ईरान के जवाबी हमले का डर: अमेरिकी कर्मचारियों ने इराक़ छोड़ा
ईरान के परमाणु स्थलों पर हालिया हमले के बाद अमेरिका अब अपने ही कदमों से डरा हुआ नज़र आ रहा है। जिस तरह ईरान ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूती से अपनी स्थिति स्पष्ट की और अपने परमाणु कार्यक्रम की रक्षा का संकल्प दोहराया, उसी के परिणामस्वरूप बग़दाद स्थित अमेरिकी दूतावास से कर्मचारियों को निकालना पड़ा।
अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता ने अल-जज़ीरा से बातचीत में कहा कि “क्षेत्र में बढ़ते तनाव के कारण अतिरिक्त कर्मचारियों को इराक़ से बाहर भेजा गया है।” यह बयान उस घबराहट को छिपा नहीं सका जो वाशिंगटन को ईरान की संभावित प्रतिक्रिया से हो रही है।
अमेरिका ने जिस ‘शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम’ पर हमला किया, वही अब उसके लिए वैश्विक शर्मिंदगी का कारण बनता जा रहा है। ईरान की परमाणु ऊर्जा संस्था (AEOI) ने स्पष्ट रूप से इस हमले को “ज़ायोनी और अमरीकी बर्बरता” बताया और इसे अंतरराष्ट्रीय संधियों, ख़ासतौर पर NPT का खुला उल्लंघन क़रार दिया।
ईरान ने कहा है कि वह अपने हज़ारों प्रतिबद्ध वैज्ञानिकों और शहीदों की विरासत की रक्षा करेगा और किसी भी हाल में इस राष्ट्रीय उद्योग को रुकने नहीं देगा। यह संकल्प ही है जिसने अमेरिका और उसके सहयोगियों को बैकफुट पर ला दिया है।
वॉशिंगटन पोस्ट और CNN जैसे अमेरिकी मीडिया आउटलेट्स ने भी इस बात की पुष्टि की है कि दूतावास के चारों ओर इराकी सुरक्षाबलों की तैनाती बढ़ा दी गई है और अमेरिकी कर्मियों की संख्या में स्पष्ट कटौती की गई है।
असल में, अमेरिका अब उस परिणाम से डर रहा है, जिसकी नींव उसने खुद रखी थी। ईरान न तो दबाव में आता है और न ही धमकियों से डरता है, यही ईरानी प्रतिरोध की ताक़त है। दुनिया अब देख रही है कि किस तरह एक स्वतंत्र देश, अपने सिद्धांतों और संप्रभुता की रक्षा के लिए, साम्राज्यवादी ताक़तों को पीछे हटने पर मजबूर कर रहा है।

