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हिज़्बुल्लाह एक असली आंदोलन, उसका मक़सद लेबनान की शांति है: अली लारीजानी

हिज़्बुल्लाह एक असली आंदोलन, उसका मक़सद लेबनान की शांति है: अली लारीजानी

ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव अली लारीजानी ने हिज़्बुल्लाह को लेबनान और दुनिया का असली आंदोलन बताया और कहा कि. इसका सबसे बड़ा मक़सद लेबनान के लोगों की आराम व शांति है। उन्होंने इज़रायल की धमकियों पर कहा कि “हम हर हालात के लिए तैयार हैं, लेकिन मुझे नहीं लगता कि इज़रायली इतने नादान कदम उठाएँगे, और अगर उठाएँगे तो उन्हें मज़बूत जवाब दिया जाएगा।”

सऊदी अरब व हिज़्बुल्लाह के बीच रिश्ते सुधारने के लिए नईम क़ासिम की तारीफ़
विदेशी नीति पर बयान देते हुए उन्होंने कहा कि, उन्होंने लेबनान के संसद अध्यक्ष नबीह बेरी से मुलाक़ात की और सऊदी अरब व हिज़्बुल्लाह के बीच रिश्ते सुधारने के लिए शेख़ नईम क़ासिम की पहल की तारीफ़ की। लारीजानी ने कहा, “सऊदी अरब हमारा भाई और मुस्लिम देश है। आज सहयोग का दौर है और पूरी इस्लामी दुनिया एक साझा दुश्मन का सामना कर रही है।”

उन्होंने आगे कहा कि हिज़्बुल्लाह, इज़रायल के सामने मज़बूत ढाल है और अपने लोगों के आराम के लिए बलिदान देता है। “प्रतिरोध का जज़्बा पूरी इस्लामी उम्मत के लिए एक बड़ी पूँजी है और ख़ासकर हिज़्बुल्लाह का किरदार बेहद अहम है। लेबनान छोटा देश है मगर इज़रायल के सामने ताक़तवर बन कर खड़ा है।”

लारीजानी ने पश्चिमी आरोपों पर कहा कि, हिज़्बुल्लाह इतना मज़बूत है कि उसे बाहर से हथियार लेने की ज़रूरत नहीं। उन्होंने यह भी कहा कि, “अमेरिका और कुछ ताक़तें लेबनान के अंदरूनी मामलों में दख़ल देकर फूट डालना चाहती हैं, लेकिन लेबनान के लोग समझदार हैं और उन्हें किसी क़ीम की ज़रूरत नहीं।”

उन्होंने साफ़ किया कि, ईरान किसी को हुक्म नहीं देता, बल्कि नईम क़ासिम जैसे नेता खुद जानते हैं कि, लेबनान के लोगों के लिए क्या बेहतर है। “हिज़्बुल्लाह अगर सऊदी अरब और दूसरे देशों से नज़दीकी चाहता है तो यह उसकी अक़्लमंदी और दूरअंदेशी का सबूत है, कमजोरी का नहीं।”

क्षेत्रीय देशों को इज़रायली साज़िशों के ख़िलाफ़ एकजुट होकर काम करना चाहिए
लारीजानी ने कहा कि, वह लेबनान शहीद हसन नसरुल्लाह, शहीद सैयद हाशिम सफ़ीउद्दीन और सभी लेबनानी व फ़िलिस्तीनी शहीदों की बरसी में शिरकत के लिए आए हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि क्षेत्रीय देशों को इज़रायली साज़िशों के ख़िलाफ़ एकजुट होकर काम करना चाहिए और आपसी मतभेदों को किनारे रखना चाहिए। अंत में उन्होंने कहा, “हमारी ख्वाहिश है कि इस क्षेत्र की सारी सरकारें मज़बूत और स्वतंत्र हों।”

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