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ग़ाज़ा को लेकर डॉक्टर्स विदआउट बॉर्डर्स की दिल दहला देने वाली चेतावनी

ग़ाज़ा को लेकर डॉक्टर्स विदआउट बॉर्डर्स की दिल दहला देने वाली चेतावनी

डॉक्टर्स विदआउट बॉर्डर्स (Médecins Sans Frontières – MSF) ने एक चौंकाने वाली रिपोर्ट में कहा है कि ग़ाज़ा में हालात बेहद गंभीर हो चुके हैं। संगठन ने चेतावनी दी कि वहां छोटे-छोटे बच्चे, गर्भवती महिलाएं, और यहाँ तक कि मेडिकल स्टाफ भी भुखमरी और पोषण संकट का शिकार हो रहे हैं, और हर दिन ‘थोपी गई क़हत’ के संकेत और ज़्यादा स्पष्ट होते जा रहे हैं।

अपने बयान में इस संगठन ने कहा कि ग़ाज़ा इस समय एक अभूतपूर्व मानवीय संकट से जूझ रहा है। इज़रायली शासन ने जानबूझकर खाने और मानवीय सहायता को रोक रखा है, जिससे पूरी आबादी क़हत के कगार पर पहुँच गई है।

रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले दो महीनों में MSF के क्लीनिकों में कुपोषण के मामलों की संख्या चार गुना बढ़ गई है। विशेष रूप से 5 साल से छोटे बच्चों में गंभीर कुपोषण के मामले सिर्फ़ दो हफ्तों में तीन गुना बढ़े हैं। इसके साथ ही, अब हर चौथी गर्भवती महिला और बच्चा कुपोषण से पीड़ित हैं।

बयान में ग़ाज़ा के अस्पतालों और स्वास्थ्यकर्मियों की हालत का भी ज़िक्र किया गया है:
“यहां तक कि मेडिकल टीमें भी बिना खाने के हैं। कुछ स्टाफ़ तो तीन दिनों से भूखे हैं। मेडिकल उपकरण, दवाइयां और ईंधन का भयंकर अभाव है। बिजली की आपूर्ति बाधित है और इलाज की सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं।”

एक अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठन ‘ग्लोबल प्रोटेक्शन क्लस्टर’ ने भी ग़ाज़ा में आम नागरिकों की ज़िंदगी को अब तक की सबसे बड़ी ख़तरे में बताया है। रिपोर्टों में सामने आया है कि कई लोग भूख और कमजोरी की वजह से सड़कों पर गिरते हुए देखे गए हैं।

इसी दौरान, ग़ाज़ा में मेडिकल रेस्क्यू के एक अधिकारी ने अल जज़ीरा को बताया कि डॉक्टरी टीमें भी भूख से पीड़ित हैं और उनके पास खाने के लिए कुछ नहीं बचा है।MSF की इमरजेंसी टीम के मीडिया सलाहकार ने बताया कि उन्हें ग़ाज़ा में प्रवेश के लिए केवल सीमित कोटा ही दिया गया है, जबकि वहां की स्थिति बहुत ज़्यादा ख़राब है। (यह रिपोर्ट उन जमीनी हक़ीक़तों को उजागर करती है, जिन्हें बार-बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दबाया जा रहा है।)

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