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ग़ाज़ा में ईंधन की कमी से राहत कार्यों पर ख़तरा: संयुक्त राष्ट्र

ग़ाज़ा में ईंधन की कमी से राहत कार्यों पर ख़तरा: संयुक्त राष्ट्र

संयुक्त राष्ट्र की राहत एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि ग़ाज़ा में ईंधन का संकट विनाशकारी रूप ले चुका है, जिससे सभी राहत कार्यों के बंद होने का ख़तरापैदा हो गया है और मानवीय सहायता पर निर्भर लोगों की ज़िंदगियों पर गंभीर खतरे मंडरा रहे हैं। क्षेत्र में ईंधन लगभग पूरी तरह खत्म हो चुका है, जिससे ज़िंदगी तबाही के कगार पर पहुँच गई है। लोग पहले ही भयंकर भुखमरी और लगातार जारी युद्ध का सामना कर रहे हैं। ईंधन के बिना राहत कार्य पूरी तरह से बंद हो जाएंगे, जिससे न तो चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध होंगी, न साफ़ पीने का पानी और न ही कोई मानवीय मदद पहुँचाई जा सकेगी।

ईंधन की गंभीर किल्लत
राहत एजेंसियों के अनुसार, 130 दिनों के बाद बीते दो दिनों में पहली बार 75 हज़ार लीटर तेल ग़ाज़ा में लाया गया है, जो ज़रूरत के मुकाबले बहुत कम है। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टेफ़न दुजारिक ने कहा कि क्षेत्र की समग्र स्थिति दिन-ब-दिन और गंभीर होती जा रही है। युद्ध-विराम के बिना हर दिन टाली जा सकने वाली मौतें हो रही हैं, पीड़ित बच्चे दम तोड़ रहे हैं और भूखे लोगों को खाना लेने की कोशिश में गोली मार दी जा रही है।

राहत पहुँचाने में देरी जानलेवा 
प्रवक्ता ने कहा कि इज़रायल द्वारा मानवीय राहत पर लगाई गई बंदिशें बेहद चिंताजनक हैं। हाल ही में दक्षिणी ग़ाज़ा के कुछ अस्पतालों को थोड़ी मात्रा में ईंधन दिया गया, लेकिन उत्तरी ग़ाज़ा के अस्पतालों तक ईंधन ले जाने की अनुमति नहीं दी गई, जिससे मरीज़ों की जान को ख़तरा है। गुरुवार को राहत कार्यों के लिए 15 स्थानों पर अनुमति मांगी गई थी, जिनमें से केवल 6 को मंजूरी दी गई। ग़ाज़ा शहर में मलबे में दबे घायलों को बचाने की मंजूरी दो दिन बाद मिली, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। जब राहतकर्मी पहुँचे, तब तक कोई जीवित नहीं बचा था। इज़रायल पिछले चार महीनों से टेंट और आश्रय सामग्री भी रोक चुका है, जिससे हज़ारों लोग खुले आसमान के नीचे मौसम की मार झेलने को मजबूर हैं।

राहतकर्मियों की जान भी ख़तरे में
स्टेफ़न दुजारिक ने कहा कि राहतकर्मियों की जान को भी ख़तरा है। बीते दिनों ऐसे पांच हमले हुए जो संयुक्त राष्ट्र और राहतकर्मियों के काम करने वाली जगहों से कुछ ही सौ मीटर की दूरी पर हुए। इसी तरह कुछ दिन पहले रेड क्रिसेंट के कर्मचारियों पर भी फायरिंग हुई, हालांकि कोई घायल नहीं हुआ। संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने माँग की है कि ग़ाज़ा में तत्काल और स्थायी रूप से बड़ी मात्रा में ईंधन पहुँचाया जाए और राहत दलों को सभी क्षेत्रों में सुरक्षित और पूर्ण पहुंच दी जाए। उनका कहना है कि मौजूदा आपात स्थिति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और अगर ईंधन की आपूर्ति जल्द बहाल नहीं हुई, तो राहत कार्य पूरी तरह से रुक जाएंगे।

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