जाएगा उनमे आईआरजीसी के प्रमुख कमांडर भी शामिल हैं। शहीद होने वाले प्रमुख कमांडरों के नाम हैं:
शहीद हुसैन सलामी और रब्बानी
शहीद हाजीज़ादा और मोहम्मद बाक़िरी
शहीद शादमानी
शहीद काज़ेमी
शहीद रमज़ान इज़दी
शहीद मोहम्मद बाक़िरी और महराबी
13 की सुबह, जब इज़रायल ने ईरान पर धोखे से हमला किया, तब इन शहीदों में कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारी, वैज्ञानिक और नागरिक शामिल थे। इसके बाद, अमरीका ने भी फ़ोर्दो, नतंज़ और इस्फहान के परमाणु केंद्रों पर हमला किया। ईरान की सशस्त्र सेना ने 12 दिनों तक दुश्मन को कड़ा जवाब दिया, जिसके बाद इज़रायल को युद्ध-विराम स्वीकार करने पर मजबूर होना पड़ा।
12 दिन की इस जंग के बाद, जिसमें ज़ायोनी शासन ने जंग थोपी थी, ईरान की एकता और बहादुरी ने एक बार फिर जीत का परचम लहराया। इस विजय के बाद, सेना प्रमुख अमीर सरलश्कर हातमी ने कहा कि यह संघर्ष ‘न्याय बनाम अन्याय’ का था, जिसमें ईरान की सेना, आईआरजीसी, पुलिस, रक्षा वैज्ञानिक और सभी संस्थान, सर्वोच्च नेता की कमान में एकजुट होकर लड़े और ‘फ़ौज देश पर क़ुर्बान’ का नारा साकार किया।

