हिज़बुल्लाह को हराया नहीं जा सकता, युद्धविराम ही एकमात्र समाधान: नईम क़ासिम
हिज़बुल्लाह के उपनेता शेख़ नईम क़ासिम ने एक टेलीविजन साक्षात्कार में कहा कि मध्य पूर्व में जारी संघर्ष का एकमात्र व्यावहारिक समाधान युद्ध-विराम है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस युद्ध में हिज़बुल्लाह को हराना संभव नहीं है, क्योंकि यह प्रतिरोध की ताकत है जो अपनी मातृ-भूमि की रक्षा के लिए लड़ रही है। उन्होंने इज़राइल को चेतावनी दी कि यदि वह अपने उत्तरी क्षेत्रों में बसे नागरिकों को सुरक्षित रूप से घर लौटने की उम्मीद करता है, तो उसे ग़ाज़ा पर अपने आक्रमणों को तुरंत रोकना होगा।
क़ासिम ने कहा, “मैं अग्रिम मोर्चे से स्पष्ट रूप से कहता हूं कि युद्ध-विराम ही इस संकट का समाधान है। युद्ध-विराम के बाद, एक अनौपचारिक समझौते के तहत उत्तरी इज़राइल में रहने वाले नव-आबादकार अपने घर लौट सकते हैं। लेकिन अगर युद्ध जारी रहता है, तो बेघर होने वाले नागरिकों की संख्या में भारी वृद्धि होगी, और लाखों लोग संकट में पड़ सकते हैं।” उन्होंने आगे कहा कि यह संकट और गंभीर हो सकता है, जिससे लगभग 20 लाख से अधिक लोग प्रभावित हो सकते हैं।
यह बयान ऐसे समय आया है जब इज़राइल और हिज़बुल्लाह के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है, खासकर ग़ाज़ा और लेबनान में इज़राइल के क्रूर हमलों के बाद। इज़राइली सेना की बर्बरता की निंदा करते हुए क़ासिम ने कहा कि प्रतिरोध को कभी भी हराया नहीं जा सकता क्योंकि यह लोगों के अधिकार और सम्मान की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहा है।
उन्होंने गर्व से कहा, “हमारी ताकतें अजेय हैं क्योंकि वे अपनी ही जमीन पर लड़ रही हैं और वे अपने जीवन से अधिक सम्मान को प्राथमिकता देती हैं।” क़ासिम ने इज़राइली सेना पर हमला करते हुए कहा कि वह पराजित हो चुकी है और अगर संघर्ष जारी रहता है तो उसे और भी अधिक हार का सामना करना पड़ेगा।
हिज़बुल्लाह ने हाल ही में इज़राइल के उत्तरी हाइफ़ा शहर पर एक बड़ा रॉकेट हमला किया है। इस हमले के बारे में संगठन ने एक बयान जारी कर कहा कि यह इज़राइल के आक्रामक हमलों के जवाब में किया गया है, जिनसे लेबनान के लोग और उनकी सुरक्षा प्रभावित हो रही है। हिज़बुल्लाह ने यह स्पष्ट कर दिया कि यह हमले लेबनान की रक्षा के लिए हैं और अगर इज़राइल अपनी आक्रामकता जारी रखता है तो वे इन हमलों को और तेज़ करेंगे।
क़ासिम का बयान और हिज़बुल्लाह की सैन्य कार्रवाई यह दर्शाती है कि यह संघर्ष और अधिक गंभीर मोड़ ले सकता है, और दोनों पक्षों के बीच कोई भी समाधान तभी संभव हो सकता है जब इज़राइल युद्ध-विराम के लिए सहमत हो।