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ग़ाज़ा हॉलोकॉस्ट ने पश्चिमी पाखंड को उजागर कर दिया: फिलिस्तीनी प्रतिरोध 

ग़ाज़ा हॉलोकॉस्ट ने पश्चिमी पाखंड को उजागर कर दिया: फिलिस्तीनी प्रतिरोध 

फारस न्यूज़ एजेंसी की अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के अनुसार, फिलिस्तीनी प्रतिरोध समूहों ने एक बयान जारी कर कहा है कि: 
“पिछले 21 महीनों से हमारे लोग और हमारे परिवार ग़ाज़ा पट्टी में एक अपराधपूर्ण और फासीवादी युद्ध का सामना कर रहे हैं। इस युद्ध में नरसंहार, नस्ली सफ़ाया, बर्बर बमबारी, जानबूझकर की जा रही भुखमरी और जीवन के हर पहलू को योजनाबद्ध ढंग से निशाना बनाना शामिल है, जिसमें महिलाएं, बच्चे, युवा, बुज़ुर्ग और बीमार लोग मारे जा रहे हैं। हम सामूहिक विस्थापन, भयानक भूखमरी, बीमारी और अभूतपूर्व थकान का भी सामना कर रहे हैं।”

शहाब समाचार एजेंसी के अनुसार, इस बयान में कहा गया है:
“यह भयानक और गंभीर मानवीय त्रासदी — जिसमें हम बच्चों, बीमारों और बुज़ुर्गों की सामूहिक मौतें देख रहे हैं — अमेरिका की साझेदारी, अंतरराष्ट्रीय चुप्पी, पश्चिमी देशों की राजनैतिक और कूटनीतिक मदद और यूरोपीय संघ द्वारा जनमत को धोखा देने के साए में घट रही है, जिन्होंने शर्मनाक रूप से ज़ायोनी शासन का पक्ष लिया है।”

प्रतिरोध समूहों ने निम्नलिखित बिंदुओं पर ज़ोर दिया:
1- हर उम्र के भूखे और बीमार नागरिक अस्पतालों का रुख़ कर रहे हैं, वे थकान और दुर्बलता की भयानक स्थिति में हैं। यह स्थिति लगातार भुखमरी, कुपोषण और दवाओं की कमी के कारण पैदा हुई है, और अब उनके शरीर प्रतिरोध करने की स्थिति में नहीं हैं।

2- ज़ायोनी ताक़त की दमनकारी नीतियां और लगातार की जा रही हत्याएं, नरसंहार, भुखमरी और पागलपन भरी बमबारी — जो अब चर्चों, मस्जिदों, स्कूलों और अस्पतालों तक को निशाना बना रही हैं — इसकी ज़िम्मेदारी पूरी तरह अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की है, जिन्होंने पाखंड और चुप्पी के ज़रिए अपराध में भागीदारी की है। साथ ही यह अरब और इस्लामी शासन व्यवस्थाओं की शर्मनाक चुप्पी और आत्मसमर्पण को उजागर करता है, जिसने इज़रायली अपराधों को खुलकर बढ़ावा दिया है।

3- ग़ज़ा का यह हॉलोकॉस्ट पश्चिमी पाखंड और तथाकथित लोकतंत्र की सच्चाई को उजागर करता है। ये सारे नैतिक और मानवीय नारे खोखले साबित हुए हैं, जो अमेरिका की अधीनता में जीने वाली शासन व्यवस्थाओं की कमजोरी और अपमान को दर्शाते हैं।

4- हम एक बार फिर उम्मत और दुनिया के सभी आज़ाद लोगों से अपील करते हैं कि वे ग़ाज़ा में ख़ून की नदी में बहते हमारे बच्चों, महिलाओं और परिवारों के खून के तमाशाई न बने रहें। अब वक़्त है कि वे ज़ायोनी, अमेरिकी और पश्चिमी दूतावासों के घेराव और प्रदर्शन करें।

5- हम यह संदेश बिना किसी अपवाद के उम्मत के सभी विद्वानों, बुज़ुर्गों, राजनीतिक, पार्टी और बौद्धिक नेतृत्व, और हर उस अरब और मुस्लिम को देते हैं, जो ग़ाज़ा की तबाही देख रहा है: अगर आप आज कुछ नहीं करेंगे, तो कब करेंगे? ज़िंदगी का मतलब एक स्पष्ट और साहसी रुख़ है, और यही रुख़ आज आपसे लिया जा रहा है। अल्लाह को वही दिखाएं जो वह आपसे देखना चाहता है।

6- हम अपने ग़ाज़ा के बहादुर, डटे हुए लोगों को सलाम पेश करते हैं, जिन्होंने ज़ायोनी परियोजना की जड़ों को हिला दिया है और दुश्मनों की तमाम साज़िशों को नाकाम किया है। हम अपने तमाम लोगों से कहते हैं: आपका सब्र, आपकी भूख और आपकी कुर्बानियां कभी बेकार नहीं जाएंगी। उनका फल बहुत जल्द मिलने वाला है, इंशा’अल्लाह।

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