डोनाल्ड ट्रंप की इज़रायल को चेतावनी ‘जायज़’ है: क़तरी प्रधानमंत्री
क़तर के प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान बिन जासिम बिन जाबिर अल–थानी ने रविवार, 7 दिसंबर को कहा कि क़तर पर हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की इज़रायल को दी गई चेतावनी बिल्कुल उचित है। उन्होंने कहा कि ट्रंप समझते हैं कि क़तर, हमास और इज़रायल के बीच मध्यस्थता में मददगार रहा है।
अल–थानी ने बताया कि ट्रंप ने इज़रायल के हमले पर चिंता जताई है। दोहा फ़ोरम में उन्होंने कहा कि यह हमला उस समय हुआ जब क़तर हमास को राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा तैयार किए गए ग़ाज़ा शांति प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए मनाने की कोशिश कर रहा था।
अल–थानी ने आगे कहा कि, क़तर ने हमास को समझौते के लिए राज़ी करने की कोशिश की थी। जब उनसे पूछा गया कि क्या ट्रंप, इज़रायल के क़तर पर हमले से हैरान थे, तो प्रधानमंत्री ने कहा, “ट्रंप के सलाहकारों ने हमसे हमले से कुछ मिनट पहले संपर्क किया था। साफ़ था कि यह हमला ट्रंप की इच्छा के खिलाफ हुआ है।”
अल–थानी ने बताया कि ट्रंप ने स्पष्ट कहा कि, क़तर पर हमला अभूतपूर्व था। जब उन्हें बताया गया कि, इज़रायल ने डोनाल्ड ट्रंप के समझौते के दौरान क़तर पर बमबारी की, तो अल–थानी ने कहा कि यह क़तर–अमेरिका संबंधों को नुकसान पहुँचाने की कोशिश है, और इज़रायल चाहता है कि सब उस पर विश्वास करें।
उन्होंने कहा कि इस तरह की ग़लत जानकारियाँ पहले भी कई बार फैलाई जा चुकी हैं। क़तर और अमेरिका के संबंधों को दोनों देशों के लिए लाभदायक बताते हुए अल–थानी ने कहा, “हम विवादों के समाधान की वकालत करते हैं, जबकि हमारे विरोधी तनाव बढ़ाने की कोशिश करते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि क़तरी नेतृत्व का मानना है कि ग़ाज़ा में युद्ध-विराम एक नाज़ुक मोड़ पर है।
उन्होंने दोहराया कि क़तर शुरू से ही विवादों के शांतिपूर्ण और कूटनीतिक समाधान का समर्थक रहा है। इज़रायल द्वारा क़तर पर आतंकवादी वित्तपोषण का आरोप लगाने के बारे में उन्होंने कहा, “क़तर से भेजी गई सारी राशि ग़ाज़ा में मानवीय सहायता के लिए उपयोग होती है। इज़रायल की सरकार और मोसाद इस बात से पूरी तरह वाकिफ़ हैं।”
ट्रंप की इज़रायल को चेतावनी
इज़रायल ने 9 सितंबर 2025 को हमास को निशाना बनाने के लिए क़तर पर हमला किया था। इस हमले में क़तरी सुरक्षा अधिकारियों सहित छह लोगों की मौत हुई। इस हमले पर प्रतिक्रिया देते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इज़रायल से कहा था कि, वह भविष्य की कार्रवाइयों में सावधानी बरते।
ट्रंप ने मीडिया से कहा, “क़तर हमारा बहुत बड़ा सहयोगी रहा है। इज़रायल और सभी को सतर्क रहना होगा। जब हम लोगों पर हमला करते हैं तो हमें बहुत सावधान रहना चाहिए।” उन्होंने इज़रायल के इस दावे से भी खुद को अलग कर लिया कि अमेरिका को दोहा में होने वाले हमलों की पूर्व जानकारी थी। बयान में ट्रंप ने कहा कि ये हमले “एकतरफा निर्णय” थे।
ग़ाज़ा की पुनर्निर्माण प्रक्रिया
दो साल लंबे संघर्ष के बाद ग़ाज़ा के पुनर्निर्माण पर बात करते हुए क़तरी प्रधानमंत्री ने रूस–यूक्रेन संघर्ष की मिसाल दी, जहाँ रूस से यूक्रेन के पुनर्निर्माण में योगदान देने को कहा गया है। उन्होंने अफ़सोस जताया कि ग़ाज़ा के मामले में इज़रायल को पुनर्निर्माण करना चाहिए।
उन्होंने स्पष्ट किया कि क़तर फ़लस्तीनी जनता की सहायता जारी रखेगा और उनके दर्द को कम करने में अपना योगदान देता रहेगा, लेकिन ग़ाज़ा के पुनर्निर्माण का मुख्य ज़िम्मेदार नहीं है। अल–थानी ने कहा, “हम ग़ाज़ा में ज़रूरत पड़ने पर हर समय मानवीय सहायता देते रहेंगे।”
पुनर्वास के सवाल पर उन्होंने कहा कि “ग़ाज़ा के लोगों को यह अधिकार है कि वे कहाँ रहें। वे अपना देश छोड़ना नहीं चाहते।” उन्होंने बताया कि जब भी कोई क्रॉसिंग खुलती है, तो बड़ी संख्या में विस्थापित लोग अपने घर लौट जाते हैं चाहे उनके मकान नष्ट ही क्यों न हों। अल–थानी ने कहा, “यह उनकी दृढ़ता को दर्शाता है। किसी को यह अधिकार नहीं कि वह उन्हें ग़ाज़ा, उनके देश और उनके घरों से बाहर रहने पर मजबूर करे।”

