हिज़्बुल्लाह अपनी क्षमताओं को पुनः सशक्त कर रहा: अराक़ची

हिज़्बुल्लाह अपनी क्षमताओं को पुनः सशक्त कर रहा: अराक़ची

स्काई न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, अहमद अराक़ची ने एक साक्षात्कार में स्पष्ट किया कि ईरान का सीरिया के साथ संबंध वहां के पक्ष के व्यवहार पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा, “प्रतिरोध का भविष्य अभी भी उज्ज्वल है, और हिज़्बुल्लाह लगातार अपनी क्षमताओं को पुनः सशक्त कर रहा है। अहमद अराक़ची ने हमास और इज़रायली शासन के बीच युद्ध-विराम पर हो रही अप्रत्यक्ष वार्ता के बारे में कहा कि ईरान किसी भी समझौते का समर्थन करेगा, जिस पर हमास और फिलिस्तीनी खुद सहमत होंगे।

ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि तेहरान “निर्माणात्मक और बिना देरी के वार्ता” के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, “ईरान का फॉर्मूला वही है जो परमाणु समझौते (JCPOA) में था। परमाणु कार्यक्रम को लेकर विश्वास पैदा करना और इसके बदले में प्रतिबंधों को हटाना।”

उन्होंने बताया कि ईरान और यूरोपीय देशों के बीच वार्ता का दूसरा दौर दो हफ्ते के भीतर होगा। उन्होंने कहा, “यूरोपीय देशों के साथ एक दौर की वार्ता हो चुकी है। दूसरा दौर निर्धारित किया गया है और यह अगले दो हफ्तों के अंदर तीन यूरोपीय देशों के साथ होगा।”

ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम पर पुनः वार्ता के लिए तैयार
उन्होंने कहा, “ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम पर वार्ता फिर से शुरू करने के लिए तैयार है। हमने 2 साल से अधिक समय तक 1+5 देशों के साथ ईमानदारी से वार्ता की और अंततः एक समझौते पर पहुंचे।” उन्होंने यह भी कहा, “दुनिया भर ने इस समझौते को एक राजनयिक सफलता के रूप में स्वीकार किया और सराहा। हमने इसे ईमानदारी से लागू किया, लेकिन अमेरिका ने बिना किसी कारण और तर्क के इससे बाहर होने का फैसला किया और स्थिति को यहां तक ​​पहुंचाया।”

अहमद अराक़ची ने अमेरिका के 2018 में JCPOA से बाहर होने को “बहुत बड़ी और रणनीतिक गलती” करार दिया। उन्होंने कहा, “2015 से अब तक 10 साल बीत चुके हैं और कई घटनाक्रम हुए हैं। अमेरिका का समझौते से बाहर होना एक बड़ी रणनीतिक गलती थी, जिससे ईरान ने अपनी प्रतिक्रिया दी।”

उन्होंने कहा, “एक राजनयिक के रूप में मेरा मानना है कि सबसे कठिन परिस्थितियों में भी राजनयिक समाधान मिल सकते हैं, बशर्ते राजनीतिक इच्छाशक्ति हो और राजनयिक, रचनात्मकता और पहल दिखाएं। उन्होंने कहा, “अगर विरोधी पक्षों में राजनीतिक इच्छाशक्ति है, तो समाधान खोजना मुश्किल हो सकता है, लेकिन असंभव नहीं।”

चीन और रूस की भूमिका पर उन्होंने कहा, “चीन और रूस, दोनों अतीत में प्रभावी वार्ता के सदस्य रहे हैं और ईरान के दृष्टिकोण से इन्हें अपनी रचनात्मक भूमिका जारी रखनी चाहिए। यह हमारी इच्छा और उद्देश्य है।”

सीरिया पर विचार
साक्षात्कार में ईरान के विदेश मंत्री ने सीरिया के मुद्दे पर कहा, “ईरान का मानदंड सीरिया के शासकों का व्यवहार है।” उन्होंने कहा, “हम सिर्फ सतही बदलाव, नारों और घोषणाओं पर निर्णय नहीं लेते। हम प्रतीक्षा करेंगे कि संक्रमणकालीन सरकार अपनी नीतियां घोषित करे और स्थिरता प्राप्त करे। निर्णय उनके व्यवहार के आधार पर लिया जाएगा।”

उन्होंने स्पष्ट किया, “ईरान पूरी नीयत से सीरिया में शांति चाहता है और वहां स्थिरता लाने में मदद करना चाहता है।” उन्होंने यह भी कहा, “सभी क्षेत्रीय देशों को सहयोग करना चाहिए ताकि एक समावेशी सरकार बनाई जा सके, जो सीरिया के सभी समुदायों और समूहों को शामिल करे।”

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