फ्रीडम फ़्लोटिला की मदद इज़रायली नाकाबंदी तोड़ने के करीब पहुंची
एक सहायता जहाज़, जिसमें 12 कार्यकर्ता सवार हैं, मिस्र के समुद्री तट के पास पहुँच चुका है और घिरे हुए फ़िलिस्तीनी क्षेत्र के क़रीब है। शनिवार को लंदन से जारी बयान में “इंटरनेशनल कमेटी फॉर ब्रेकिंग द सीज़ ऑफ ग़ाज़ा” जो फ्रीडम फ़्लोटिला गठबंधन की एक सदस्य संस्था है ने कहा कि, जहाज़ मिस्र के जल क्षेत्र में प्रवेश कर चुका है।
संगठन ने बताया कि वे अंतरराष्ट्रीय क़ानूनी और मानवाधिकार संस्थाओं से संपर्क में हैं ताकि जहाज़ पर सवार लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और चेतावनी दी कि किसी भी हस्तक्षेप को मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन माना जाएगा। जहाज़ पर सवार यूरोपीय संसद के एक सदस्य ने दुनिया की सभी सरकारों से मांग की है कि, वे फ्रीडम फ़्लोटिला के लिए सुरक्षित रास्ते की गारंटी दें। एक कार्यकर्ता ने मीडिया को बताया कि “हम इस समय मिस्री तट के निकट यात्रा कर रहे हैं, और हम सब ठीक हैं।”
यह जहाज़ ‘मेडलीन’, जो फ्रीडम फ़्लोटिला गठबंधन का हिस्सा है, पिछले सप्ताह सिसली से रवाना हुआ था, जिसका मक़सद ग़ाज़ा की इज़रायली नाकाबंदी को तोड़ना है। फ़िलिस्तीनी क्षेत्र पहले से ही 7 अक्टूबर 2023 से पहले भी इज़रायली समुद्री नाकाबंदी के अधीन था, और इज़रायल अतीत में सैन्य कार्रवाई के ज़रिए इस नाकाबंदी को लागू करता रहा है।
2010 में ऐसी ही एक सहायता फ़्लोटिला के हिस्से तुर्की के जहाज़ ‘मावी मारमरा’ पर इज़रायली हमले में 10 नागरिक मारे गए थे। मई महीने में एक और फ्रीडम फ़्लोटिला जहाज़ ‘कॉन्शियंस’ ने ग़ाज़ा की ओर जाते समय ड्रोन हमले की सूचना दी थी, जिसके बाद माल्टा ने उस जहाज़ की परेशानी की सूचना पर रेस्क्यू जहाज़ भेजे थे, हालांकि कोई जानमाल का नुक़सान नहीं हुआ था।
‘मेडलीन’ ने अपनी यात्रा के दौरान यूनानी द्वीप क्रीट के पास रास्ता बदला जब उसे एक डूबती हुई प्रवासी नाव से एसओएस सिग्नल मिला। कार्यकर्ताओं ने चार सूडानी प्रवासियों को बचाया जो लीबिया वापस न भेजे जाने के डर से समुद्र में कूद गए थे। बाद में उन्हें यूरोपीय संघ की फ्रन्टेक्स नाव को सौंप दिया गया।
2010 में स्थापित, ‘फ्रीडम फ़्लोटिला गठबंधन’ उन संगठनों का गठजोड़ है जो ग़ाज़ा पर लागू की गई मानवीय सहायता की नाकाबंदी का विरोध करते हैं। यह नाकाबंदी 2 मार्च को इज़रायल ने लागू की थी, जिसे अब तक सिर्फ़ आंशिक रूप से ही ढीला किया गया है। इज़रायल को इस क्षेत्र में पैदा हुए मानवीय संकट को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है, जहां संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि दो मिलियन से अधिक लोगों की पूरी आबादी भुखमरी के ख़तरे में है।

