सशस्त्र समूहों का निशस्त्रीकरण, अमेरिकी सेना के निकलने के बाद ही होगा: इराक़ी प्रधानमंत्री
इराक़ के प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल-सुदानी ने कहा है कि उनकी सरकार तभी देश में सभी हथियारों को सरकारी नियंत्रण में ले सकेगी जब अमेरिकी नेतृत्व वाले अंतरराष्ट्रीय गठबंधन के सैनिक इराक़ से निकल जाएंगे, क्योंकि कुछ इराक़ी गुट इन विदेशी सेनाओं की मौजूदगी को “क़ब्ज़ा” मानते हैं।
बग़दाद में रॉयटर्स से बातचीत में सुदानी ने कहा कि आतंकवाद-रोधी गठबंधन की पूरी तरह वापसी की योजना अब भी जारी है और सितंबर 2026 तक सभी विदेशी सैनिक इराक़ छोड़ देंगे, क्योंकि आतंकवादी समूहों का ख़तरा अब बहुत कम हो गया है। उन्होंने कहा, “अब आईएसआईएस जैसा कोई ख़तरा नहीं रहा। देश में सुरक्षा और स्थिरता है, तो फिर 86 देशों की सेनाओं के इराक़ में रहने का क्या औचित्य है?”
उन्होंने आगे बताया कि जैसे ही गठबंधन की सेनाएँ पूरी तरह निकलेंगी, सरकार देश में हर गैर-सरकारी हथियारबंद ताक़त को समाप्त करने की योजना लागू करेगी। ऐसे समूह या तो हथियार डालकर सुरक्षा बलों में शामिल हो सकते हैं या फिर राजनीति में प्रवेश कर सकते हैं।
सुदानी ने अमेरिका की ओर से हश्द-अल-शाबी से जुड़े गुटों पर दबाव डालने की कोशिशों का ज़िक्र करते हुए कहा, “किसी भी बाहरी ताक़त को इराक़ को युद्ध या टकराव की ओर धकेलने का अधिकार नहीं है। युद्ध और शांति का फ़ैसला सिर्फ़ देश की आधिकारिक संस्थाओं का अधिकार है।”
अश-शरक़ अल-अवसत अख़बार ने रविवार (2 नवंबर) को रिपोर्ट दी थी कि इराक़ की सरकार को हाल ही में “वॉशिंगटन की ओर से अब तक की सबसे कड़ी चेतावनी” मिली है।
रिपोर्ट के मुताबिक़, अमेरिका के रक्षामंत्री पीट हेगसेथ ने इराक़ी रक्षा मंत्री थाबित अल-अब्बासी से फ़ोन पर बातचीत में इराक़ की सीमाओं के क़रीब संभावित अमेरिकी सैन्य कार्रवाई की चेतावनी दी और मांग की कि बगदाद किसी भी इराक़ी सशस्त्र गुट को इन अभियानों में दख़ल देने से रोके। इस मामले पर ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माईल बक़ाई ने कहा कि तेहरान अमेरिका की इन धमकियों को “इराक़ के आंतरिक मामलों में दख़ल” मानता है।

