ग़ाज़ा में इज़रायली सैनिकों के मारे जाने पर विदेशी यूज़र्स ने जताई खुशी
मंगलवार सुबह ग़ाज़ा के उत्तरी हिस्से बैत हानून में हमास की अल-क़स्साम ब्रिगेड के लड़ाकों ने इज़रायली सेना के एक दस्ते पर घात लगाकर हमला किया। इस कार्रवाई में कम से कम 6 इज़रायली सैनिक मारे गए और दर्जनों गंभीर रूप से घायल हो गए। हमले की जगह पहले से प्लान की गई थी और हमास के जवानों ने पूरी रणनीति के साथ इस ऑपरेशन को अंजाम दिया।
यह खबर सामने आते ही सोशल मीडिया पर दुनिया भर से प्रतिक्रियाएं आने लगीं। खास तौर पर अमेरिका, ब्रिटेन, मलेशिया, और लेबनान जैसे देशों के यूज़र्स ने इस पर अपनी राय ज़ाहिर की। बहुत से लोगों ने मीम्स, स्टिकर्स और एनिमेटेड वीडियो शेयर करते हुए इज़रायली सेना पर तंज कसे और हमास के इस ऑपरेशन को “क़ानूनी आत्मरक्षा” और “जुल्म के जवाब में हक़ का वार” बताया।
यूज़र्स का कहना था कि जब ग़ाज़ा में हर रोज़ 100 से ज़्यादा मासूम बच्चे, महिलाएं और आम नागरिक, इज़रायली बमबारी में मारे जा रहे हैं, तो ऐसे में अगर हमास जवाबी कार्रवाई करता है तो यह न सिर्फ़ जायज़ है, बल्कि ज़रूरी भी है।
कई यूज़र्स ने कहा कि पश्चिमी मीडिया सिर्फ़ इज़रायली सैनिकों के मारे जाने को हाईलाइट करता है, जबकि फ़िलिस्तीनियों की शहादतों पर या तो चुप्पी साधी जाती है या फिर उन्हें ‘कोलैटरल डैमेज’ (यानी जंग का साइड इफ़ेक्ट) कहकर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है। कुछ ने लिखा, “जब अत्याचार हद से बढ़ जाए, तो प्रतिरोध कोई अपराध नहीं बल्कि कर्तव्य बन जाता है। हमास ने बैत हानून में यही किया है।”
इस घटना ने एक बार फिर दुनिया को यह याद दिलाया कि फ़िलिस्तीनियों की लड़ाई सिर्फ़ ज़मीन के लिए नहीं, बल्कि इंसानियत, आज़ादी और न्याय के लिए है। और जब तक ज़ुल्म जारी रहेगा, प्रतिरोध भी ज़िंदा रहेगा।

