ग़ाज़ा 60 साल पीछे चला गया है: यूएनडीपी प्रमुख
संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने कहा है कि “इजरायली युद्ध के कारण ग़ाज़ा का विकास 60 साल पीछे चला गया है और फिलिस्तीनी क्षेत्र की बहाली में अरबों डॉलर खर्च होंगे।”
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के प्रमुख आचिम स्टीनर ने कहा कि “ग़ाज़ा की लगभग दो-तिहाई इमारतें या तो पूरी तरह से नष्ट हो चुकी हैं या उन्हें गंभीर नुकसान पहुंचा है, और फिलिस्तीनी क्षेत्र से लगभग 42 मिलियन टन मलबा हटाना खतरनाक और चुनौतीपूर्ण साबित होगा।”
स्विट्जरलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की बैठक के दौरान एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि “ग़ाज़ा की लगभग 65-70% इमारतें आंशिक या पूरी तरह से नष्ट हो चुकी हैं। फिलिस्तीनी क्षेत्र की अर्थव्यवस्था भी बर्बाद हो गई है और 15 महीने के युद्ध ने 60 वर्षों की प्रगति को खत्म कर दिया है।”
उन्होंने आगे कहा, “ग़ाज़ा पट्टी में 20 लाख फिलिस्तीनियों ने न केवल अपने घर खो दिए हैं, बल्कि सार्वजनिक ढांचा, सीवेज प्रणाली, स्वच्छ जल की आपूर्ति और कचरा प्रबंधन जैसी बुनियादी सेवाएं भी समाप्त हो गई हैं। ये सभी चीजें अब वहां मौजूद नहीं हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि “मानवीय त्रासदी को केवल आंकड़ों में नहीं मापा जा सकता।”
ग़ाज़ा की बहाली के लिए लंबा समय
हमास और इजरायल के बीच “युद्धविराम और बंधकों की रिहाई” का समझौता रविवार को लागू हुआ है। आचिम स्टीनर ने कहा, “युद्धविराम की अनिश्चित स्थिति और संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की ‘जीवन रक्षक सहायता’ की तात्कालिकता को देखते हुए यह कहना मुश्किल है कि ग़ाज़ा की बहाली में कितना समय लगेगा। यहां बहाली एक या दो साल में संभव नहीं है। ग़ाज़ा की पुनर्निर्माण प्रक्रिया में कई साल लगेंगे क्योंकि हमें न केवल बुनियादी ढांचे का पुनर्निर्माण करना है, बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करना है।”
उन्होंने कहा, “युद्ध से पहले लोगों के पास अपनी बचत, ऋण और व्यापार में निवेश था। यह सब खत्म हो चुका है। इसलिए यहां हमें न केवल सार्वजनिक ढांचे और अर्थव्यवस्था की बहाली पर ध्यान केंद्रित करना है, बल्कि पुनर्निर्माण के ‘मानसिक चरण’ से भी गुजरना होगा।” उन्होंने कहा कि “भौतिक ढांचे के पुनर्निर्माण में अरबों डॉलर खर्च होंगे और वित्तीय संसाधन जुटाने में बड़ी कठिनाई हो सकती है।”
‘असाधारण तबाही’
उन्होंने स्पष्ट किया कि “मलबे का ढेर और बढ़ सकता है, और इसके कारण हमें बड़े संकटों का सामना करना पड़ सकता है। मलबे को गाड़ियों में भरकर दूसरी जगह ले जाना आसान नहीं है। यह मलबा खतरनाक हो सकता है। इसमें ऐसी चीजें हो सकती हैं जो अभी तक नहीं फटी हैं।”
उन्होंने यह भी कहा, “हमें इसे ‘पुनः उपयोग के योग्य’ बनाने का विकल्प है। हम इन सभी सामग्री को रिसाइकल कर पुनर्निर्माण के कामों में उपयोग कर सकते हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “अस्थायी समाधान के तहत मलबे को डंपिंग स्थल पर जमा किया जाएगा, जहां से इसे स्थायी रूप से ठिकाने लगाने या पुनः उपयोग के लिए ले जाया जाएगा।”
उन्होंने कहा, “अगर युद्ध-विराम लंबे समय तक चलता है, तो पुनर्निर्माण के लिए बड़ी मात्रा में अस्थायी ढांचे की आवश्यकता होगी। हर स्कूल और हर अस्पताल या तो पूरी तरह से नष्ट हो चुका है या उन्हें गंभीर नुकसान पहुंचा है।” गौरतलब है कि इजरायली आक्रमण के कारण फिलिस्तीनी क्षेत्र में 47,000 से अधिक लोग मारे गए और 1,10,000 से अधिक घायल हुए हैं।


popular post
इज़रायल की “पीली रेखा योजना” ग़ाज़ा को विभाजित करने की साज़िश
इज़रायल की “पीली रेखा योजना” ग़ाज़ा को विभाजित करने की साज़िश इज़रायल में हाल ही
संयुक्त अरब अमीरात ने इस्राईली नागरिकों को वीज़ा देना किया शुरू
कुछ दिनों पहले इस्राईल के साथ अपने संबंधों को सार्वजनिक कर कई समझौते पर हस्ताक्षर
4 दिसंबर भारतीय नौसेना दिवस
4 दिसंबर भारतीय नौसेना दिवस हर देश किसी न किसी तारीख़ को नौसेना दिवस मनाया
कल से शुरू होगी टी-20 सीरीज, जानिए कितने बजे खेला जाएगा मैच
भारतीय टीम फ़िलहाल अपने ऑस्टेलिया के दौरे पर है जहाँ पर अब तक एकदिवसीय सीरीज़
कुछ हफ़्तों में मेड इन इंडिया कोरोना वैक्सीन आने की उम्मीद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
कोरोना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सुबह एक सर्वदलीय बैठक की. पीएम मोदी ने
महाराष्ट्र में बीजेपी को विधान परिषद चुनाव में लगा तगड़ा झटका, सिर्फ एक सीट पर मिल सकी जीत
महाराष्ट्र में बीजेपी को विधान परिषद चुनाव में तगड़ा झटका लगा है. विधान परिषद की
5वें दौर की बैठक: किसानों का दो टूक जवाब हम सरकार से चर्चा नहीं, बल्कि ठोस जवाब चाहते हैं वो भी लिखित में,
कृषि कानूनों को लेकर पिछले 9 दिनों से धरने पर बैठे किसानों के साथ केंद्र
रूस की नसीहत, वेस्ट बैंक में एकपक्षीय कार्रवाई से बचे इस्राईल
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोफ़ ने मेडिटरेनीयन डायलॉग्स बैठक को संबोधित करते हुए कहा