ईरान के यूरेनियम पर पहुँच न मिलने को लेकर ग्रोसी की गंभीर चिंता
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के महानिदेशक राफ़ाएल ग्रोसी ने ईरान की परमाणु गतिविधियों से जुड़े अपने नवीनतम आकलन में गंभीर चिंताएँ व्यक्त की हैं। अल-मयादीन ने गुरुवार देर रात दावा किया कि उसके पास ग्रोसी की वह गोपनीय रिपोर्ट मौजूद है जिसमें ईरान की परमाणु प्रतिबद्धताओं और एजेंसी के निरीक्षण अधिकारों पर विस्तृत चर्चा की गई है।
फ़ार्स न्यूज़ एजेंसी के अंतरराष्ट्रीय डेस्क के अनुसार, अल-मयादीन ने बताया कि यह दस्तावेज़ ईरान के उन वादों की समीक्षा करता है जो उसने परमाणु अप्रसार संधि (NPT) और काहिरा समझौते के तहत किए थे। ग्रोसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि एजेंसी इस समय ईरान में उच्च स्तर पर संवर्धित यूरेनियम (हाई-एनरिच्ड यूरेनियम) की वास्तविक मात्रा की स्वतंत्र रूप से पुष्टि करने की स्थिति में नहीं है। उनके अनुसार, निरीक्षण और सत्यापन की यह कमी “गंभीर चिंता” का विषय बन चुकी है।
रिपोर्ट का एक अहम हिस्सा यह भी बताता है कि ईरानी अधिकारियों ने एजेंसी को स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी अतिरिक्त सहयोग या निरीक्षण की अनुमति, ईरान की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद द्वारा लिए गए निर्णयों पर निर्भर करेगी। यानी एजेंसी की मांगों पर आगे की कार्रवाई ईरान के आंतरिक सुरक्षा ढांचे के फैसलों से तय होगी।
अल-मयादीन के हवाले से यह भी सामने आया कि ग्रोसी ने चिंता जताई है कि एजेंसी अब उन परमाणु सामग्रियों और घोषणाओं पर लगातार निगरानी रखने की अपनी पूर्व क्षमता खो चुकी है जिन्हें ईरान ने आधिकारिक तौर पर घोषित किया था। निरीक्षण क्षमता में आई यह गिरावट IAEA के लिए न सिर्फ तकनीकी, बल्कि कूटनीतिक स्तर पर भी चुनौती मानी जा रही है, क्योंकि इससे सत्यापन प्रक्रिया कमजोर पड़ती है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इस स्थिति ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु निगरानी ढांचे में एक नया तनाव पैदा कर दिया है, और यह स्पष्ट संकेत देता है कि ईरान और IAEA के बीच सहयोग का भविष्य आने वाले राजनीतिक निर्णयों पर टिका है।

